AIN NEWS 1 | महाराष्ट्र सरकार ने हिंदी भाषा को स्कूलों में अनिवार्य बनाने के फैसले पर फिलहाल रोक लगाने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि त्रिभाषा नीति पर आगे विचार करने के लिए एक नई समिति गठित की जाएगी। जब तक यह समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपती, तब तक त्रिभाषा नीति पर जारी दोनों सरकारी आदेश (GR) रद्द कर दिए गए हैं।
फडणवीस ने कहा कि “त्रिभाषा नीति के क्रियान्वयन को लेकर कई पक्षों की चिंताएं सामने आई हैं। इसलिए हमने डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति बनाने का निर्णय लिया है, जो इस विषय पर गहराई से अध्ययन करेगी और सभी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श करेगी।”
कैबिनेट की बैठक में यह तय हुआ कि त्रिभाषा नीति का केंद्र बिंदु मराठी भाषा ही रहेगा। सरकार ने पहले जो GR जारी किए थे, उनमें मराठी, अंग्रेजी और हिंदी को क्रमशः पहली, दूसरी और तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने की बात थी। लेकिन अब स्पष्ट किया गया है कि तीसरी भाषा को पहली कक्षा से नहीं बल्कि तीसरी कक्षा से पढ़ाया जाएगा और वह कोई भी भारतीय भाषा हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार द्वारा गठित माशेलकर समिति की रिपोर्ट का भी ज़िक्र किया। उन्होंने बताया कि यह रिपोर्ट 2021 में सौंपी गई थी और 2022 में कैबिनेट में मंजूरी भी दी गई थी। इस रिपोर्ट में भी त्रिभाषा सूत्र की सिफारिश की गई थी, जिसमें हिंदी भाषा को भी शामिल किया गया था।
फडणवीस ने कहा कि कुछ लोग इस विषय पर भ्रम फैला रहे हैं, जबकि असल में मराठी भाषा और विद्यार्थियों का हित सर्वोपरि है। सरकार इस नीति को छात्र-केंद्रित बनाएगी और सभी पक्षों की राय लेकर अंतिम निर्णय लेगी।
सरकार का मानना है कि अगर हिंदी और अंग्रेजी जैसी भाषाओं के विद्यार्थियों को नंबर मिलते हैं और मराठी छात्रों को नहीं, तो यह अन्याय होगा। इसलिए नीति पर फिर से विचार जरूरी है। समिति की सिफारिशों के आधार पर नई त्रिभाषा नीति लागू की जाएगी।
The Maharashtra government has suspended its decision to make Hindi a compulsory language in schools. Chief Minister Devendra Fadnavis announced that a new committee headed by Dr. Narendra Jadhav will study the trilingual language policy, which prioritizes Marathi, considers English as a secondary language, and allows flexibility in choosing a third Indian language from grade three onwards. This move comes amid rising debates about language imposition and aims to ensure a student-centric, inclusive education framework.