Demand for Ending Worship Act and Formation of Sanatan Board in Dharma Sansad
सनातन धर्म की रक्षा के लिए धर्म संसद की मांग: वर्शिप एक्ट खत्म करें और सनातन बोर्ड बनाएं
AIN NEWS 1: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान आयोजित धर्म संसद में सोमवार को सनातन धर्म और हिंदू मंदिरों की रक्षा के लिए कई अहम प्रस्ताव रखे गए। धर्म संसद में जगद्गुरु विद्या भास्कर, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर और अन्य साधु-संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को खत्म करने की मांग की। इसके साथ ही, सनातन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव भी रखा गया।
इस धर्म संसद में 5,000 से अधिक साधु-संत और भक्त शामिल हुए। हालांकि, 13 अखाड़ों और चारों शंकराचार्यों की अनुपस्थिति चर्चाओं का विषय रही है.
वर्शिप एक्ट खत्म करने की मांग
धर्म संसद में सबसे प्रमुख मांग प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को खत्म करने की रही। इस एक्ट के अनुसार, 15 अगस्त 1947 से पहले के सभी धार्मिक स्थल जिस स्थिति में हैं, उन्हें उसी रूप में बनाए रखना होगा।
धर्म संसद की राय:
हिंदू पक्ष ने कहा कि यह कानून उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात करता है और इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।
मुस्लिम पक्ष ने इस कानून के समर्थन में याचिका दाखिल कर रखी है।
सनातन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव
धर्म संसद ने भारत में हिंदू मंदिरों और संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक स्वतंत्र सनातन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव रखा।
सनातन बोर्ड का उद्देश्य:
सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना।
मंदिरों में पूजा-पद्धति और परंपराओं की रक्षा करना।
हर बड़े मंदिर में गोशालाओं की स्थापना करना।
धार्मिक और सामाजिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना।
संरचना:
1. संरक्षक मंडल: चारों शंकराचार्य।
2. अध्यक्ष मंडल: 11 सदस्य, जिनमें प्रमुख संत, अखाड़ों के नेता और धर्माचार्य शामिल होंगे।
3. सहयोगी मंडल: मंदिर, गोशाला, गुरुकुल, और सामाजिक कार्यों से जुड़े प्रमुख सदस्य।
4. सलाहकार मंडल: न्यायपालिका, प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षाविद, और मीडिया से जुड़े व्यक्तित्व।
देवकीनंदन ठाकुर का संबोधन
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, “अब हिंदुओं को अपना हक लेकर रहना होगा। पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू बोर्ड नहीं है, फिर भारत में वक्फ बोर्ड की क्या आवश्यकता है?” उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें किसी पद या प्रतिष्ठा की इच्छा नहीं है।
देवकीनंदन ने आगे कहा:
1. “मंदिरों की संपत्ति से गुरुकुल और औषधालय बनाए जाएंगे।”
2. “भगवान को क्या भोग लगेगा, यह आचार्य तय करेंगे, डीएम नहीं।”
3. “बच्चों का विवाह सनातनी परिवारों में होना चाहिए।”
वक्फ बोर्ड पर सवाल
देवकीनंदन ठाकुर ने वक्फ बोर्ड पर तीखा सवाल उठाते हुए कहा, “वक्फ बोर्ड ने कुंभ की भूमि को अपनी संपत्ति बताया है। अगर यह दावा पूरे भारत पर किया गया तो हिंदू कहां जाएंगे?”
उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड का उद्देश्य धीरे-धीरे भारत की संपत्तियों पर कब्जा करना है।
धर्म संसद के अन्य प्रस्ताव
1. देशभर के मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हटाया जाए।
2. सनातन हिंदुओं के धर्मांतरण को रोकने के लिए आर्थिक सहायता दी जाए।
3. गरीब हिंदू परिवारों के बच्चों के लिए विशेष शिक्षा योजनाएं लागू की जाएं।
4. मंदिरों के पुजारी मोबाइल का उपयोग न करें और पूर्ण ज्ञान रखने वाले हों।
Jagadguru Raghavacharya का सुझाव
जगद्गुरु राघवाचार्य ने कहा कि सनातन बोर्ड सरकारी निकाय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “सरकारी हस्तक्षेप से बोर्ड का उद्देश्य समाप्त हो जाएगा। बोर्ड में केवल धर्माचार्य और संतों को शामिल करना चाहिए।”
कुंभ में साधु-संतों का संदेश
महाकुंभ में मौजूद साधु-संतों ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए जनता से सहयोग मांगा। उनका कहना है कि सनातन धर्म पर हो रहे हमलों का जवाब एकजुट होकर दिया जाएगा।
The recent Dharma Sansad at Maha Kumbh 2028 in Prayagraj raised critical issues like the abolition of the Worship Act, 1991, and the establishment of a Sanatan Board. Key proposals included removing government control over Hindu temples, establishing gaushalas in temples, and ensuring the protection of Sanatan traditions and religious rights. Prominent spiritual leaders like Jagadguru Vidya Bhaskar and Devkinandan Thakur emphasized the need for a unified effort to safeguard Sanatan Dharma against external influences.