Iran Suppresses Dissent Amid Israel Conflict: Over 700 Arrested, Borders Sealed
AIN NEWS 1: तेहरान से आई एक सख्त खबर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इजरायल के साथ बढ़ते तनाव और हाल ही में हुए सैन्य संघर्ष के बीच, ईरान की सरकार ने आंतरिक विद्रोह की आशंका के चलते देशभर में सख्ती बढ़ा दी है। सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के नेतृत्व में शासन ने उन सभी पर कार्रवाई शुरू कर दी है, जो सरकार के विरोधी माने जा रहे हैं या जिन पर विरोध फैलाने का शक है।
सरकार ने चलाया देशव्यापी ‘क्रैकडाउन’
सरकार की कार्रवाई किसी आपातकाल जैसी स्थिति का एहसास दिला रही है। विरोध की संभावित आवाजों को दबाने के लिए सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो चुकी हैं। अब तक 705 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिन पर इजरायल समर्थक होने और सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। इनमें से कई लोग वो हैं जो पहले भी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं।
सेना की तैनाती और सीमाओं की सीलिंग
कुर्द-बहुल क्षेत्रों को सबसे अधिक अस्थिर और संवेदनशील माना जा रहा है। इन्हीं इलाकों में सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही ईरान की सीमाएं—ईराक, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से लगती सरहदें—पूरी तरह सील कर दी गई हैं। सरकार को आशंका है कि बाहरी ताकतें देश में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर सकती हैं, खासकर इजरायल के साथ जारी संघर्ष के चलते।
मानवाधिकार संगठन HRNA की रिपोर्ट
अमेरिकी मानवाधिकार संगठन HRNA ने खुलासा किया है कि ईरान में 705 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें से कई नागरिक समाज से जुड़े लोग और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन लोगों को बिना किसी मुकदमे या कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में लिया गया है।
इस्लामी शासन और असहमति का दमन
ईरान की शासन व्यवस्था इस्लामी कानून यानी शरीयत पर आधारित है। यहां सरकार और धर्म एक साथ चलते हैं। असहमति की आवाज़ों को हमेशा से ‘धार्मिक अपमान’ या ‘राष्ट्रद्रोह’ के नाम पर दबाया जाता रहा है। अब जबकि देश इजरायल के साथ युद्ध जैसे हालात में है, तो विरोध को राष्ट्र के खिलाफ साजिश के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
इजरायल के हमलों से बढ़ा तनाव
इस पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में इजरायल के हालिया हवाई हमले हैं। इजरायल ने दावा किया है कि उसने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है। इजरायली अधिकारियों का कहना है कि उनका उद्देश्य ईरान की परमाणु क्षमताओं और मिसाइल विकास को रोकना है। इस हमले के बाद ईरान ने आंतरिक सुरक्षा को लेकर अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है।
विद्रोह की आहट या भय का माहौल?
यह स्पष्ट है कि सरकार के इस कदम का मकसद विरोध को दबाना है। लेकिन क्या यह तरीका लोगों के गुस्से को और नहीं बढ़ाएगा? युवाओं और महिलाओं के बीच पहले ही असंतोष है, जिसे पिछले साल ‘महसा अमीनी आंदोलन’ के रूप में देखा जा चुका है। अब दोबारा वही आक्रोश उठने का खतरा है।
Amid growing tensions between Iran and Israel, Ayatollah Khamenei has initiated a sweeping crackdown on suspected dissidents. Over 700 arrests have been made, primarily in Kurdish regions, with Iran’s borders with Iraq, Pakistan, and Afghanistan completely sealed. Human rights groups, including HRNA, have raised concerns over this suppression. The move appears to be a direct response to Israel’s recent airstrikes on Iranian military and nuclear sites, escalating the conflict further.