AIN NEWS 1 | राजनीति में नेताओं के विवादास्पद बयानों की कमी नहीं होती, लेकिन जब कोई सांसद युवाओं को खुलेआम जेल जाने की सलाह दे, तो यह न केवल हैरानी बल्कि चिंता का विषय बन जाता है। राजस्थान से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल का एक ऐसा ही वीडियो इन दिनों इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह कहते नजर आ रहे हैं—
“अगर तुम मेरे लिए जेल चले जाओगे, तो मैं तुम्हें कामयाब कर दूंगा।”
यह वीडियो न केवल सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बन गया है, बल्कि इससे नेता और जनता के रिश्ते की गंभीरता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
क्या कहा सांसद हनुमान बेनीवाल ने?
वीडियो में हनुमान बेनीवाल एक सभा को संबोधित कर रहे हैं। अपने भाषण में वे युवाओं से कहते हैं:
“तुम मेरे लिए जेल चले जाओगे तो मैं तुम्हें कामयाब कर दूंगा। थाने में दो-तीन घंटे बैठ भी गए तो क्या फर्क पड़ जाएगा? उल्टा जेल जाने से आदमी होशियार बनता है। हमने तो अब जेल का खाना भी सुधरवा दिया है।”
इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि—
“इंदिरा गांधी के समय जो लोग जेल गए थे, वो आज एमपी और एमएलए बन गए हैं।”
उनका यह तर्क था कि जेल जाना न कोई शर्म की बात है, न डरने की बात, बल्कि यह राजनीति में आगे बढ़ने की एक सीढ़ी बन सकती है।
जेल को बना दिया “राजनीतिक कोचिंग क्लास”?
बेनीवाल के इस बयान से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या राजनीति में सफलता पाने के लिए आदर्श और संघर्ष जरूरी नहीं, बल्कि गिरफ्तारी और विवाद ही टिकट की गारंटी बन चुके हैं?
उनका अंदाज़ ऐसा था जैसे जेल एक तरह की प्रशिक्षणशाला (training center) हो जहां से निकलकर आप “राजनीति के योग्य” बन जाते हैं।
सोशल मीडिया पर बवाल
वीडियो को रविंद्र मीणा जहाजपुर नामक फेसबुक अकाउंट से शेयर किया गया है। अब तक इसे लाखों लोग देख चुके हैं और हजारों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है।
कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने मजाकिया अंदाज में लिखा—
“ये नेता है या जनता का दुश्मन?”
“नेता बनने के लिए जेल जाना जरूरी नहीं है सांसद महोदय।”
“लगता है ये भाई साहब कुछ भी बोलने से पहले सोचते नहीं हैं।”
पुरानी आदत, नया विवाद
यह पहली बार नहीं है जब हनुमान बेनीवाल किसी विवादित बयान को लेकर चर्चा में आए हों। वे अपने तीखे और बिंदास बयानों के लिए जाने जाते हैं।
हालांकि, इस बार उनका बयान सीधे युवाओं को उकसाने वाला प्रतीत होता है, जिससे कानून व्यवस्था और समाज पर गलत असर पड़ सकता है।
क्या है कानूनी और नैतिक पहलू?
नेताओं के ऐसे बयानों को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं कि क्या ऐसे वक्तव्य कानूनन आपत्तिजनक हैं?
IPC की धारा 505 और 153 के तहत ऐसे बयानों को उकसावे और शांति भंग करने वाला माना जा सकता है।
नैतिक रूप से भी यह नेताओं की जिम्मेदारी होती है कि वे युवाओं को सही दिशा में प्रेरित करें, न कि उन्हें अराजकता की तरफ धकेलें।
सांसद हनुमान बेनीवाल का यह बयान न केवल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, बल्कि यह इस बात की भी झलक देता है कि किस तरह राजनीति में बयानबाज़ी का स्तर गिरता जा रहा है।
राजनीतिक सफलता के लिए जेल को सीढ़ी बताना युवाओं के साथ अन्याय है। ऐसे वक्तव्यों से न केवल राजनीति का मज़ाक बनता है, बल्कि समाज में भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न होती है।
देश को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो समाज को जोड़ें, दिशा दें और प्रेरणा बनें—ना कि उन्हें जेल की राह दिखाएं।
In a controversial viral video, Rajasthan MP Hanuman Beniwal is seen urging youth to go to jail for him, claiming he would make them successful in return. The remark, widely circulated on social media, has sparked debates on whether political success in India now demands confrontation instead of contribution. With statements like “jail makes you smarter” and comparisons to Indira Gandhi-era arrests, Beniwal has drawn criticism for encouraging law-breaking among young followers. This video adds to his history of controversial speeches and raises serious questions about responsible leadership.