Ainnews1.com: बताते चले हाल ही में भारत के कर्नाटक राज्य में हिजाब को लेकर एक बहुत बड़ी बहस शुरू हुई थी। वहीं, अब ईरान में एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे लगता है कि वहां महिलाएं हिजाब से पुर्ण रूप से मुक्ति पाना चाहती हैं। दरअसल, ईरान एक बेहद कट्टरपंथी देश है। वहां महिलाओं के लिए हिजाब पहनना बिलकुल अनिवार्य है। वहां, जो भी महिलाएं अनिवार्य ड्रेस कोड का पालन नहीं करती हैं, उनको वहा काफ़ी प्रताड़ित किया जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ 22 साल की एक महसा अमीनी के साथ। हिजाब ना पहनने के आरोप में महला की गिरफ्तारी की गई। बाद मे पुलिस हिरासत में उनकी मौत हो गई।  युवती की मौत के बाद अब सोशल मीडिया पर लोग काफ़ी गुस्से में हैं और अब ईरान में महिलाओं के खिलाफ लागू इस ड्रेस कोड को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मृतक युवती अमिनी के परिजनों ने पुलिस पर काफ़ी प्रताड़ना का आरोप लगाया है। अमिनी की मां का कहना है कि पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद उनकी बेटी को मार डाला है, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। वहीं, ईरानी पुलिस इन आरोपों से बिलकुल इनकार कर रही है। युवती की मौत के बाद ईरान के लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं में काफ़ी नाराजगी है, सभी ने मामले की जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठौर कार्रवाई करने की मांग की गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये मामला इसी 13 सितंबर का है।
22 साल की महसा अपने परिजनों से मिलने के लिए तेहरान आईं हुई थी। उस वक्त उन्होंने वहा हिजाब नहीं पहन रखा था, जिसके कारण पुलिस ने महसा को तुरन्त गिरफ्तार कर लिया था। इसके तीन दिन बाद यानी 16 सितंबर को महसा की मौत पुलिस कस्टडी में ही हो गई। वहीं, ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि जब महसा को गिरफ्तार किया गया था तो उसके कुछ घंटो बाद ही वे सदमे से कोमा में चली गईं थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल मे ले जाया गया था। जहां बाद में उनकी दर्द नाक मौत हो गई। वहीं परिजनों का कहना है कि महसा बिल्कुल ही ठीक थी, उन्हें कोई बीमारी भी नहीं थी। फिलहाल महसा की मौत को संदिग्ध बताया जा रहा है। वहीं, ईरान में मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ काम करने वाले एक चैनल का कहना है कि अमिनी महसा की मौत सिर में चोट लगने के कारण ही हो गई है। फिलहाल इस मामले में वैश्विक स्तर पर ईरान पुलिस और वहां की सरकार की काफ़ी आलोचना की जा रही है। ईरान के लोग भी मामले में कठौर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इसके लिए सोशल मीडिया पर NO2Hijab हैशटैग कैंपेंन भी तेजी से चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि ईरान में 1979 में हिजाब को अनिवार्य कर दिया गया था।

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