Uday Nath Removed as Kanpur CMO After High Court Stay, Transferred Back to Shravasti
कानपुर सीएमओ पद से डॉ. उदय नाथ हटे, हाईकोर्ट के स्टे आदेश के बाद शासन ने बदला फैसला
AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर नगर के मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) पद पर हाल ही में किए गए तबादले में बड़ा बदलाव करते हुए डॉ. उदय नाथ को हटाने का आदेश जारी किया है। यह निर्णय हाईकोर्ट के निर्देश के बाद लिया गया है, जिसमें पूर्व CMO डॉ. हरिदत्त नेमी को राहत प्रदान की गई थी। शासन ने आदेश में स्पष्ट किया है कि डॉ. उदय नाथ अब फिर से अपने पुराने पद, श्रावस्ती जिले में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी के तौर पर कार्यभार संभालेंगे।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश शासन के चिकित्सा अनुभाग-2 द्वारा दिनांक 16 जुलाई, 2025 को एक सरकारी आदेश जारी किया गया है, जिसमें बताया गया है कि डॉ. उदय नाथ को 19 जून, 2025 के आदेश के तहत कानपुर नगर के मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर तैनात किया गया था।
इससे पहले, कानपुर के CMO पद पर डॉ. हरिदत्त नेमी कार्यरत थे। परंतु, शासन के इस तबादले आदेश के विरुद्ध उन्होंने लखनऊ उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच में एक रिट याचिका दायर की थी (रिट संख्या-7173/2025)।
हाईकोर्ट का आदेश और उसका प्रभाव:
दिनांक 07 जुलाई, 2025 को माननीय उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए डॉ. हरिदत्त नेमी को अंतरिम राहत प्रदान की। कोर्ट ने शासन के तबादले आदेश को चुनौती देने पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए CMO पद पर डॉ. उदय नाथ की नियुक्ति को रोके जाने की बात मानी।
इस स्टे ऑर्डर के मद्देनज़र, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने पुराने आदेश को स्थगित कर दिया है। इसका अर्थ है कि फिलहाल डॉ. उदय नाथ कानपुर नगर के CMO नहीं रहेंगे।
शासन का नया आदेश क्या कहता है?
शासन ने आदेश संख्या-2373/सेक-2-पाँच-2025 के तहत निर्णय लिया है कि डॉ. उदय नाथ अब पूर्ववत श्रावस्ती जनपद में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर बने रहेंगे। 19 जून, 2025 को जारी किए गए उनके कानपुर नगर में तैनाती संबंधी आदेश को आगामी आदेशों तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
यह आदेश विशेष सचिव आर्यिका अखौरी द्वारा हस्ताक्षरित है और विभिन्न संबंधित अधिकारियों को इसकी प्रतिलिपि सूचनार्थ भेजी गई है।
किस-किस को भेजा गया है आदेश?
यह आदेश कई विभागों और अधिकारियों को भेजा गया है, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
महालेखाकार, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज
महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं
महानिदेशक, परिवार कल्याण
मिशन निदेशक, एनएचएम
जिलाधिकारी, कानपुर नगर
मुख्य चिकित्साधिकारी, कानपुर नगर एवं श्रावस्ती
वरिष्ठ कोषाधिकारी, दोनों जिलों के
तकनीकी सहयोग इकाई, लखनऊ (जिसे आदेश साफ्टवेयर पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं)
पृष्ठभूमि और राजनीतिक संकेत:
स्वास्थ्य विभाग में ऐसे तबादलों को अक्सर प्रशासनिक कार्यवाही के तहत देखा जाता है, लेकिन जब मामला अदालत में पहुँचता है, तो इससे शासन की प्रक्रिया और संवेदनशीलता भी उजागर होती है।
डॉ. हरिदत्त नेमी ने कोर्ट में याचिका दायर कर यह तर्क दिया कि उनका तबादला नियमों के अनुरूप नहीं है और उनके साथ अन्याय हुआ है।
हाईकोर्ट के स्टे आदेश से यह स्पष्ट हो गया कि न्यायालय ने उनके पक्ष में प्राथमिक दृष्टि से ठोस आधार पाया, जिसके चलते सरकार को भी अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ा।
डॉ. उदय नाथ और डॉ. हरिदत्त नेमी – कौन हैं ये अधिकारी?
डॉ. उदय नाथ: एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी हैं, जिन्हें श्रावस्ती जनपद में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी के रूप में अनुभव प्राप्त है।
डॉ. हरिदत्त नेमी: कानपुर नगर में कार्यरत रहे वरिष्ठ चिकित्साधिकारी हैं, जिन्होंने कानूनी विकल्प का सहारा लेकर अपने पद की रक्षा की है।
जनता और स्वास्थ्य सेवाओं पर क्या असर?
इस घटनाक्रम से सीधे तौर पर जनता को कोई तात्कालिक प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन यह जरूर दर्शाता है कि वरिष्ठ अधिकारियों के पदस्थापन में न्यायिक प्रक्रिया भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
साथ ही, यह मामला प्रशासनिक पारदर्शिता और अधिकारी अधिकारों की सुरक्षा का भी एक उदाहरण बन गया है।
कानपुर नगर के CMO पद से डॉ. उदय नाथ की तैनाती फिलहाल स्थगित कर दी गई है और वे फिर से श्रावस्ती में कार्यरत रहेंगे। वहीं, डॉ. हरिदत्त नेमी को कोर्ट से राहत मिलने के बाद, शासन ने अपने पहले आदेश पर पुनर्विचार किया है। यह निर्णय प्रशासनिक संवेदनशीलता, न्यायिक प्रक्रिया और संतुलित निर्णय का उदाहरण है।
The Uttar Pradesh government has cancelled the transfer of Dr. Uday Nath as Chief Medical Officer (CMO) of Kanpur Nagar following a High Court stay order in favor of Dr. Haridatt Nemi. Dr. Nath, who was previously serving as Additional CMO in Shravasti, will return to his former post. This administrative decision highlights the role of judicial intervention in health department appointments and the importance of legal checks in bureaucratic transfers.



















