AIN NEWS 1 | अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो पहले 1 अगस्त 2025 से लागू होना था, लेकिन अब 7 अगस्त से लागू किया जाएगा। इस लिस्ट में कुल 92 देश शामिल हैं – भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान जैसे देशों पर अलग-अलग दरों से शुल्क लगाया गया है, जबकि चीन को इस बार छोड़ दिया गया।
भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने प्रतिक्रिया में कहा है कि सरकार राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगी। अब सवाल उठता है कि क्या भारत अमेरिका के इस फैसले के खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत कर सकता है? अगर हां, तो कहां और कैसे?
विदेशी व्यापार पर कौन करता है निगरानी?
जब दो देश एक-दूसरे से व्यापार करते हैं, तो केवल आपसी समझौते ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियम भी लागू होते हैं। यह नियम बनाता और देखरेख करता है – World Trade Organization (WTO) यानी विश्व व्यापार संगठन।
WTO का मुख्य काम होता है:
व्यापार नियम बनाना और लागू कराना
सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों का निपटारा करना
व्यापार नीतियों की निगरानी करना
विकासशील देशों को ट्रेड नियम समझने और लागू करने में मदद देना
भारत WTO का सदस्य है, इसलिए अगर कोई दूसरा सदस्य (जैसे अमेरिका) अनुचित या मनमाना टैरिफ लगाता है, तो भारत WTO के Dispute Settlement Mechanism (DSM) के तहत शिकायत दर्ज कर सकता है।
भारत कहां और कैसे दर्ज कर सकता है शिकायत?
भारत अमेरिका के खिलाफ WTO में निम्न प्रक्रिया के तहत शिकायत कर सकता है:
1. Consultation (सलाह-मशविरा):
भारत और अमेरिका के बीच 60 दिनों की बातचीत की जाती है।
अगर इस बातचीत में कोई समाधान नहीं निकलता, तो अगला कदम उठाया जाता है।
2. Panel Formation (पैनल गठन):
WTO एक स्वतंत्र विशेषज्ञों की समिति बनाता है, जो इस मामले की सुनवाई करती है।
दोनों पक्ष अपने दस्तावेज, सबूत और तर्क इस समिति के सामने पेश करते हैं।
3. Panel Report (रिपोर्ट):
पैनल अपनी रिपोर्ट जारी करता है, जिसमें फैसला दिया जाता है कि किस पक्ष की बात जायज़ है।
4. Appeal (अपील):
असंतुष्ट पक्ष WTO के Appellate Body में अपील कर सकता है (हालांकि यह संस्था 2020 के बाद से निष्क्रिय है)।
5. Enforcement (कार्रवाई):
अगर दोषी देश फैसला नहीं मानता, तो शिकायतकर्ता देश को प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाने की इजाजत दी जाती है।
क्या WTO से न्याय मिलना आसान है?
सैद्धांतिक रूप से, WTO का सिस्टम निष्पक्ष है, लेकिन वास्तविकता में इसकी शक्ति कमजोर हो चुकी है। अमेरिका ने पहले ही WTO के Appellate Body को फंड और नियुक्तियों के जरिए ठप कर रखा है, जिससे फैसलों की अंतिम अपील करना मुश्किल हो गया है।
इसका मतलब ये है कि अगर भारत अमेरिका के खिलाफ केस जीत भी जाता है, तो उसे फैसला लागू करवाने में कठिनाई हो सकती है।
अमेरिका में भी टैरिफ को लेकर विवाद
ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं, बल्कि अमेरिका के अंदर भी विवाद का कारण बन रहे हैं। अमेरिका के 12 राज्य और कई छोटे व्यापारी संगठनों ने ट्रंप की टैरिफ लगाने की शक्ति को अदालत में चुनौती दी है।
उनका तर्क है कि:
टैरिफ और टैक्स से जुड़े फैसले लेने का अधिकार केवल संसद (Congress) को है, न कि राष्ट्रपति को अकेले।
ट्रंप ने बिना जनमत और संसद की अनुमति के यह टैरिफ लगाए हैं।
इस कानूनी चुनौती से यह साफ हो जाता है कि ट्रंप की नीति न केवल अन्य देशों को प्रभावित कर रही है, बल्कि उनके अपने देश में भी विवादास्पद बन चुकी है।
भारत के लिए रणनीतिक रास्ते क्या हैं?
भारत के पास WTO में शिकायत करने के अलावा कुछ अन्य विकल्प भी हो सकते हैं:
द्विपक्षीय बातचीत: अमेरिका के साथ सीधे बात कर समाधान निकालना।
ट्रेड रिटैलिएशन: अमेरिका से आने वाले सामान पर भारत भी टैरिफ लगा सकता है।
वैश्विक समर्थन: अन्य प्रभावित देशों (जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, कनाडा) से मिलकर सामूहिक विरोध जताना।
WTO के भीतर गठबंधन: विकासशील देशों के समूह के साथ मिलकर WTO में दबाव बनाना।
मुख्य बिंदु (Quick Summary Table):
विषय | जानकारी |
---|---|
टैरिफ किसने लगाया | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप |
भारत पर टैरिफ | 25% (7 अगस्त से लागू) |
कहां कर सकता है भारत शिकायत | World Trade Organization (WTO) |
प्रक्रिया | सलाह → पैनल → रिपोर्ट → अपील |
मौजूदा स्थिति | WTO की ताकत कमजोर, Appellate Body निष्क्रिय |
अमेरिका में क्या स्थिति | ट्रंप के फैसले को राज्यों ने कोर्ट में चुनौती दी |
भारत अमेरिका के ट्रंप टैरिफ के खिलाफ WTO में औपचारिक शिकायत कर सकता है, लेकिन इस रास्ते में कई कानूनी और राजनीतिक अड़चनें हैं। WTO का सिस्टम वर्तमान में उतना प्रभावशाली नहीं रहा, जितना होना चाहिए। भारत को इस चुनौती से निपटने के लिए कूटनीतिक और वैकल्पिक रणनीति भी अपनानी होगी।
यह मुद्दा केवल भारत और अमेरिका का नहीं, बल्कि पूरे वैश्विक व्यापार प्रणाली की निष्पक्षता और विश्वसनीयता का सवाल है।
India can legally challenge the 25% tariffs imposed by US President Donald Trump at the World Trade Organization (WTO). WTO is the global body responsible for handling trade disputes and ensuring fair trade practices among its member nations. If a country imposes arbitrary tariffs violating trade agreements, affected nations like India can file a formal complaint through the WTO’s Dispute Settlement Mechanism (DSM). However, the enforcement of rulings remains a challenge, as WTO’s authority has weakened in recent years.