AIN NEWS 1: संभल में स्थानीय लोगों ने गंगा-जमुनी तहज़ीब और सेक्युलरिज़्म पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इन विचारों का अब कोई मतलब नहीं रह गया है। उनका आरोप है कि दीवाली जैसे धार्मिक उत्सवों के दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग उनके दीपों को तोड़कर चले जाते थे, जिससे उन्हें परेशानी होती थी।
एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, “हम दीवाली पर घर के बाहर दीप जलाते थे, लेकिन मुस्लिम लड़के आते और उन्हें गिरा देते थे।” यह घटनाएं लगातार होती थीं, और इसके बाद सुरक्षा के उपाय बढ़ाए गए। लोगों ने बताया कि अब पिछले 3-4 सालों से ऐसी घटनाएं नहीं हुई हैं, लेकिन तब भी डर का माहौल बना रहता था।
एक और स्थानीय ने कहा, “हमें अब वहां ड्यूटी लगानी पड़ी, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। पहले ये लोग हमारे हर धार्मिक या सांस्कृतिक कार्य से नफरत करते थे।” इन घटनाओं ने स्थानीय समुदाय को आक्रोशित कर दिया था और सुरक्षा के लिए उन्हें मजबूरी में कदम उठाने पड़े।
यह स्थिति उस समय और भी बढ़ गई जब कई बार इस प्रकार के विरोधी व्यवहारों का सामना किया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके साथ हमेशा भेदभाव किया जाता था और यह नफरत की भावना समय-समय पर उनके सामने आती रहती थी।
इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि गंगा-जमुनी तहज़ीब और सेक्युलरिज़्म के सिद्धांतों का पालन अब पहले जैसा नहीं हो पा रहा है। समाज में बढ़ती असहमति और धार्मिक भेदभाव ने इन विचारों को कमजोर कर दिया है।
हालांकि, अब स्थिति में कुछ सुधार हुआ है और अब पिछले कुछ सालों से ऐसी घटनाएं नहीं हुईं, लेकिन स्थानीय लोग अभी भी सतर्क रहते हैं। उनका मानना है कि समाज में शांति और भाईचारे के लिए और भी कई कदम उठाने की आवश्यकता है।
इन घटनाओं के कारण यह सवाल उठता है कि क्या समाज में धर्मनिरपेक्षता और गंगा-जमुनी तहज़ीब जैसे विचार अब सच में प्रभावी हैं, या इन्हें केवल एक सैद्धांतिक अवधारणा बना दिया गया है।