Saturday, December 28, 2024

पाकिस्तान को बड़ा झटका: BRICS में सदस्यता और पार्टनर कंट्रीज़ की सूची से भी बाहर

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Pakistan In BRICS Group: पाकिस्तान, जो ब्रिक्स (BRICS) में सदस्यता प्राप्त करने की उम्मीद कर रहा था, को बड़ा झटका लगा है। भारत के कड़े विरोध के कारण पाकिस्तान न केवल ब्रिक्स की सदस्यता से वंचित हुआ, बल्कि उसे पार्टनर कंट्रीज़ की सूची में भी जगह नहीं मिली। इसके विपरीत, तुर्किए ने ब्रिक्स पार्टनर कंट्रीज़ की सूची में अपनी जगह पक्की की है, जिससे उसे महत्वपूर्ण लाभ मिल सकता है।

रूस ने की पार्टनर कंट्रीज़ की घोषणा

रूस ने हाल ही में 13 नए पार्टनर कंट्रीज़ की घोषणा की है, जो 1 जनवरी 2025 से ब्रिक्स के साथ साझेदारी करेंगे। इन देशों में अल्जीरिया, बेलारूस, बोलिविया, क्यूबा, इंडोनेशिया, कजाखस्तान, मलेशिया, थाईलैंड, तुर्किए, युगांडा, नाइजीरिया, उज्बेकिस्तान, और वियतनाम शामिल हैं। पाकिस्तान, जो चीन और रूस के समर्थन से ब्रिक्स में प्रवेश की कोशिश कर रहा था, इन देशों की सूची में अपनी जगह बनाने में असफल रहा।

तुर्किए की सफलता

तुर्किए को ब्रिक्स पार्टनर कंट्रीज़ की सूची में शामिल होने की सफलता का एक बड़ा कारण कश्मीर मुद्दे पर राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन के रुख में बदलाव माना जा रहा है। भारत ने तुर्किए की दावेदारी का विरोध नहीं किया, जबकि पाकिस्तान की ब्रिक्स में सदस्यता की कोशिशें भारत के सख्त रुख के कारण विफल हो गईं। तुर्किए की सफलता ने यह साबित किया कि राजनयिक लचीलापन और रणनीतिक सोच का कितना महत्व होता है।

पाकिस्तान पर आलोचना

पाकिस्तान की इस विफलता पर उसके अपने देश में तीखी आलोचना हो रही है। मरियाना बाबर, विदेशी मामलों की विशेषज्ञ, ने इसे पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की “पूरी तरह से असफलता” करार दिया। उन्होंने कहा कि नाइजीरिया जैसे देशों ने भी पाकिस्तान से बेहतर प्रदर्शन किया और ब्रिक्स पार्टनर कंट्री बन गए।

भारत का सख्त रुख

ब्रिक्स में नए सदस्य देशों को शामिल करने के लिए सभी संस्थापक देशों की सहमति आवश्यक है। भारत ने पाकिस्तान की दावेदारी का कड़ा विरोध किया, जिससे पाकिस्तान के लिए ब्रिक्स में शामिल होने का रास्ता बंद हो गया। यह तब हुआ जब चीन और रूस ने पाकिस्तान का समर्थन करने की कोशिश की थी।

विश्लेषकों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिक्स में शामिल होने से पाकिस्तान को आर्थिक और राजनयिक लाभ मिल सकते थे, लेकिन भारत के सख्त रुख और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की कमजोर रणनीति ने उसे इस मौके से वंचित कर दिया।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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