गाजियाबाद में थाने के सामने युवक की गोली मारकर हत्या, पुलिस देखती रह गई
AIN NEWS 1: गाजियाबाद में कानून व्यवस्था को शर्मसार कर देने वाली एक वारदात सामने आई है, जहां अपराधियों ने थाना परिसर के ठीक सामने एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी और पुलिस सिर्फ मूकदर्शक बनी रही।
घटना गाजियाबाद के मुरादनगर इलाके की है। ग्राम मिलक रावली निवासी पिंटू शर्मा (32), जो खाद, बीज और कीटनाशक की दुकान चलाते थे, मंगलवार शाम को अपने गांव लौट रहे थे। रास्ते में उन्होंने अपनी भतीजी को ऑटो में आते देखा तो उसे बैठाने के लिए अपनी गाड़ी रोक ली। इसी दौरान गांव के ही दो युवक मोंटी और अजय अपनी गाड़ी से उसी रास्ते से निकलने लगे।
जब उन्होंने पिंटू से गाड़ी हटाने को कहा, तो पिंटू ने विनम्रता से जवाब दिया कि वह बच्चों को बैठा रहा है, वे साइड से निकल जाएं। लेकिन बात बिगड़ गई, दोनों युवकों ने गाली-गलौज शुरू कर दी और जान से मारने की धमकी भी दी। कुछ ही देर बाद दोनों आरोपी पिंटू के घर के बाहर पहुंचे और गोलियां चला दीं।
इस हमले की जानकारी पिंटू के पिता रविंद्र शर्मा ने पुलिस को दी। पुलिस ने रविंद्र शर्मा को तहरीर देने के लिए थाने बुलाया। रविंद्र अपने बेटे पिंटू के साथ थाने पहुंचे थे। इसी दौरान आरोपी मोंटी और अजय बाइक से वहां पहुंचे और थाना परिसर के ठीक सामने पिंटू को गोली मार दी।
पुलिस के सामने चली गोली, कोई प्रतिक्रिया नहीं
हैरानी की बात यह है कि जब फायरिंग हुई, तब पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे। चश्मदीदों का कहना है कि कुछ पुलिसकर्मी वीडियो भी बना रहे थे, लेकिन न तो किसी ने बीच-बचाव किया और न ही हमलावरों को रोकने की कोशिश की। हमलावर आराम से भाग निकले।
गोली लगने के बाद पिंटू को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पिता की आंखों के सामने बेटे की हत्या
पिंटू के पिता रविंद्र शर्मा ने बताया कि उनका बेटा पूरी तरह से निर्दोष था और वह केवल परिवार के लिए मेहनत करता था। उन्होंने यह भी बताया कि हमलावरों ने पहले धमकी दी, फिर घर के बाहर फायरिंग की, और अंत में थाने के सामने उसकी जान ले ली।
रविंद्र शर्मा ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि यदि पुलिस समय पर कार्रवाई करती, तो आज उनका बेटा जिंदा होता।
स्थानीय लोगों में गुस्सा, पुलिस पर सवाल
घटना के बाद क्षेत्र में भारी आक्रोश फैल गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पुलिस सक्रिय होती तो यह घटना रोकी जा सकती थी। लोगों का सवाल है कि जब थाने के सामने इस तरह हत्या हो सकती है, तो आम नागरिक कैसे सुरक्षित महसूस करें?
प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती
इस घटना ने पूरे प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। थाने के सामने इस प्रकार की वारदात पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था की विफलता का प्रतीक बन गई है।
अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि पुलिस आरोपियों को कब तक पकड़ पाती है और क्या पीड़ित परिवार को समय पर न्याय मिल पाएगा।
क्या कहती है पुलिस?
पुलिस का कहना है कि आरोपियों की पहचान हो चुकी है और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीदों के बयानों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। लेकिन आम जनता पुलिस की इस कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है।
न्याय की उम्मीद में टूटा परिवार
पिंटू की मौत ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है। मां-बाप बेसुध हैं, और गांव में मातम का माहौल है। परिवार अब केवल यही चाहता है कि उनके बेटे के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।
इस वारदात ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अपराधी बेखौफ हैं और पुलिस व्यवस्था बेहद ढीली। जब थाने के सामने हत्या हो सकती है, तो बाकी क्षेत्रों में आमजन की सुरक्षा कितनी कमजोर होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेकर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आगे ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
In a shocking incident in Ghaziabad’s Muradnagar area, a man named Pintu was brutally shot dead in front of the local police station. The accused opened fire right before the eyes of police personnel, yet managed to flee without resistance. This incident raises serious concerns about law enforcement accountability, public safety, and the growing audacity of criminals in Uttar Pradesh. The Ghaziabad murder case involving police negligence highlights the urgent need for administrative reforms and swift justice.