Friday, December 27, 2024

भा.ज.पा. का नया प्रदेश अध्यक्ष जनवरी में नियुक्त होगा: विभिन्न नेता दौड़ में, पिछड़े वर्ग को मिल सकता है नेतृत्व?

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AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जनवरी में कभी भी हो सकती है। पार्टी के नए अध्यक्ष संगठन के मोर्चे पर आगामी विधानसभा चुनाव 2027 में अहम भूमिका निभाएंगे। वर्तमान में, प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए कई नेताओं की दौड़ तेज हो गई है। ये नेता लखनऊ से लेकर दिल्ली और नागपुर तक संपर्क साध रहे हैं, और अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। बीजेपी के लिए ये नियुक्ति खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि पार्टी सपा के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) कार्ड को तोड़ने के लिए इस पद पर एक ऐसे नेता को नियुक्त कर सकती है जो इन वर्गों से ताल्लुक रखता हो।

प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारी में शामिल नेता

प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए कई प्रमुख नेताओं का नाम सामने आ रहा है। इनमें से कुछ के नाम चर्चा में हैं:

1. अमरपाल मौर्य: बीजेपी के प्रदेश महामंत्री और राज्यसभा सदस्य अमरपाल मौर्य पिछड़े वर्ग से आते हैं। वे केशव प्रसाद मौर्य के करीबी सहयोगी रहे हैं और पार्टी के विभिन्न टीमों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा था, भले ही वे विधानसभा चुनाव हार गए थे। मौर्य समाज के वोट बैंक को साधने के लिए उनका नाम मजबूत माना जा रहा है।

2. बीएल वर्मा: बसपा छोड़कर बीजेपी में आए बीएल वर्मा, जो केंद्रीय मंत्री भी हैं, लोध समाज के प्रमुख नेता हैं। लोध समाज को बीजेपी का अहम वोट बैंक माना जाता है, और बीएल वर्मा का नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चा में है। वे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी हैं और इस पद के लिए मजबूत दावेदार हैं।

3. बाबूराम निषाद: बाबूराम निषाद, जो बीजेपी के राज्यसभा सदस्य हैं, निषाद समाज को बीजेपी का एक अहम वोट बैंक बनाने के लिए पार्टी की रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। निषाद समाज के वोट पर सपा का प्रभाव बढ़ रहा है, और बाबूराम निषाद की नियुक्ति से बीजेपी इस समुदाय में फिर से अपनी पकड़ बना सकती है।

4. प्रकाश पाल: कानपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल, जो लंबे समय से आरएसएस से जुड़े रहे हैं, भी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दावेदार हैं। उनका नाम पार्टी में पाल समाज को साधने के लिए सामने आ रहा है, जो बीजेपी का अहम वोट बैंक माना जाता है।

5. विनोद सोनकर: कौशांबी के पूर्व सांसद विनोद सोनकर, जो पार्टी में राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं, दलित समाज के एक बड़े नेता हैं। उनका नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई बार चर्चा में रहा है, क्योंकि उनका सोनकर समाज एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है।

6. हरीश द्विवेदी: हरीश द्विवेदी, जो बस्ती से दो बार सांसद रह चुके हैं और पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री के साथ असम के प्रभारी भी हैं, ब्राह्मण समाज से ताल्लुक रखते हैं। प्रदेश में ब्राह्मणों का वोट बैंक लगभग 12% है, और इस वर्ग के लिए हरीश द्विवेदी का नाम मजबूती से आगे बढ़ रहा है।

7. डॉ. दिनेश शर्मा: पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चर्चित है। वे पार्टी और आरएसएस के राष्ट्रीय नेतृत्व से अच्छे संबंध रखते हैं और ब्राह्मण समाज में उनकी खास पहचान है।

8. विद्यासागर सोनकर: विद्यासागर सोनकर, जो भाजपा के प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं, भी प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार हैं। उनका नाम 2019 और 2022 के विधानसभा चुनावों में भी चर्चा में था, और उनका वोट बैंक भाजपा को साधने में मदद कर सकता है।

पिछड़े वर्ग को प्राथमिकता मिलने की संभावना

सूत्रों का कहना है कि भाजपा की रणनीति के तहत, प्रदेश अध्यक्ष का पद पिछड़े वर्ग के नेता को सौंपा जा सकता है। पार्टी ने इस पर सैद्धांतिक सहमति भी बना ली है। इस समय उत्तर प्रदेश में मौर्य, सैनी, शाक्य, कुशवाहा, काछी, माली, निषाद, और अन्य पिछड़ी जातियों का वोट बैंक महत्वपूर्ण है। अगर पार्टी ऐसे नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी, तो यह सपा के पीडीए कार्ड को काटने में मदद करेगा।

कुर्मी समाज और अन्य समाजों की चुनौतियां

प्रदेश में कुर्मी समाज एक अहम वोट बैंक है और 2019 में बीजेपी ने कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को इसका खास फायदा नहीं मिला और कुर्मी वोट एक बड़ी संख्या में सपा की ओर शिफ्ट हो गया। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर अब भाजपा मौर्य, निषाद या अन्य पिछड़े वर्ग के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी, तो कुर्मी वोट बैंक को फिर से सपा के पक्ष में खिसकने का खतरा हो सकता है। ऐसे में भाजपा को कुर्मी समाज के वोट को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए कोई ठोस रणनीति अपनानी पड़ेगी।

जिलाध्यक्ष और मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति

भा.ज.पा. के 98 संगठनात्मक जिलों में नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति 7 जनवरी तक की जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति 20 से 25 जनवरी के बीच हो सकती है। जिलाध्यक्षों के चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक प्रदेश परिषद सदस्य की नियुक्ति के जरिए होगा। प्रदेश परिषद के सदस्यों की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा।

मंडल अध्यक्षों की घोषणा 30 दिसंबर तक

भा.ज.पा. के 1819 मंडलों में नए मंडल अध्यक्षों के निर्वाचन के लिए मंथन पूरा हो चुका है। प्रदेश स्तर से तय किए गए मंडल अध्यक्षों के नाम जिला स्तर पर घोषित किए जाएंगे। मंडल अध्यक्षों की घोषणा 30 दिसंबर तक की जा सकती है।

भा.ज.पा. के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में पिछड़े वर्ग के नेताओं को प्राथमिकता मिलने की संभावना है। इस समय भाजपा अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए विभिन्न वर्गों को साधने की कोशिश कर रही है। नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पार्टी की आगामी रणनीति और 2027 के विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए की जाएगी।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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