Friday, January 31, 2025

किन्नर अखाड़े में घमासान – महामंडलेश्वर पद से लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी को हटाने का दावा?

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AIN NEWS 1: किन्नर अखाड़े में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मामला तब तूल पकड़ा जब अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाया गया। इस फैसले पर कई संतों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को पद से हटाने का दावा किया।

ऋषि अजय दास का कहना है कि ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने की प्रक्रिया सही नहीं थी और उनके खिलाफ देशद्रोह के आरोप हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों से भटक गई हैं, इसलिए उन्हें भी हटाया जा रहा है।

हालांकि, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि अजय दास को 2017 में ही किन्नर अखाड़े से निकाल दिया गया था, इसलिए उनके पास कोई अधिकार नहीं है।

अजय दास का बयान – ‘यह कोई बिग बॉस का शो नहीं’

ऋषि अजय दास ने एक पत्र जारी कर कहा कि 2015-16 के उज्जैन कुंभ में उन्होंने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर नियुक्त किया था, लेकिन अब वे अपने मार्ग से भटक चुकी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि त्रिपाठी ने 2019 में प्रयागराज कुंभ के दौरान बिना अनुमति जूना अखाड़ा के साथ एक समझौता किया, जो अनुचित था।

उन्होंने आगे कहा:

“यह कोई बिग बॉस का शो नहीं है, जिसे एक महीने के लिए चलाया जाए। सनातन धर्म में संन्यास की परंपराएं होती हैं, लेकिन इन्हें नहीं निभाया जा रहा है।”

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का जवाब – ‘अजय दास को पहले ही हटाया जा चुका है’

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अजय दास के दावों को पूरी तरह से गलत बताया। उन्होंने कहा कि किन्नर अखाड़े का नेतृत्व किसी एक व्यक्ति के हाथ में नहीं होता।

उन्होंने आगे बताया:

“2015-16 के कुंभ में 22 राज्यों के किन्नरों को बुलाकर अखाड़ा स्थापित किया गया था और मुझे आचार्य महामंडलेश्वर बनाया गया था। अजय दास उस समय हमारे साथ थे, लेकिन 2017 में उन्होंने शादी कर ली और उज्जैन आश्रम बेचकर मुंबई चले गए। उनके अनैतिक कार्यों के कारण उन्हें किन्नर अखाड़े से हटा दिया गया था।”

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का बयान – ‘हम लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ हैं’

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने अजय दास के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा:

“अजय दास कौन हैं? हम इन्हें नहीं जानते। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अखाड़े से निकालने का दावा गलत है। अखाड़ा परिषद उनके साथ है।”

इसके अलावा, किन्नर अखाड़े के संस्थापक महंत दुर्गा दास ने भी कहा कि किसी के कहने से कोई निष्कासित नहीं हो सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि पूरा किन्नर समाज और साधु-संत लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के समर्थन में हैं।

ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर पद पर अभिषेक

24 जनवरी 2025 को ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी। इससे पहले उन्होंने संगम में स्नान कर पिंडदान किया था। इसके बाद सेक्टर-16 स्थित किन्नर अखाड़े में पट्टाभिषेक समारोह हुआ, जहां उन्हें नया नाम श्रीयामाई ममता नंद गिरि दिया गया।

करीब 7 दिनों तक वह महाकुंभ में रहीं, लेकिन अब उनके महामंडलेश्वर बनने पर विवाद खड़ा हो गया है।

किन्नर अखाड़े के भविष्य पर सवाल

इस विवाद के बाद किन्नर अखाड़े की स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं।

1. क्या अजय दास के पास वास्तव में अधिकार है? – अखाड़ा परिषद और कई संतों ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया है।

2. क्या ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर बनना सही था? – कई संतों का कहना है कि यह प्रक्रिया ठीक से नहीं हुई थी।

3. क्या यह विवाद अखाड़े को कमजोर करेगा? – अखाड़े में आपसी विवाद से इसकी छवि को नुकसान हो सकता है।

इस विवाद ने किन्नर अखाड़े में गहरी दरार पैदा कर दी है। एक ओर अजय दास का दावा है कि उन्होंने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है, तो दूसरी ओर अखाड़ा परिषद और अन्य संत इस दावे को खारिज कर रहे हैं।

अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में इस विवाद का समाधान कैसे निकलता है और क्या कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

The controversy in Kinnar Akhada has intensified as Rishi Ajay Das claims to have removed Laxmi Narayan Tripathi and Mamta Kulkarni from their Mahamandaleshwar positions. However, Akhil Bharatiya Akhada Parishad and other saints reject his claims, stating that Ajay Das has no authority. The dispute raises questions about Kumbh Mela traditions, Hindu saints, and Akhada governance. This controversy is likely to impact the future of Kinnar Akhada and its recognition among Hindu religious institutions.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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