AIN NEWS 1 | उत्तर प्रदेश के खेल जगत से जुड़ी एक भयावह घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। राधिका यादव, जो एक होनहार टेनिस खिलाड़ी थीं, उनकी हत्या उनके ही पिता दीपक यादव ने कर दी। इस दिल को झकझोर देने वाली घटना ने सिर्फ एक परिवार को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को सवालों के कटघरे में ला खड़ा किया है।
रिमांड में कबूलनामाः अपराधी लेकिन शर्मिंदा नहीं
पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद दीपक यादव ने जो बयान दिया, वो सुनकर हर कोई सन्न रह गया। उसने बेझिझक स्वीकार किया कि उसने ही अपनी बेटी की हत्या की है और फिर बोला –
“अब पछताने से क्या होगा, जो होना था वो हो गया।”
इस बयान में किसी भी तरह का अपराधबोध या पछतावा नहीं दिखा। उसकी यह प्रतिक्रिया पुलिस अधिकारियों के लिए भी चौंकाने वाली थी।
मानसिक स्थिति या असंवेदनशीलता?
अब सवाल उठ रहा है – क्या दीपक मानसिक रूप से अस्थिर था, या फिर यह एक खतरनाक सोच का परिणाम था?
राधिका न केवल एक उभरती खिलाड़ी थी, बल्कि उसने कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय टूर्नामेंट्स में पुरस्कार भी जीते थे। उसके भविष्य को लेकर उसकी मां और कोच को बहुत उम्मीदें थीं।
परिवार के करीबी लोगों का कहना है कि पिता-पुत्री के बीच लंबे समय से मतभेद थे, खासकर राधिका की सोशल मीडिया सक्रियता और स्वतंत्र सोच को लेकर। दीपक को शायद यह सब “परिवार के मान-सम्मान” के खिलाफ लगता था।
सोशल मीडिया पर बढ़ती पहचान से असहज था पिता
राधिका सोशल मीडिया पर अपने टेनिस करियर और जीवनशैली से जुड़े अपडेट्स पोस्ट करती रहती थी। उसके फॉलोअर्स बढ़ रहे थे, और लोग उसकी मेहनत की सराहना कर रहे थे।
परंतु दीपक को ये सब पसंद नहीं था। कई बार वो राधिका को पोस्ट हटाने के लिए कहता था, जिससे घर में तनाव बढ़ता गया।
घटना कैसे हुई?
घटना वाले दिन राधिका घर पर आराम कर रही थी, क्योंकि उसे एक टूर्नामेंट की तैयारी करनी थी। तभी दीपक और राधिका के बीच कहासुनी शुरू हो गई, जो अचानक हिंसा में बदल गई।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, घर से जोर-जोर की आवाजें आईं। जब अन्य परिजन कमरे में पहुंचे, तो राधिका ज़मीन पर लहूलुहान पड़ी थी। दीपक वहीं खड़ा था, पूरी तरह शांत।
पुलिस को सूचना दी गई और उसने मौके पर ही दीपक को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस जांच और संभावित मानसिक मूल्यांकन
पुलिस ने दीपक को तीन दिन की रिमांड पर लिया, जहां उसने हत्या की बात स्वीकार कर ली। पुलिस अधिकारी ने कहा कि
“उसके बयान और भावनाहीन व्यवहार को देखते हुए, हमें उसकी मानसिक स्थिति की भी जांच करनी होगी।”
यह केवल एक क्राइम केस नहीं है, यह पारिवारिक तनाव, ईगो, और मानसिक असंतुलन का मिलाजुला मामला बन चुका है।
मां का बयान – “मेरी बेटी तो मेरा सपना थी”
राधिका की मां इस पूरे हादसे के बाद गहरे सदमे में हैं। रोते हुए उन्होंने कहा:
“राधिका देश के लिए खेलना चाहती थी। वह हम सबकी उम्मीद थी। उसने कभी किसी से बदतमीजी नहीं की।”
उनके अनुसार, राधिका छोटी उम्र से ही खेलों में रुचि रखती थी और हर दिन घंटों अभ्यास करती थी। उसकी दुनिया केवल टेनिस थी।
परिवार या जेल – असली कैद कहां है?
यह घटना एक गहरी सोच को जन्म देती है – क्या कुछ माता-पिता अपने बच्चों की स्वतंत्रता को स्वीकार नहीं कर पाते? क्या घर ही कैद बनते जा रहे हैं?
समाजशास्त्रियों का कहना है कि
“आज के समय में कुछ अभिभावक बच्चों की तरक्की को अपनी ताकत नहीं, बल्कि अपनी सत्ता के खत्म होने जैसा महसूस करते हैं।”
यही सोच रिश्तों को ज़हर बना देती है।
राधिका यादव का जाना एक होनहार खिलाड़ी की नहीं, बल्कि एक बेटी, एक सपना, और एक उम्मीद का अंत है।
उसका अपराध सिर्फ इतना था कि वह आज़ाद सोचती थी और अपने सपनों को लेकर दृढ़ थी।
यह मामला केवल एक हत्या नहीं है, यह हमारे समाज के उस पक्ष को उजागर करता है जहाँ रिश्तों में नियंत्रण की भूख, समझ और प्यार को मार देती है।
हमें यह समझने की जरूरत है कि संवाद, सहनशीलता और मानसिक स्वास्थ्य की चर्चा अब “विकल्प” नहीं, बल्कि “जरूरत” बन चुकी है।
Radhika Yadav, a promising tennis player from India, was tragically murdered by her own father, Deepak Yadav. In a chilling police confession, Deepak admitted to the crime and displayed no remorse during remand. This brutal act not only shook the sporting world but also sparked debate on rising mental health issues, domestic stress, and parental control in India. The investigation continues as the nation mourns the untimely loss of a rising star.