Ainnews1.com: बताते चले पॉपुलर फ्रट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के स्लीपर मॉडयूल तैयार करने के लिए परवेज आलम और मुफ्ती शहजाद आठ साल से पश्चिमी यूपी में सक्रिय रूप से काम कर रहे थे। गजवा ए हिंद बनाने की मुहिम को सफल बनाने के लिए वह युवकों को पीएफआई से जोड़ने के काम में जोरो शोरो से लगे हुए थे। एटीएस ने शनिवार को गाजियाबाद में मुरादनगर थानाक्षेत्र के गांव नेकपुर निवासी मुफ्ती शहजाद को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से दो धार्मिक किताबें भी बरामद की है।
परवेज आलम की तलाश के लिए पुलिस कलछीना में भी दबिश दे रही है। खुफिया विभाग की टीम ने शनिवार को गांव कलछीना और नेकपुर में डेरा डाल रखा है। एटीएस की टीम ने बुधवार रात को नेकपुर में छापा मारकर मुफ्ती शहजाद को अपने साथ ले गई थी। गुरुवार सुबह को भोजपुर थानाक्षेत्र के गांव कलछीना में भी छापा मारकर परवेज आलम को पकड़ लिया था, लेकिन वहा की महिलाएं एटीएस की टीम से उलझ गई थी, जिसका फायदा उठाकर परवेज आलम वहा से फरार हो गया था।
हिरासत में लिए गए उसके भाई और पिता को पुलिस ने शांतिभंग की धाराओं में चालान कर दिया गया है। भोजपुर पुलिस गांव कलछीना में दबिश दे रही है। खुफिया विभाग की टीम ने तीसरे दिन शनिवार को भी गांव कलछीना में डेरा डाल रखा है। टीम यह पता लगाने में लगी है कि कलछीना के साथ आसपास के गांवों में पीएफआई के कितने सदस्य सक्रिय हैं। बताया जा रहा है कि मोदीनगर और मुरादनगर क्षेत्र में सैकड़ों युवा पीएफआई से जुड़े हुए है।
बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने का काम भी कर रहा था
एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए गांव नेकपुर निवासी मुफ्ती शहजाद बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने का भी काम करता था। यह भी बताया जा रहा है कि वह पिछले कई साल से पीएफआई से जुड़ा हुआ था। वह पीएफआई का नेटवर्क तैयार करने में गांव-गांव जाकर लोगों को तकरीरें भी दिया करता था।
कई थानों में मामले दर्ज
गांव कलछीना निवासी परवेज आलम पीएफआई में आठ साल से काम कर रहा था। मुफ्ती शहजाद परवेज आलम के साथ मिलकर वेस्ट यूपी में पीएफआई का नेटवर्क तेजी से तैयार कर रहे थे। परवेज और शहजाद पर विभिन्न थानों में कई मुकदमे भी दर्ज हैं। वह पीएफआई की आड़ में मुस्लिम समाज के युवकों को उकसा रहे थे। वह बताते थे कि पीएफआई तब तक नहीं रुकेगा, जब तक गजवा ए हिंद का मकसद पूरा नही कर लिया जाए।
एटीएस की छापेमारी के बाद कलछीना में शनिवार को सन्नाटा सा पसरा हुआ है। ग्रामीण अब परवेज के बारे में बात करने से भी कतरा रहे है। पीएफआई की रसीद कटवाने वाले लोग बाहर भी नहीं निकल रहे हैं। कई ने रसीद को फाड़ दिया है। रसीद कटवाने वाले पीएफआई का नाम लेने से परहेज कर रहे हैं।