AIN NEWS 1 | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच व्हाइट हाउस में हुई बहस के बाद रूस को बड़ा रणनीतिक लाभ मिल गया है। अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी जाने वाली मदद पर सवाल उठाए जाने से अब इस युद्ध की दिशा बदलती नजर आ रही है।
अमेरिका ने बीते तीन वर्षों में यूक्रेन को 114 बिलियन यूरो की सहायता दी थी, जो कि यूक्रेन को दुनिया से मिलने वाली कुल सहायता का लगभग आधा हिस्सा था। अब अगर अमेरिका इस सहायता को बंद करता है तो यूक्रेन के लिए रूस के खिलाफ लड़ाई जारी रखना मुश्किल हो जाएगा।
NATO में फूट से रूस को लाभ
संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर अमेरिका का नरम रवैया देखकर पहले ही यह अंदेशा लगने लगा था कि अमेरिका अब यूक्रेन के समर्थन में नहीं है। अमेरिका के इस बदले हुए रुख के कारण NATO के सदस्य देशों के बीच मतभेद उभर आए हैं।
रूस ने NATO के विस्तार को रोकने के लिए ही यूक्रेन पर हमला किया था, और अब जब NATO में ही दरार दिख रही है, तो यह रूस के लिए एक बड़ी जीत साबित हो सकती है।
तीन साल तक संघर्ष, अब रूस को बढ़त
बीते तीन वर्षों में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध लगभग बराबरी का रहा है। रूस ने यूक्रेन के 20% क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, लेकिन उसे भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। यूक्रेन ने भी रूसी इलाकों में हमले किए हैं, जिससे रूस को कई बार भारी नुकसान उठाना पड़ा।
लेकिन अब अमेरिकी समर्थन खत्म होने और NATO में अंदरूनी मतभेद बढ़ने के कारण यूक्रेन कमजोर स्थिति में आ गया है। यदि अमेरिका पूरी तरह से मदद बंद कर देता है, तो आने वाले एक या दो महीनों में यूक्रेन को रूस के आगे समर्पण करना पड़ सकता है।
भविष्य की रणनीति और यूक्रेन की उम्मीदें
फ्रांस और ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को मदद जारी रखने का आश्वासन दिया है, लेकिन अमेरिका के हटने से यह जंग और कमजोर होगी। अब सभी की नजर इस बात पर होगी कि क्या NATO और अन्य पश्चिमी देश यूक्रेन को पर्याप्त सहायता देकर रूस को रोक पाएंगे या नहीं।
क्या अमेरिका का यह बदला हुआ रुख रूस को युद्ध में जीत दिला सकता है? यह सवाल अब दुनिया के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है।