AIN NEWS 1: संभल, उत्तर प्रदेश में एंटी करप्शन टीम ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई को अंजाम दिया है। टीम ने बहुउद्देश्यीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति, शरीफपुर के सचिव को ₹5,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। सचिव ने यह रिश्वत अपने ही कार्यालय के आंकिक (कैशियर) से वेतन वृद्धि में हुई त्रुटि को ठीक करने के बदले मांगी थी।
कैसे हुआ पूरा ऑपरेशन?
संभल जिले के चंदौसी स्थित भगवती बिहार के निवासी राकेशपाल, शरीफपुर गांव की सहकारी समिति में सचिव के पद पर कार्यरत हैं। उनके कार्यालय में योगेंद्र सिंह नामक व्यक्ति आंकिक के पद पर काम करते हैं। अगस्त से योगेंद्र सिंह की वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं हो रही थी। जब उन्होंने सचिव से इस त्रुटि को ठीक करने का अनुरोध किया, तो सचिव ने बदले में ₹10,000 की रिश्वत की मांग की।
पीड़ित योगेंद्र सिंह ने इसकी शिकायत मुरादाबाद की एंटी करप्शन टीम से की। शिकायत के आधार पर टीम ने रिश्वतखोर सचिव को पकड़ने के लिए योजना बनाई।
रिश्वत लेते ही धरा गया सचिव
टीम ने प्लानिंग के तहत मंगलवार को संभल में कार्रवाई की। जैसे ही योगेंद्र सिंह ने सचिव को केमिकल लगे पांच-पांच सौ के नोट दिए, टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया। तुरंत ही उसे नखासा थाने ले जाया गया, जहां उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। उसके बाद आरोपी सचिव का जिला अस्पताल में मेडिकल परीक्षण कराया गया।
कोर्ट में पेशी और आगे की कार्रवाई
एंटी करप्शन टीम के प्रभारी सुशील कुमार ने जानकारी दी कि सचिव राकेशपाल को बुधवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। इसके बाद आगे की कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
शिकायतकर्ता पर भी लग चुके हैं गंभीर आरोप
इस मामले में एक दिलचस्प मोड़ यह है कि शिकायतकर्ता योगेंद्र सिंह खुद भी एक गंभीर आरोप में शामिल रह चुका है। वर्ष 2004 में योगेंद्र सिंह, उस समय के सचिव अनजनी कुमार और चौकीदार फरियाद अली पर ₹2.34 लाख के गबन का आरोप लगा था। इस मामले में तीनों को जेल भी जाना पड़ा था और योगेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया गया था।
भ्रष्टाचार के खिलाफ बढ़ती कार्रवाई
संभल में हुई इस कार्रवाई से यह साफ है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार और एजेंसियां सख्त रवैया अपना रही हैं। इस प्रकार की कार्रवाइयों से सरकारी कार्यालयों में हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
The Anti-Corruption Team in Sambhal, Uttar Pradesh, successfully caught the secretary of Sharifpur Cooperative Society red-handed while taking a ₹5,000 bribe. The secretary had demanded ₹10,000 from an accountant to fix a salary increment issue. A sting operation was conducted, leading to his immediate arrest. He was booked under the Prevention of Corruption Act, and legal proceedings are underway. This corruption case in Uttar Pradesh highlights the government’s efforts to combat bribery and ensure transparency in cooperative societies.