Wednesday, January 22, 2025

“अब मेरी सांसारिक मृत्यु हो चुकी है…” – महाकुंभ में 1500 श्रद्धालु बने नागा सन्यासी?

- Advertisement -
Ads
- Advertisement -
Ads

AIN NEWS 1: महाकुंभ 2025 के ऐतिहासिक अवसर पर हरिद्वार में अद्वितीय दृश्य देखने को मिला। 1500 श्रद्धालुओं ने जीवित रहते हुए अपना पिंडदान किया और सांसारिक जीवन का त्याग कर नागा सन्यासी बनने की दीक्षा ली। इन श्रद्धालुओं में 19 महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने गुरु परंपरा का पालन करते हुए नागा सन्यासी बनने का संकल्प लिया।

सांसारिक जीवन का त्याग

पंच दशनाम जूना अखाड़े की अगुवाई में यह विशेष धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुआ। श्री महंत रामचंद्र गिरि, दूधाधारी महाराज, निरंजन भारती और मोहन गिरि जैसे वरिष्ठ संतों की देखरेख में सभी ने इस प्रक्रिया को पूरा किया। सबसे पहले सभी प्रतिभागियों का पारंपरिक रूप से मुंडन संस्कार किया गया। इसके बाद गंगा नदी में 108 बार पवित्र डुबकी लगाकर शुद्धिकरण किया गया।

गंगा पूजन और पिंडदान

गंगा स्नान के बाद सभी श्रद्धालुओं ने विधिपूर्वक गंगा पूजन किया। इसके उपरांत उन्होंने अपने पिंडदान की रस्म अदा की, जो सामान्यतः मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया के जरिए उन्होंने सांसारिक मोह-माया से खुद को अलग कर लिया और प्रतीकात्मक रूप से अपनी मृत्यु की घोषणा की।

महिलाओं की विशेष भागीदारी

इस ऐतिहासिक अवसर पर 19 महिलाओं ने भी नागा सन्यासी बनने की दीक्षा ली। यह महिलाओं के लिए अद्वितीय और प्रेरणादायक घटना थी, जो दर्शाती है कि आध्यात्मिक जीवन में समानता का स्थान है।

नागा सन्यासी बनने की प्रक्रिया

नागा सन्यासी बनने की प्रक्रिया कठोर और अनुशासनपूर्ण होती है। यह केवल मानसिक और शारीरिक तपस्या का ही नहीं, बल्कि पूरी तरह सांसारिक जीवन से अलग होने का प्रतीक है। नागा सन्यासी बनने के बाद ये साधु केवल आध्यात्मिक जीवन व्यतीत करते हैं और धर्म व समाज की सेवा में समर्पित रहते हैं।

महाकुंभ का महत्व

महाकुंभ भारतीय संस्कृति और परंपरा का सबसे बड़ा उत्सव है। हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाले इस पर्व में करोड़ों श्रद्धालु गंगा में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति पाते हैं। इस वर्ष का महाकुंभ विशेष रूप से इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर पिंडदान और नागा सन्यासी बनने की दीक्षा पहली बार देखने को मिली।

 

English Paragraph for SEO:

 

The Maha Kumbh Mela 2025 witnessed a historic moment where 1,500 devotees, including 19 women, renounced worldly life to become Naga Sannyasis. Under the guidance of Panch Dashnam Juna Akhada, these individuals performed symbolic rituals such as head shaving, 108 holy dips in the Ganga, and pind daan, a ceremony traditionally conducted for the deceased. This act marked their spiritual rebirth and dedication to a life of austerity and service. The participation of women in such rituals highlights inclusivity in spiritual traditions, making Maha Kumbh 2025 a significant event in Indian culture and spirituality.

- Advertisement -
Ads
AIN NEWS 1
AIN NEWS 1https://ainnews1.com
सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
Ads

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement
Polls
Trending
Rashifal
Live Cricket Score
Weather Forecast
Latest news
Related news
- Advertisement -
Ads