Supreme Court Stays Allahabad High Court Verdict on Sexual Assault Case
इलाहाबाद हाईकोर्ट के विवादास्पद फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें कहा गया था कि केवल स्तन पकड़ना बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इस पर रोक लगा दी और केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया।
क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 17 मार्च 2024 को एक आदेश में कहा था कि केवल स्तन पकड़ना और ‘पायजामे’ का नाड़ा खींचना बलात्कार नहीं माना जा सकता। हालांकि, यह अपराध महिला के खिलाफ हमले या आपराधिक बल के इस्तेमाल की श्रेणी में आता है।
यह फैसला न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया था। यह मामला उत्तर प्रदेश के कासगंज से जुड़ा था, जहां एक महिला ने आरोप लगाया था कि तीन व्यक्तियों ने उनकी 14 वर्षीय बेटी के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया था।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को असंवेदनशील और अमानवीय बताया। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के इस फैसले में संवेदनशीलता की कमी है।
पीठ ने कहा, “इस तरह की टिप्पणियां न केवल कानूनी रूप से गलत हैं, बल्कि समाज में गलत संदेश भी भेजती हैं। यह महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा के प्रति न्यायालय की जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े करता है।”
मामले की पृष्ठभूमि
इस पूरे मामले की शुरुआत नवंबर 2021 में हुई थी, जब कासगंज की एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि तीन व्यक्तियों ने उनकी नाबालिग बेटी के साथ रेप करने की कोशिश की।
महिला के मुताबिक, वह अपनी बेटी के साथ रिश्तेदार के घर से लौट रही थी, तभी तीन युवक—पवन, आकाश और अशोक—मिले और उन्होंने बेटी को बाइक से घर छोड़ने की पेशकश की। विश्वास करके महिला ने बेटी को उनके साथ भेज दिया।
लेकिन रास्ते में उन युवकों ने बच्ची के साथ दुर्व्यवहार करने की कोशिश की। जब ग्रामीण वहां पहुंचे, तो आरोपी भाग निकले। बाद में पीड़िता की मां ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाया।
हाईकोर्ट के फैसले को लेकर विवाद क्यों हुआ?
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों ने केवल स्तन पकड़ने और पायजामे का नाड़ा खींचने की कोशिश की, जो बलात्कार की परिभाषा में नहीं आता। हालांकि, यह अपराध भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत आता है, लेकिन इसे रेप नहीं माना जा सकता।
इस फैसले के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने इसे महिलाओं की सुरक्षा के लिए खतरा बताया और न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाए।
सुप्रीम कोर्ट का दखल और हाईकोर्ट के आदेश पर रोक
जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आया, तो कोर्ट ने तुरंत हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
पीठ ने कहा, “हमें यह कहने में संकोच नहीं कि हाईकोर्ट की टिप्पणियां असंवेदनशील हैं। ये टिप्पणियां न केवल महिलाओं की गरिमा के खिलाफ हैं, बल्कि न्याय की मूल भावना के भी विपरीत हैं।”
सरकार को नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब देने को कहा है।
अदालत ने यह भी कहा कि जजों को निर्णय लेते समय बेहद संवेदनशीलता और समझदारी से काम लेना चाहिए, क्योंकि उनके फैसलों का समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ता है.
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कानूनी और सामाजिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यह महिलाओं के खिलाफ अपराधों को गंभीरता से लेने की दिशा में एक मजबूत संदेश देता है।
The Supreme Court of India has put a stay on the Allahabad High Court’s ruling that merely touching a woman’s breast does not amount to rape. The court found the comments made in the judgment to be insensitive and against the principles of justice. The case, which originated from Uttar Pradesh’s Kasganj, involved an attempted sexual assault on a 14-year-old girl. The Supreme Court has also issued notices to the Central and Uttar Pradesh governments, emphasizing the need for sensitivity in handling sexual assault cases.