AIN NEWS 1: गाजियाबाद के राजेंद्र नगर की बाबू जगजीवन राम कॉलोनी के लोग इन दिनों बेहद परेशान हैं। वजह है—गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) की ओर से जारी एक नोटिस, जिसमें कॉलोनी के 172 घरों को 15 दिन के भीतर खाली करने को कहा गया है। नोटिस के अनुसार, ये घर लगभग 50 साल पहले एक पार्क की ज़मीन पर बने थे, जो कि नियमों के खिलाफ है।
क्या है मामला?
बाबू जगजीवन राम कॉलोनी, राजेंद्र नगर के अंदर बसाई गई एक पुरानी बस्ती है। इसमें लगभग 172 घर हैं, जिनमें कई परिवार पिछले 40–50 साल से रह रहे हैं। जीडीए का कहना है कि यह पूरी कॉलोनी 2,864 वर्ग मीटर पार्क की जमीन पर बनी है, जिसे कब्जा करके अवैध रूप से मकान बना लिए गए। इसी आधार पर यह नोटिस जारी किया गया है।
नोटिस में क्या कहा गया है?
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने साफ कहा है कि अगर 15 दिन के भीतर लोगों ने मकान खाली नहीं किए, तो तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। प्राधिकरण का दावा है कि यह फैसला पूरी तरह कानूनी है और इसकी सिफारिश खुद उच्च स्तर पर की गई है।
कैसे सामने आया यह मामला?
इस कॉलोनी का नाम एक याचिका के बाद चर्चा में आया। 2023 में एनजीटी (National Green Tribunal) में एक याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता सुशील राघव का कहना है कि उन्होंने अपनी अर्जी में इस कॉलोनी का जिक्र नहीं किया था। उनका मुद्दा तो सिर्फ यह था कि कुछ औद्योगिक इकाइयों ने पार्क की जमीन में एक सड़क बना ली है। लेकिन लगता है कि उस याचिका के बाद GDA ने एक सर्वे कराया और पाया कि बाबू जगजीवन राम कॉलोनी भी पार्क की जमीन पर बनी है। इसी के आधार पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।
प्रशासनिक स्तर पर क्या हुआ?
साल 2024 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, जिसमें निर्णय लिया गया कि पार्क की जमीन पर बनी सभी अवैध संरचनाओं, घरों, सड़कों और फैक्ट्रियों को हटाया जाएगा। इस फैसले के बाद ही नोटिस जारी किए गए हैं। GDA के एक अधिकारी के अनुसार, नोटिस मिलने के बाद अब GDA के पास पूरी छूट है कि वह कभी भी तोड़फोड़ की कार्रवाई कर सकता है।
आगे की कानूनी प्रक्रिया क्या होगी?
सरकार की ओर से NGT को सूचित किया गया है कि 13 जुलाई को इस मुद्दे पर एक समीक्षा बैठक प्रस्तावित है। एनजीटी ने सरकार को तीन हफ्तों में कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 29 अगस्त 2025 को होनी है। अब सवाल यह है कि GDA इस सुनवाई से पहले कार्रवाई करेगा या इंतज़ार करेगा।
निवासियों की हालत—डरे, सहमे और परेशान
इस नोटिस के बाद कॉलोनी के लोगों में अफरा-तफरी मच गई है। कई परिवार ऐसे हैं जो आधी सदी से यहां रह रहे हैं। रतन नाम के एक निवासी ने कहा,
“हमारे माता-पिता ने यह घर खरीदा था, अब हम रह रहे हैं। कई लोग तो मर चुके हैं। इतने सालों बाद अचानक बताया जा रहा है कि ये मकान अवैध हैं और तोड़ दिए जाएंगे। अगर ये अवैध थे, तो बेचने वालों को किसी ने रोका क्यों नहीं? क्या प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?”
कई लोगों का सवाल है कि जब मकान बनाए जा रहे थे, रजिस्ट्री हो रही थी, बिजली-पानी के कनेक्शन दिए जा रहे थे—तब कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? अब जब तीन पीढ़ियां वहां बस चुकी हैं, तो अचानक उन्हें बेदखल करने की प्रक्रिया न्यायसंगत नहीं लगती।
कहां जाएं ये लोग?
172 परिवारों का जीवन इस फैसले के बाद अनिश्चितता में घिर गया है। अधिकांश लोग आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं कि नई जगह घर खरीद सकें या किराये पर शिफ्ट हो जाएं। न तो किसी पुनर्वास की बात हो रही है, न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था बताई गई है। यही बात लोगों को सबसे अधिक विचलित कर रही है।
यह मामला सिर्फ जमीन पर कब्जे का नहीं है, यह आम लोगों के अस्तित्व और सरकारी व्यवस्था की ज़िम्मेदारी का भी है। अगर वाकई यह निर्माण अवैध है, तो सवाल यह भी बनता है कि इतने सालों तक इसे नजरअंदाज क्यों किया गया? और क्या अब अचानक इस पर कार्रवाई करना मानवीय दृष्टिकोण से उचित है?
आने वाले हफ्तों में GDA का कदम और NGT की सुनवाई यह तय करेगी कि इन 172 परिवारों का भविष्य क्या होगा—छत के नीचे जीवन या फिर सड़क पर संघर्ष।
The Ghaziabad Development Authority (GDA) has issued a 15-day eviction notice for 172 houses in Babu Jagjivan Ram Colony, Rajendra Nagar. These homes are allegedly built on 2,864 sq. meters of designated park land. The issue surfaced after a National Green Tribunal (NGT) petition. As legal proceedings continue, residents face uncertainty and fear displacement. Read the full story on the Ghaziabad demolition notice, GDA’s actions, and the next hearing date.