Friday, January 31, 2025

मेरठ में फर्जी स्टांप घोटाला: 997 बैनामे और 7.20 करोड़ की ठगी?

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AIN NEWS 1: मेरठ में हाल ही में सामने आए 7.20 करोड़ रुपये के फर्जी स्टांप घोटाले ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। इस घोटाले में 997 बैनामे फर्जी स्टांप पर किए गए, जिसमें मुख्य आरोपी वकील विशाल वर्मा और उसके साथी शामिल हैं। इस मामले की जांच अब आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंपी गई है।

घोटाले का खुलासा

2023 में उत्तर प्रदेश के स्टांप और न्यायालय शुल्क मंत्री रवींद्र जायसवाल को मेरठ में दो बैनामों में फर्जी स्टांप का मामला सामने आया। मंत्री ने इस पर सख्त कदम उठाते हुए लखनऊ में उच्च अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी। इसके बाद मेरठ में जांच शुरू हुई।

जांच के दौरान पाया गया कि पिछले तीन वर्षों के 997 बैनामे फर्जी स्टांप पर किए गए थे। इन स्टांप्स को गुपचुप तरीके से छपवाया गया और ग्राहकों को धोखे से बेच दिया गया।

आरोपियों की गिरफ्तारी

जांच में खुलासा हुआ कि सभी फर्जी बैनामे एक ही अधिवक्ता, विशाल वर्मा के जरिए कराए गए थे। पुलिस ने मुख्य आरोपी विशाल वर्मा, उसके सहयोगी राहुल, स्टांप वेंडर अक्षय गुप्ता और आशू को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

22 मई, 2024 को मेरठ उपनिबंधन कार्यालय के कनिष्ठ सहायक प्रदीप कुमार ने सिविल लाइन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। इस रिपोर्ट के बाद 997 बैनामा धारकों को नोटिस जारी किए गए। इन नोटिस में स्टांप की कमी के लिए चार गुना जुर्माना और 18% वार्षिक ब्याज भी लगाया गया।

पीड़ितों की समस्या

घोटाले के शिकार 997 लोगों को अपनी गलती का एहसास तब हुआ जब उन्हें नोटिस मिले। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने स्टांप के पूरे पैसे वकील विशाल वर्मा को दिए थे, लेकिन वह ठगे गए।

आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंपी गई जांच

शासन ने मेरठ के एसएसपी डॉ. विपिन ताडा को आदेश दिए कि इस मामले की जांच अब EOW करे। एसएसपी ने आश्वासन दिया कि सभी आवश्यक दस्तावेज़ EOW को उपलब्ध कराए जाएंगे।

फर्जी स्टांप का नेटवर्क

जांच में पता चला कि आरोपियों ने फर्जी स्टांप छपवाए और उन्हें बैनामा कराने वालों को बेचा। इस संगठित अपराध में स्टांप वेंडर और रजिस्ट्री कार्यालय के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है।

भविष्य की दिशा

EOW अब इस बड़े घोटाले की तह तक जाएगी। यह मामला उत्तर प्रदेश में रजिस्ट्री प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता को दर्शाता है। साथ ही, यह सुनिश्चित करना अनिवार्य हो गया है कि ऐसे अपराध दोबारा न हों।

यह फर्जी स्टांप घोटाला सिर्फ वित्तीय धोखाधड़ी का मामला नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक ढांचे में भ्रष्टाचार और लापरवाही को भी उजागर करता है। पीड़ितों को न्याय दिलाने और इस तरह के अपराधों पर रोक लगाने के लिए सख्त कार्रवाई जरूरी है।

The ₹7.20 crore stamp scam in Meerut has exposed a shocking fraud involving 997 fake property registrations. Lawyer Vishal Verma and his associates orchestrated the scam by using counterfeit stamps, impacting numerous innocent people. The Economic Offenses Wing (EOW) has now taken over the investigation, uncovering a large-scale fraud that highlights systemic corruption in Uttar Pradesh’s registration process.

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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