Monday, March 3, 2025

प्रधानमंत्री मोदी ने कुंभ पर लिखा ब्लॉग: “एकता का महाकुंभ, युग परिवर्तन की आहट

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AIN NEWS 1 | भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना का अद्भुत संगम प्रयागराज में संपन्न हुआ। यह महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि राष्ट्रीय एकता, समरसता और सांस्कृतिक गौरव का महासंगम बना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में इस महाकुंभ को “एकता का महाकुंभ” बताया और इसे भारत के नवोत्थान का संकेतक माना।

महाकुंभ: एकता और समरसता का पावन संगम

13 जनवरी से आरंभ होकर महाशिवरात्रि तक चले इस महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। प्रयागराज का संगम तट गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल के साथ-साथ राष्ट्र की एकता और श्रद्धा का भी प्रतीक बन गया। इस महाकुंभ में देवी-देवताओं, संत-महात्माओं, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों, और हर वर्ग के लोगों ने समान श्रद्धा के साथ भाग लिया, जिससे यह आयोजन विश्व में अपनी अनूठी छाप छोड़ गया।

अयोध्या से प्रयागराज तक: देवभक्ति से देशभक्ति की यात्रा

प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान “देवभक्ति से देशभक्ति” की बात कही थी। प्रयागराज के महाकुंभ में यह भावना साकार होती दिखी। 140 करोड़ भारतीयों की आस्था इस आयोजन से जुड़ी, और हर श्रद्धालु ने इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित की।

प्रबंधन का अद्भुत उदाहरण

महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से भी एक अनूठा अनुभव रहा। बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के करोड़ों श्रद्धालु इस महायज्ञ का हिस्सा बने। दुनिया भर के शोधकर्ताओं और प्रबंधन विशेषज्ञों के लिए यह एक अध्ययन का विषय बन गया कि किस प्रकार बिना किसी बाधा के इतने विशाल स्तर पर यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

भारत की युवा पीढ़ी: संस्कृति और परंपरा की वाहक

महाकुंभ में बड़ी संख्या में युवाओं की भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत की नई पीढ़ी अपनी संस्कृति और परंपरा को न केवल स्वीकार कर रही है बल्कि इसे आगे बढ़ाने के लिए भी संकल्पित है। यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण भारत को नई दिशा देने में सहायक सिद्ध होगा।

गंगा, यमुना और सरस्वती की पवित्रता का संकल्प

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर नदियों की स्वच्छता को लेकर भी विशेष जोर दिया। उन्होंने “नदी उत्सव” मनाने की अपील की, जिससे नदियों को प्रदूषण से मुक्त कर उनका संरक्षण किया जा सके। महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जल संसाधनों की पवित्रता का भी संदेशवाहक बना।

महाकुंभ से विकसित भारत की ओर

महाकुंभ ने राष्ट्र को यह संदेश दिया कि जिस प्रकार करोड़ों श्रद्धालु जाति, भाषा और क्षेत्र की सीमाओं से परे एकजुट होकर इस आयोजन का हिस्सा बने, उसी तरह हमें विकसित भारत के निर्माण में भी एकजुट होना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारत के भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत बताया और इसे युग परिवर्तन की आहट करार दिया।

समापन और अगली यात्रा: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की ओर

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में बताया कि वह शीघ्र ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रथम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने जाएंगे। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर महाकुंभ की आध्यात्मिक चेतना को संपूर्णता प्राप्त हुई, लेकिन इसकी ऊर्जा और एकता की धारा भविष्य में भी भारत को प्रेरित करती रहेगी।

The Prayagraj Kumbh Mela has once again demonstrated India’s deep-rooted spiritual and cultural heritage. Prime Minister Narendra Modi, in his recent blog, described it as the “Mahakumbh of Unity”, symbolizing the awakening of a new India. With millions of devotees participating without formal invitations, the grand scale of this event has amazed the world. The seamless execution of such a massive gathering highlights India’s exceptional management capabilities. As India moves towards becoming a developed nation, the unity and cultural consciousness witnessed at the Kumbh Mela serve as a beacon of inspiration for generations to come.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।

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