Iraq’s New Law Allows Clerics to Decide Girls’ Marriage Age, Sparks Widespread Concern
इराक में मौलवियों को दिया गया लड़कियों की शादी की उम्र तय करने का अधिकार, उठी चिंताएं
AIN NEWS 1: इराक की संसद ने हाल ही में तीन महत्वपूर्ण और विवादास्पद कानूनों को मंजूरी दी है, जिनमें से एक विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों को लेकर गहरी चिंता का कारण बन रहा है। इस नए कानून के तहत मौलवियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे तय करें कि लड़कियों की शादी की उम्र कितनी होनी चाहिए। इस कदम ने महिला अधिकार संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीच गंभीर चिंताएं उत्पन्न कर दी हैं, जो इस कानून को महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ मानते हैं।
कानून की सटीकता और इसका प्रभाव
यह कानून इराक में सामाजिक और धार्मिक परिपेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। मौलवियों को शादी की उम्र तय करने का अधिकार मिलने से यह सवाल उठता है कि क्या यह कदम महिलाओं के व्यक्तिगत अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है। महिलाएं और बच्चियां, जिन्हें अब तक एक निश्चित उम्र के बाद शादी करने की स्वतंत्रता थी, अब एक ऐसे धार्मिक प्राधिकरण पर निर्भर होंगी, जो उनकी शादी की उम्र निर्धारित करेगा। यह कदम इराक की पारंपरिक और धार्मिक संरचना को और मजबूत करता है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों की रक्षा करना एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
इस कानून के लागू होने के बाद, मानवाधिकार संगठनों ने अपनी चिंताओं को सार्वजनिक किया है। उनका कहना है कि यह कानून महिलाओं और लड़कियों के जीवन में मौलवियों के दखल को बढ़ाएगा और उन्हें अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसले लेने में स्वतंत्रता से वंचित करेगा। कई संगठनों का मानना है कि इस कदम से बाल विवाह की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि मौलवी धार्मिक दृष्टिकोण से शादी की उम्र को घटा सकते हैं।
इराक़ में बाल विवाह की स्थिति
इराक़ में पहले ही बाल विवाह एक गंभीर मुद्दा है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। ऐसे में इस नए कानून के लागू होने से बाल विवाह को बढ़ावा मिल सकता है, और महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसरों से वंचित किया जा सकता है। यह कानून उन परिवारों को भी प्रोत्साहित कर सकता है, जो अपनी बेटियों की शादी जल्दी करना चाहते हैं, ताकि सामाजिक और धार्मिक दबावों से बचा जा सके।
महिला अधिकारों की सुरक्षा के लिए उठाए जाने चाहिए कदम
इस नए कानून को लेकर चिंता जताते हुए महिला अधिकार संगठनों ने इराक सरकार से यह अपील की है कि वह महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए। उनका कहना है कि लड़कियों की शादी की उम्र को धार्मिक नेताओं के बजाय विशेषज्ञों और कानून निर्माताओं के हाथों में रहना चाहिए, ताकि महिलाओं को उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और मानसिक विकास के लिए उचित अवसर मिल सकें।
मौलवियों के अधिकार पर विवाद
इस कानून के विरोध में कई धर्मनिरपेक्ष और महिला अधिकार संगठनों ने यह सवाल उठाया है कि मौलवियों को ऐसा अधिकार देने से इराक में धार्मिक विविधता और सेकुलरिज़्म को खतरा हो सकता है। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून महिलाओं के लिए सुरक्षा का एक नया खतरा उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि पारंपरिक समाज में महिलाओं को अक्सर खुद के फैसले लेने की स्वतंत्रता नहीं मिलती।
समाज में और प्रशासन में बदलाव की आवश्यकता
इराक़ के समाज और प्रशासन में इस तरह के विवादास्पद कानूनों की मौजूदगी एक संकेत है कि बदलाव की आवश्यकता है। जब तक इस तरह के निर्णय महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे, तब तक इस मामले में सख्त नियम और सुधारों की आवश्यकता रहेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कानून के प्रभावों को दूर करने के लिए शिक्षा, जागरूकता और उचित नीति सुधारों की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
इराक में मौलवियों को लड़कियों की शादी की उम्र तय करने का अधिकार देने वाला यह कानून एक जटिल मुद्दा बन गया है, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। हालांकि, यह कानून कुछ लोगों के लिए धार्मिक और पारंपरिक दृष्टिकोण का समर्थन करने वाला कदम हो सकता है, लेकिन यह महिला अधिकारों के लिए एक बड़ा खतरा भी साबित हो सकता है। इसके प्रभावों का मूल्यांकन करने और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।