AIN NEWS 1 | देश की वित्तीय प्रणाली को अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए 2 अगस्त 2025 से कई नए बैंकिंग कानून और UPI से जुड़े नियम लागू कर दिए गए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य है — जमाकर्ताओं की पूंजी की सुरक्षा, निवेशकों का भरोसा मजबूत करना और डिजिटल बैंकिंग को और अधिक सुरक्षित बनाना।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, ये परिवर्तन भारतीय बैंकिंग ढांचे को वैश्विक मानकों के अनुसार तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।
क्या है नए बैंकिंग कानून का उद्देश्य?
सरकार ने ‘बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम 2025’ के तहत मौजूदा बैंकिंग व्यवस्थाओं को अपग्रेड किया है। इसका फोकस तीन प्रमुख बातों पर है:
जमाकर्ताओं और निवेशकों की पूंजी की सुरक्षा सुनिश्चित करना
बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना
बैंकों की सेवाओं को आधुनिक और तकनीकी रूप से मजबूत बनाना
वित्त मंत्रालय का कहना है कि इन बदलावों से बैंकिंग सेक्टर में ग्राहक सेवा बेहतर होगी, और वित्तीय प्रणाली लचीली और भरोसेमंद बनेगी।
कौन-कौन से पुराने कानून बदले गए हैं?
नए संशोधन अधिनियम के तहत निम्नलिखित पांच प्रमुख कानूनों में संशोधन किए गए हैं:
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949
बैंक राष्ट्रीयकरण अधिनियम, 1970
बैंक राष्ट्रीयकरण अधिनियम, 1980
बैंकिंग कंपनियों (अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970
इन सुधारों के ज़रिए बैंकों की संरचना को मजबूत बनाया जाएगा, और ग्राहकों की शिकायत निवारण प्रणाली को प्रभावशाली बनाया जाएगा।
UPI नियमों में क्या नए बदलाव हुए हैं?
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने बढ़ते डिजिटल लेन-देन के दबाव को देखते हुए UPI से संबंधित नियमों में भी बदलाव किए हैं, जो आज से लागू हो गए हैं।
नए UPI नियम इस प्रकार हैं:
नई UPI ऐप की सक्रियता में समय:
जब कोई नया UPI ऐप (जैसे PhonePe, GPay आदि) रजिस्टर किया जाएगा, तो उसे पूरी तरह से एक्टिव होने में 4 घंटे लगेंगे।बड़े लेन-देन पर सुरक्षा:
पहली बार यदि ₹10,000 या अधिक का ट्रांजैक्शन किया जाता है, तो वह 24 घंटे की कूलिंग अवधि के बाद ही सफल होगा।ऑटो डेबिट भुगतान में सुधार:
किसी भी ऑटो डेबिट सेवा (EMI या सब्सक्रिप्शन) को पुनः चालू करने के लिए 90 दिनों का अंतराल अनिवार्य होगा।पहले दिन ट्रांजैक्शन सीमा:
किसी व्यक्ति द्वारा UPI का पहली बार उपयोग करने पर, वह उसी दिन सिर्फ एक बार ट्रांजैक्शन कर सकेगा।
इन सभी उपायों का उद्देश्य है — डिजिटल फ्रॉड रोकना, उपयोगकर्ता की पूंजी की सुरक्षा करना और सर्वर पर अनावश्यक दबाव को कम करना।
इन बदलावों से क्या फायदे होंगे?
बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी।
निवेशकों और जमाकर्ताओं का भरोसा मजबूत होगा।
डिजिटल लेन-देन अधिक सुरक्षित और नियंत्रित हो सकेंगे।
ग्राहकों को तकनीक के माध्यम से अधिक सुरक्षा और सुविधाएं मिलेंगी।
UPI से संबंधित धोखाधड़ी और सिस्टम लोड में कमी आएगी।
सरकार का यह भी कहना है कि ये बदलाव डिजिटल इंडिया मिशन और फाइनेंशियल इनक्लूजन (सर्वव्यापी वित्तीय पहुंच) की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
आम उपभोक्ता पर इसका क्या असर होगा?
नए बैंकिंग कानूनों से बैंक की जिम्मेदारियां स्पष्ट होंगी।
ग्राहक को लेन-देन की अधिक सुरक्षा और भरोसेमंद सिस्टम मिलेगा।
पहली बार डिजिटल बैंकिंग उपयोग करने वालों के लिए प्रोटेक्टेड ऑनबोर्डिंग सुनिश्चित होगी।
निवेशकों को अब बैंकों में अपने निवेश के लिए बढ़ी हुई पारदर्शिता और रेगुलेटेड वातावरण मिलेगा।
2 अगस्त 2025 से लागू हुए नए बैंकिंग कानून और UPI नियम देश की बैंकिंग व्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। ये बदलाव ना केवल बैंकों को तकनीकी रूप से उन्नत बनाएंगे, बल्कि आम लोगों को भी सुरक्षित और पारदर्शी बैंकिंग अनुभव देंगे।
डिजिटल लेन-देन को सरल, तेज और सुरक्षित बनाने की दिशा में यह एक सशक्त कदम है, जो आम नागरिक से लेकर बड़े निवेशक तक सभी को लाभ देगा।
India enforces new banking reforms and updated UPI rules from August 2, 2025, to enhance financial security and promote transparency. The Banking Laws (Amendment) Act 2025 modifies five key acts to ensure depositor protection and improve investor trust. UPI transactions now follow strict guidelines to prevent fraud, control large transfers, and improve system efficiency. These changes are part of India’s Digital Mission to ensure safe, secure, and accountable banking operations nationwide.