AIN NEWS 1 | मालेगांव विस्फोट (2008) एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार कारण बना है एक चौंकाने वाला खुलासा, जो महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) के पूर्व पुलिस अधिकारी महबूब मुजावर ने किया है। उन्होंने दावा किया है कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था।
यह बयान उन्होंने 31 जुलाई 2025 को तब दिया जब एक अदालत ने इस केस में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया, जिनमें भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम भी शामिल है।
पूर्व अधिकारी का बयान – आदेश मिला था भागवत को पकड़ने का
महबूब मुजावर, जो उस समय ATS टीम का हिस्सा थे, ने कहा कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए धमाके की जांच के दौरान उन्हें मोहन भागवत समेत कुछ लोगों के खिलाफ गुप्त निर्देश मिले थे। उन्होंने बताया कि,
“मुझे कहा गया था कि राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और मोहन भागवत को गिरफ्तार किया जाए। परंतु ये आदेश व्यावहारिक रूप से संभव नहीं थे।”
मुजावर का कहना है कि उन्होंने इन आदेशों का पालन नहीं किया, क्योंकि उन्हें सच्चाई का अंदाज़ा हो गया था।
अदालत का फैसला और एटीएस की भूमिका पर सवाल
हाल ही में आए अदालती फैसले में सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया गया, और इससे पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने केस की कमान संभाली थी। कोर्ट ने यह माना कि एटीएस की जांच निष्पक्ष नहीं थी और कई बिंदुओं पर सवाल खड़े किए।
मुजावर ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा:
“यह निर्णय साबित करता है कि एटीएस की शुरुआती जांच में भारी गड़बड़ी थी और कुछ लोगों को गलत तरीके से फंसाने की कोशिश की गई।”
‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी पर भी उठाए सवाल
पूर्व ATS अधिकारी का मानना है कि मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश केवल इसलिए दिया गया था ताकि ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी को स्थापित किया जा सके।
“सब कुछ फर्जी था। भगवा आतंकवाद जैसी कोई चीज़ नहीं थी। सारा ड्रामा राजनीतिक उद्देश्य से किया गया।”
मुजावर ने दावा किया कि उनके पास इस आरोप के समर्थन में दस्तावेज़ी सबूत भी मौजूद हैं, जिन्हें वह सामने लाने को तैयार हैं।
आरोपों के कारण करियर हुआ बर्बाद
महबूब मुजावर ने बताया कि जब उन्होंने इन आदेशों का पालन करने से इनकार किया, तो उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज कर दिया गया। इसके चलते 40 साल की सेवा के बाद उनका करियर बर्बाद हो गया।
“मैंने जो नहीं किया, उसके लिए मुझे झूठे मामलों में फंसाया गया। यह मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा झटका था।”
वरिष्ठ अधिकारी का भी नाम लिया
इस दौरान उन्होंने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का नाम भी लिया (नाम लेख में नहीं दोहराया गया है)। उन्होंने कहा कि उस अधिकारी की ओर से ये ग़लत आदेश दिए गए थे और अदालत का हालिया फैसला उनकी ‘फर्जी जांच’ को बेनकाब करता है।
मालेगांव ब्लास्ट केस – एक नज़र में (Malegaon Case Overview):
विषय | जानकारी |
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घटना की तारीख | 29 सितंबर 2008 |
स्थान | मालेगांव, महाराष्ट्र |
मौतें | 6 |
घायल | 100+ लोग |
शुरुआती जांच एजेंसी | महाराष्ट्र ATS |
बाद में केस ट्रांसफर | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) |
मुख्य आरोपी | प्रज्ञा सिंह ठाकुर व अन्य 6 |
कोर्ट का निर्णय | सभी आरोपी बरी |
पूर्व ATS अधिकारी का यह बयान देश की राजनीति और सुरक्षा एजेंसियों की निष्पक्षता को लेकर नए सवाल खड़े करता है। अगर उनके दावे सही हैं, तो यह न केवल जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राजनीतिक एजेंडे के तहत किस तरह निर्दोषों को फंसाया जा सकता है।
हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि ऐसे आरोपों की निष्पक्ष जांच हो और दस्तावेज़ी प्रमाणों को परखा जाए।
In a dramatic twist in the Malegaon Blast Case 2008, retired ATS officer Mehboob Mujawar has claimed that he was given secret orders to arrest RSS chief Mohan Bhagwat. According to Mujawar, the aim behind this directive was to frame the concept of “Bhagwa (Saffron) Terrorism.” This statement comes after the acquittal of all seven accused, including BJP MP Pragya Singh Thakur, and raises serious questions about the investigation led initially by the Maharashtra ATS.