AIN NEWS 1: बांग्लादेश के नरैल जिले में एक 46 वर्षीय हिन्दू महिला, बसाना मलिक, की जघन्य हत्या का मामला सामने आया है। आरोप है कि मुस्लिम कट्टरपंथियों ने पहले उनका बलात्कार किया और फिर उन्हें जहर खिलाकर हत्या कर दी। यह घटना बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय पर हो रहे हमलों की एक और कड़ी है, जिसके बारे में स्थानीय रिपोर्ट्स में चिंता जताई जा रही है।
घटना की जानकारी
बसाना मलिक, जो यूनियन परिषद की सदस्य थीं, 46 साल की थीं और अपने समुदाय में सक्रिय थीं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, मुस्लिम कट्टरपंथियों ने पहले उनका बलात्कार किया और बाद में उन्हें जबरन जहर पिलाया। बसाना को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी हालत नाजुक थी और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि, मरने से पहले बसाना मलिक ने अपने हमलावरों के नाम बताए, जिनमें राजीबुर और उस्मान का नाम सामने आया है।
महिला की बेटी का आरोप
मृतक महिला की बेटी ने आरोप लगाया है कि उसकी मां को मरने से पहले कई दिनों तक मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी गई थी। महिला ने कहा कि उसकी मां की हत्या एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी, जिसमें उसकी मां को लगातार टार्गेट किया गया था।
बांग्लादेश सरकार की चुप्पी
बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों के बढ़ते हमलों के बावजूद, सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद की सरकार कट्टरपंथियों के दबाव के बावजूद इन हमलों को लेकर चुप्पी साधे हुए है। इस बीच, अंतरिम सरकार भी दावा करती है कि “सब कुछ सामान्य है” और हिन्दू समुदाय पर किसी प्रकार के टार्गेटेड हमले नहीं हो रहे हैं।
कट्टरपंथियों के बढ़ते हमले
5 अगस्त 2024 को सत्ता में बदलाव के बाद, बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथी दल बीएनपी ने सत्ता संभाली, जिसके बाद जमात ए इस्लामी जैसे जिहादी संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। ये संगठन खुलेआम हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा और हत्या की धमकी दे रहे हैं। सरकार की मौन सहमति के कारण कट्टरपंथी संगठन बेखौफ होकर हिन्दू समुदाय को निशाना बना रहे हैं।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है, लेकिन अब तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। जबकि यह घटना एक गंभीर अपराध है, बांग्लादेश सरकार और पुलिस के प्रयासों में कमी दिखाई दे रही है।
इस घटना ने बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हिन्दू संगठनों और मानवाधिकार संस्थाओं ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।