AIN NEWS 1: मार्च 1978 को उत्तर प्रदेश के संभल में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए। इन दंगों में 184 हिंदुओं की निर्मम हत्या हुई और सैकड़ों लोगों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा। दंगों के बाद 16 मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिनमें आगजनी, हत्या, और लूटपाट जैसे गंभीर आरोप शामिल थे।
1993 में मुलायम सिंह यादव का निर्णय
16 दिसंबर 1993 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद, मुलायम सिंह यादव की सरकार ने 18 दिनों के भीतर संभल दंगों से जुड़े 9 मामलों को वापस लेने का फैसला किया। यह फैसला इतना तेज़ी से हुआ कि 9 दिनों के भीतर सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गईं।
14 दिसंबर, 1993: मुरादाबाद के तत्कालीन डीएम ने मुकदमों की वापसी की सिफारिश की।
23 दिसंबर, 1993: न्याय विभाग ने मुकदमों को वापस लेने का आदेश जारी कर दिया।
मुलायम सरकार ने यह तर्क दिया कि तथ्यों और साक्ष्यों की कमी के चलते ये मुकदमे अदालत में टिक नहीं पाएंगे।
विवादास्पद मुकदमे
सरकार ने जिन मुकदमों को वापस लिया, उनमें गंभीर धाराओं के तहत दर्ज मामले शामिल थे, जैसे:
1. मुकदमा अपराध संख्या 89/78: धारा 436, 395 आईपीसी
2. मुकदमा अपराध संख्या 105/78: धारा 147, 148, 149, 436 आईपीसी
3. मुकदमा अपराध संख्या 113/78: धारा 395, 436 आईपीसी
4. मुकदमा अपराध संख्या 171/78: धारा 395, 436 आईपीसी
योगी सरकार ने उठाया 1978 के दंगों का मुद्दा
24 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद यह मामला फिर सुर्खियों में आया।
CM योगी आदित्यनाथ ने 1978 के संभल दंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि 184 हिंदुओं की हत्या के बावजूद किसी को सजा नहीं हुई।
योगी सरकार ने विधानसभा में कहा कि 1947 से अब तक संभल में 209 हिंदुओं की हत्या हो चुकी है।
इसके बाद प्रशासन ने दंगों से जुड़े पुराने दस्तावेजों को खंगालना शुरू किया और इन मुकदमों को फिर से खोलने की सिफारिश की।
संभल हिंसा 2024: पुरानी यादों को ताजा किया
24 नवंबर को संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंदू-मुस्लिम पक्षों के बीच हिंसा भड़क गई।
इस घटना में 5 लोगों की मौत हुई और 20 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए।
पुलिस ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क समेत 2700 से अधिक लोगों पर मुकदमा दर्ज किया।
क्या फिर से खुलेंगे 1978 के मुकदमे?
सूत्रों के अनुसार, योगी सरकार ने इन मुकदमों को फिर से खोलने के लिए कैबिनेट ऑर्डर पर विचार शुरू कर दिया है। कानून विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार चाहे तो इन मामलों को दोबारा शुरू कर सकती है।
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The 1978 Sambhal riots, one of Uttar Pradesh’s darkest chapters, saw the massacre of 184 Hindus. Despite the gravity of these crimes, no one has been convicted to date. In 1993, the Mulayam Singh Yadav government controversially withdrew 9 riot-related cases within 18 days of taking office. Now, the Yogi Adityanath government has revived this issue, promising to re-investigate these cases and ensure justice. This move highlights the political complexities surrounding communal violence and its aftermath in India.