AIN NEWS 1: मनुष्य अक्सर अपने भाग्य को कोसता रहता है और यह मान लेता है कि उसकी किस्मत में जो लिखा है, वही होगा। लेकिन क्या सच में भाग्य ही सबकुछ है? नहीं, क्योंकि हमारे कर्म ही हमारी वास्तविक पहचान और भविष्य का निर्माण करते हैं। प्रभु श्रीराम का जीवन इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है। यदि वे केवल अपने भाग्य के अनुसार चलते, तो शायद वे मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं कहलाते।
भाग्य और कर्म का संबंध
भाग्य और कर्म दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, लेकिन कर्म अधिक महत्वपूर्ण है। भाग्य वह परिस्थितियाँ हैं जो हमें जन्म से मिलती हैं, लेकिन कर्म वे कार्य हैं, जो हम अपने जीवन में करते हैं। यही कारण है कि जो व्यक्ति मेहनत करता है, वह भाग्य से भी आगे बढ़ सकता है।
श्रीराम का उदाहरण
भगवान श्रीराम को अयोध्या का राजा बनने का अधिकार था क्योंकि वे राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र थे। यदि वे भाग्य के भरोसे रहते, तो सीधा राजगद्दी संभाल लेते। लेकिन उन्होंने कर्म को महत्व दिया और माता कैकेयी के वचन का सम्मान करते हुए वनवास को स्वीकार किया। यही उनका त्याग और धर्म का पालन था, जिसने उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया।
कर्म का प्रभाव
सफलता का मार्ग: जो व्यक्ति मेहनत करता है, वह कभी असफल नहीं होता। उदाहरण के लिए, यदि कोई विद्यार्थी केवल भाग्य के भरोसे परीक्षा देने जाए और बिना पढ़े सफल होने की उम्मीद करे, तो यह असंभव होगा। लेकिन जो विद्यार्थी मन लगाकर पढ़ाई करता है, वह निश्चित रूप से सफलता प्राप्त करता है।
संस्कार और मर्यादा: अच्छे कर्म न केवल सफलता देते हैं, बल्कि हमें संस्कार और मर्यादा भी सिखाते हैं। श्रीराम ने केवल अपने पिता के वचनों का पालन नहीं किया, बल्कि पूरी दुनिया को सिखाया कि अपने कर्तव्यों को निभाना कितना महत्वपूर्ण होता है।
अहंकार का नाश: जब व्यक्ति अपने कर्म के बल पर आगे बढ़ता है, तो उसमें अहंकार नहीं आता। वह विनम्र रहता है और सच्ची सफलता प्राप्त करता है।
कर्म से भाग्य का निर्माण
हमारा भविष्य हमारे वर्तमान कर्मों पर निर्भर करता है। यदि कोई व्यक्ति लगातार अच्छे कर्म करता है, तो उसका भविष्य उज्ज्वल होगा। इसके विपरीत, यदि कोई व्यक्ति गलत कार्यों में लिप्त होता है, तो उसका भाग्य भी खराब हो जाएगा। यही कारण है कि हमें हमेशा सही और धर्मपूर्ण कर्म करने चाहिए।
श्रीराम से मिलने वाली सीख
1. कर्तव्य पालन सबसे बड़ा धर्म है।
2. त्याग और तपस्या से ही महानता प्राप्त होती है।
3. सही कर्म करने से व्यक्ति का भाग्य भी बदल सकता है।
भाग्य केवल एक प्रारंभिक स्थिति है, लेकिन असली खेल कर्म का होता है। यदि हम सही कर्म करें, तो हम अपनी किस्मत को भी बदल सकते हैं। श्रीराम ने हमें यही सिखाया कि सच्ची महानता भाग्य से नहीं, बल्कि कर्म से प्राप्त होती है। इसलिए, जीवन में कभी भी भाग्य के भरोसे नहीं बैठना चाहिए, बल्कि अपने कर्मों को सुधारकर सफलता की ओर बढ़ना चाहिए।
Karma plays a greater role than destiny in shaping our lives. The life of Lord Ram is a perfect example of how actions determine our future. Instead of simply accepting the throne of Ayodhya as per his fate, he chose exile for 14 years to uphold Dharma. This sacrifice made him “Maryada Purushottam.” In Hindu philosophy, karma vs destiny is a significant debate, but ultimately, it is our deeds that define us. If we focus on our actions, success, values, and prosperity will follow. Understanding the teachings of Ramayana helps us embrace karma as the true path to greatness.