AIN NEWS 1: प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के पवित्र संगम में बागेश्वर धाम प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने परमार्थ निकेतन आश्रम के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती और 40-50 विदेशी भक्तों के साथ डुबकी लगाई। इस दौरान उन्होंने पांच डुबकियां लगाईं, जिनमें हर डुबकी का एक खास उद्देश्य था।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पहली डुबकी हिंदू राष्ट्र के लिए थी। यह डुबकी भारत को एक सशक्त और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राष्ट्र बनाने की प्रार्थना का प्रतीक थी। दूसरी डुबकी बागेश्वर धाम के विकास और उन्नति के लिए लगाई गई।
तीसरी डुबकी उन्होंने बागेश्वर धाम के सभी अनुयायियों और भक्तों के लिए समर्पित की। यह डुबकी उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना के साथ थी। चौथी डुबकी संतों और धर्मगुरुओं के दीर्घ जीवन और कल्याण के लिए लगाई गई।
पांचवीं और आखिरी डुबकी उन सभी भक्तों के लिए थी जो धर्म, मानवता और विश्व कल्याण की प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा कि यह संगम की पवित्रता और शक्ति का अद्वितीय अनुभव था, जो हमें हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक जड़ों की याद दिलाता है।
इस पवित्र अवसर पर उनके साथ परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती भी मौजूद थे। दोनों ने संगम में स्नान कर सभी भक्तों के लिए प्रार्थना की। खास बात यह रही कि इस स्नान में 40-50 विदेशी भक्त भी शामिल हुए, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति अपनी आस्था दिखाई।
संगम का महत्व और धर्म के प्रति समर्पण
संगम, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती मिलती हैं, भारतीय संस्कृति और आस्था का केंद्र है। यहां स्नान को पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक शुद्धि का माध्यम माना जाता है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस मौके पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि संगम केवल जल का मिलन नहीं है, यह आत्मा और परमात्मा का संगम है।
उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म विश्व कल्याण की प्रार्थना करता है और सभी के सुख और समृद्धि के लिए समर्पित है। इस स्नान के जरिए उन्होंने धर्म, राष्ट्र और मानवता के कल्याण के लिए संकल्प लिया।
विदेशी भक्तों का संगम स्नान में योगदान
इस मौके पर 40-50 विदेशी भक्तों ने भी संगम में डुबकी लगाई। ये भक्त भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाने के लिए यहां पहुंचे थे। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उनकी भागीदारी को एक सकारात्मक संदेश के रूप में देखा और कहा कि यह भारतीय धर्म और संस्कृति की वैश्विक स्वीकृति का प्रतीक है।
धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का संगम स्नान एक संदेश देता है कि धर्म और आध्यात्मिकता न केवल व्यक्तिगत बल्कि समाज और विश्व के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। इस स्नान ने धर्म, संस्कृति और मानवता के प्रति उनके समर्पण को और मजबूत किया।
यह संगम स्नान न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को संरक्षित करने की पहल भी थी। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का यह संदेश कि धर्म और मानवता का कल्याण ही हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए, हमें आत्म-अवलोकन और सामाजिक सुधार के लिए प्रेरित करता है।
Bageshwar Dham Chief Dhirendra Krishna Shastri, along with Parmarth Niketan Ashram Chief Swami Chidanand Saraswati and 40-50 foreign devotees, took a holy dip in the Sangam at Prayagraj. The first dip was for Hindu Rashtra, the second for Bageshwar Dham, the third for his followers, the fourth for saints and seers, and the fifth for the well-being of those who pray for religion and global harmony. This spiritual act highlights the importance of faith, unity, and the preservation of Indian culture.