AIN NEWS 1: प्रयागराज में महाकुंभ से पहले धार्मिक और राजनीतिक संदेशों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। जगद्गुरु रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य द्वारा महाकुंभ के इलाके में लगाए गए होर्डिंग्स में एकता और जागरूकता का संदेश दिया गया है। ये होर्डिंग्स “डरेंगे तो मरेंगे” जैसे नारे के साथ लगवाए गए हैं, जो सनातन धर्मियों को एकजुट होने की अपील करते हैं। इसने समाज के विभिन्न वर्गों में बहस को जन्म दिया है।
1. “डरेंगे तो मरेंगे” और “हिन्दुओं में एकता हो” के पोस्टर्स
प्रयागराज के महाकुंभ क्षेत्र में जगद्गुरु रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य द्वारा लगाए गए करीब 25 होर्डिंग्स में प्रमुख नारा “डरेंगे तो मरेंगे” लिखा हुआ है। ये होर्डिंग्स नागावासुकी मंदिर के पास लगाए गए हैं, और इनका उद्देश्य हिन्दू समाज को एकजुट करना है।
इन होर्डिंग्स में एक ओर पोस्टर भी है, जिसमें लिखा है: “सभी हिन्दुओं में एकता हो, वक्फ के नाम पर संपत्ति की लूट है, धर्मनिरपेक्ष देश में यह कैसी छूट है?” इस पोस्टर के बैकग्राउंड में बंद मुट्ठी वाली तस्वीर का प्रतीक इस्तेमाल किया गया है, जो हिन्दू समाज को अपनी एकजुटता को प्रकट करने की प्रेरणा देता है।
2. महाकुंभ में होर्डिंग्स की संख्या और स्थान
जगद्गुरु रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य द्वारा महाकुंभ के एक किलोमीटर क्षेत्र में करीब 25 होर्डिंग्स लगाए गए हैं। इन होर्डिंग्स ने साधु-संतों और स्थानीय लोगों के बीच खासा ध्यान आकर्षित किया है। महाकुंभ के क्षेत्र में लगे इन होर्डिंग्स को लेकर विभिन्न वर्गों में चर्चा हो रही है।
3. पहले “बंटेंगे तो कटेंगे” का नारा, अब “डरेंगे तो मरेंगे”
कुछ महीने पहले यूपी में “बंटेंगे तो कटेंगे” नारे को लेकर भी राजनीति गर्माई थी, जो विशेष रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के संदर्भ में दिया गया था। योगी ने यह नारा 22 सितंबर को दिया था, और इस नारे का चुनावी माहौल में बीजेपी को लाभ हुआ। अब “डरेंगे तो मरेंगे” का नया नारा सामने आया है, जो हिन्दू समाज के एकता के संदेश को और अधिक मजबूती से पेश करता है।
4. राजनेताओं और संतों की प्रतिक्रियाएँ
दत्तात्रेय होसबाले, RSS
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि “बंटेंगे तो कटेंगे” का नारा हिंदू एकता और समाज कल्याण के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह नारा यह बताता है कि हिंदू समाज में एकता की जरूरत है, और इसे व्यवहार में लाने की आवश्यकता है।
अखिलेश यादव, सपा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस नारे को बीजेपी के लैब में तैयार किया गया नारा बताया। उनका आरोप था कि यह नारा राजनीतिक फायदा उठाने के लिए बीजेपी ने तैयार किया है।
शिवपाल यादव, सपा
सपा नेता शिवपाल यादव ने “बंटेंगे तो कटेंगे” नारे को पूरी तरह से खारिज किया और कहा कि उनका गठबंधन इस तरह की नफरत फैलाने वाली बातें नहीं मानता है। उनका कहना था कि समाज में भाईचारे और संविधान की रक्षा करना जरूरी है।
संजय राउत, शिवसेना
शिवसेना नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र में “बंटेंगे तो कटेंगे” के नारे को लेकर टिप्पणी की और कहा कि यह नारा महाराष्ट्र में लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यहां न तो बंटने की स्थिति है, न ही कटने की।
5. महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर विवाद
महाकुंभ के आयोजन को लेकर कुछ धार्मिक नेता मुसलमानों के प्रवेश को लेकर चिंतित हैं। शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कुंभ मेला केवल सनातन धर्मियों का होना चाहिए और जो सनातन धर्म नहीं मानते, उन्हें इस मेले में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने मक्का और मस्जिदों का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि वहां हिंदुओं का प्रवेश नहीं होता, तो यहां भी मुसलमानों को प्रवेश नहीं देना चाहिए।
इस बयान के बाद मुस्लिम संगठनों और नेताओं ने इसका विरोध किया। संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि अगर मुस्लिम दुकानदारों को महाकुंभ में दुकान लगाने की अनुमति नहीं दी जाती है, तो हिंदुओं को भी मुस्लिम क्षेत्रों में जगह नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने सरकार से इस फैसले को वापस लेने और ऐसे निर्णयों को सांप्रदायिकता फैलाने वाला बताया।
मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने भी इस पर बयान दिया और कहा कि अखाड़ा परिषद का यह फैसला समाज में नफरत फैलाने वाला है। उनका मानना था कि इस तरह के फैसले देश को नुकसान पहुंचाते हैं और इसे सख्ती से रोका जाना चाहिए।
6. हिंदू धर्मगुरुओं का संदेश
धार्मिक नेताओं का कहना है कि हिंदू समाज में एकता बनाए रखना बहुत जरूरी है। स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि अगर हिंदू समाज को तोड़ने की कोशिश की जाएगी, तो संतों को इसका विरोध करने के लिए सक्रिय रूप से उतरना पड़ेगा। उनका कहना है कि देश के हित में हिंदू समाज को एकजुट रहना चाहिए और यह यात्रा पूरे देश में जारी रहनी चाहिए।
महाकुंभ के दौरान लगे ये होर्डिंग्स और नारे समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर कर रहे हैं। जहां एक ओर धार्मिक एकता और सुरक्षा के संदेश दिए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी दिखाई दे रहा है कि समाज में विभिन्न धर्मों के बीच मतभेद और संघर्ष को लेकर चिंताएं हैं। ऐसे में यह देखना होगा कि इन होर्डिंग्स और नारों का प्रभाव समाज पर क्या पड़ता है और क्या यह समाज में शांति और एकता को बढ़ावा देते हैं या फिर विभाजन का कारण बनते हैं।