Monday, February 24, 2025

दिल्ली में मुगल शासकों के नाम वाली सड़कों का नाम बदलने की मांग तेज?

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Demand to Rename Delhi’s Mughal-Named Roads Gains Momentum

दिल्ली में मुगल शासकों के नाम वाली सड़कों का नाम बदलने की मांग तेज

AIN NEWS 1 दिल्ली: दिल्ली में मुगल शासकों के नाम पर रखी गई सड़कों के नाम बदलने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। हाल ही में कुछ युवाओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए अकबर रोड, बाबर रोड और हुमायूं रोड के साइनबोर्ड पर कालिख पोत दी और उन पर छत्रपति शिवाजी महाराज के पोस्टर चिपका दिए। इन युवाओं का कहना है कि विदेशी आक्रमणकारियों के नाम पर सड़कों का नाम रखना हमारे गौरवशाली इतिहास और पूर्वजों का अपमान है।

विरोध प्रदर्शन और उसकी पृष्ठभूमि

इस घटना का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें प्रदर्शनकारी यह कहते नजर आ रहे हैं कि मुगल आक्रमणकारियों के नाम पर सड़कों या धरोहरों का नाम नहीं होना चाहिए। युवाओं ने यह कदम मराठा योद्धा संभाजी महाराज पर आधारित फिल्म ‘छावा’ देखने के बाद उठाया। इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह विदेशी आक्रांताओं ने संभाजी महाराज पर अत्याचार किए। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि ऐसे आक्रांताओं के नाम सम्मान देने से हम अपने वीर पूर्वजों का अपमान कर रहे हैं।

अकबर रोड पर विरोध के दौरान की गई गतिविधियां

प्रदर्शनकारियों ने अकबर रोड के बोर्ड पर कालिख पोतने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज के पोस्टर लगाए और दूध से अभिषेक किया। उनका कहना था कि इन सड़कों के नाम जल्द से जल्द बदले जाने चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे देशद्रोही नहीं हैं, बल्कि अपने पूर्वजों के सम्मान के लिए यह कदम उठा रहे हैं। हालांकि, घटना के बाद नगर निगम (एनडीएमसी) के कर्मचारियों ने बोर्ड की सफाई कर दी और पोस्टर हटा दिए।

सड़क का नाम बदलने की प्रक्रिया

दिल्ली में किसी सड़क का नाम बदलने के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया होती है। जब कोई प्रस्ताव आता है, तो इसे सबसे पहले एनडीएमसी के जनरल विभाग को भेजा जाता है। इसके बाद 13 सदस्यों की एक विशेष समिति इस पर विचार करती है। समिति द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद, इस प्रस्ताव को पोस्ट मास्टर जनरल को भेजा जाता है। सड़क या स्थान का नाम बदलने के लिए गृह मंत्रालय की गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होता है। नई नामकरण प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह जनता की भावनाओं के अनुरूप हो।

सड़कों के नाम बदलने की पुरानी मांगें

दिल्ली में सड़कों के नाम बदलने की मांग नई नहीं है। भारतीय जनता पार्टी और हिंदू संगठनों द्वारा यह मांग लंबे समय से उठाई जा रही है। 2022 में दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने एनडीएमसी को पत्र लिखकर कई सड़कों के नाम बदलने का सुझाव दिया था:

तुगलक रोड → गुरु गोविंद सिंह मार्ग

अकबर रोड → महाराणा प्रताप रोड

औरंगजेब रोड → एपीजे अब्दुल कलाम लेन

हुमायूं रोड → महर्षि वाल्मीकि रोड

शाहजहां रोड → जनरल बिपिन रावत रोड

बाबर लेन → खुदीराम बोस लेन

इसके अलावा, यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जयभगवान गोयल ने 2022 में कुतुब मीनार का नाम बदलकर ‘विष्णु स्तंभ’ करने की भी मांग की थी।

कुछ सड़कों के नाम बदले भी गए हैं

हाल के वर्षों में कुछ ऐतिहासिक स्थानों के नाम बदले गए हैं:

जून 2023 में औरंगजेब लेन का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम लेन कर दिया गया।

रेसकोर्स रोड को ‘लोक कल्याण मार्ग’ का नया नाम मिला।

राजपथ को ‘कर्तव्य पथ’ नाम दिया गया।

शिवाजी महाराज के नाम पर जेएनयू में उत्कृष्टता केंद्र

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर एक उत्कृष्टता केंद्र खोला गया है। यह सेंटर स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के तहत काम करेगा और इसका उद्देश्य छात्रों को शिवाजी महाराज के नेतृत्व, रणनीतिक सोच, प्रशासनिक दक्षता और कूटनीति के बारे में शिक्षित करना है। इसके तहत एमए की डिग्री भी प्रदान की जाएगी।

दिल्ली में मुगल शासकों के नाम वाली सड़कों का नाम बदलने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। सरकार और प्रशासन को यह तय करना होगा कि वह ऐतिहासिक सच्चाई, जनता की भावनाओं और कानूनी प्रक्रियाओं के बीच कैसे संतुलन बनाए। सड़क नामकरण केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान और इतिहास से भी जुड़ा हुआ है।

The demand to rename Delhi’s Mughal-named roads, such as Akbar Road, Babur Road, and Humayun Road, has intensified after a group of youths defaced the signboards and pasted posters of Chhatrapati Shivaji Maharaj. The incident has sparked a debate about renaming historical landmarks to honor Indian heroes instead of foreign invaders. The NDMC follows a formal process for renaming roads, considering public sentiment and official guidelines. Previously, roads like Aurangzeb Lane were renamed, and now political and social groups are pushing for more changes.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।

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