AIN NEWS 1 | हमारा दिल एक मजबूत और सतत काम करने वाली मांसपेशी है, जो शरीर में रक्त प्रवाह को सुचारु बनाए रखता है। इसके चार मुख्य वॉल्व होते हैं जो ब्लड के एक दिशा में फ्लो को सुनिश्चित करते हैं। लेकिन जब इन वॉल्व्स में से कोई एक ढंग से बंद नहीं हो पाता, तो ब्लड वापस पीछे की ओर बहने लगता है – यही कंडीशन लीकी हार्ट वॉल्व या वॉल्व रिगर्जिटेशन कहलाती है।
डॉक्टर सईद अफरीदी, जो कि एक अनुभवी हार्ट स्पेशलिस्ट हैं, बताते हैं कि यह समस्या काफी आम है, लेकिन लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं क्योंकि इसके लक्षण शुरुआती स्तर पर बहुत हल्के होते हैं। जब तक यह गंभीर नहीं हो जाता, तब तक मरीज को इसका पता नहीं चलता।
लीकी हार्ट वॉल्व कैसे होता है?
जब हार्ट का वॉल्व पूरी तरह से बंद नहीं हो पाता, तो हर धड़कन के साथ कुछ मात्रा में खून वापस बहने लगता है। यह वॉल्व एक तरह के वन-वे दरवाजे की तरह काम करते हैं, जो ब्लड को पीछे नहीं जाने देते। लेकिन यदि वे सही से काम नहीं करते, तो ब्लड गलत दिशा में लौटता है, जिससे हार्ट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
अगर यह लीक बहुत कम है, तो शायद शरीर पर ज्यादा असर न पड़े। लेकिन जब यह मॉडरेट या सीरियस लेवल पर पहुंचता है, तो यह हार्ट फेलियर, दिल का साइज बढ़ने, या अन्य जटिलताओं का कारण बन सकता है।
इसके लक्षण क्या हैं?
लीकी हार्ट वॉल्व के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं, इसलिए इसे “साइलेंट डेंजर” कहा जाता है। अक्सर लोग इसे सामान्य थकान या उम्र से जुड़ी परेशानी मान लेते हैं। लेकिन इन संकेतों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
सीने में दबाव या दर्द: खासकर चलने-फिरने या व्यायाम के दौरान।
थकान और कमजोरी: बिना ज्यादा मेहनत किए भी कमजोरी महसूस होना।
सांस लेने में परेशानी: सीढ़ी चढ़ते या एक्सरसाइज करते वक्त।
लेटते समय खांसी या सांस फूलना: यह फेफड़ों में फ्लूइड जमा होने का संकेत हो सकता है।
तेज़ या अनियमित हार्टबीट (Palpitations): हार्ट ज्यादा मेहनत करता है लीक को संभालने के लिए।
पैरों या एड़ियों में सूजन: खराब ब्लड सर्कुलेशन की वजह से फ्लूइड इकट्ठा होने लगता है।
क्या यह समस्या जानलेवा हो सकती है?
शुरुआती अवस्था में लीकी हार्ट वॉल्व जीवनशैली को खास प्रभावित नहीं करता, लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ता है, यह दिल की कार्यक्षमता को कम करता है, जिससे समय के साथ दिल कमजोर हो सकता है और हार्ट फेलियर की स्थिति बन सकती है। अगर सही समय पर इलाज न मिले, तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
कैसे होता है इसका पता?
इस बीमारी की पहचान के लिए कुछ सामान्य डायग्नोस्टिक टेस्ट होते हैं:
एकोकार्डियोग्राफी (Echo): दिल की संरचना और वॉल्व की स्थिति देखने के लिए सबसे जरूरी टेस्ट।
ECG (Electrocardiogram): हार्ट रिद्म का मूल्यांकन करता है।
चेस्ट एक्स-रे: हार्ट का साइज और फेफड़ों की स्थिति देखने के लिए।
ब्लड टेस्ट और फिजिकल एग्जामिनेशन से भी संकेत मिलते हैं।
इसका इलाज कैसे होता है?
इलाज का तरीका इस पर निर्भर करता है कि लीकेज कितना गंभीर है:
हल्की स्थिति में: नियमित जांच और जीवनशैली में सुधार जैसे – नमक कम करना, धूम्रपान छोड़ना, व्यायाम आदि।
मॉडरेट केस में: ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने और दिल के वॉल्व को सहारा देने वाली दवाएं।
गंभीर मामलों में: सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। इसमें या तो वॉल्व को रिपेयर किया जाता है या नया वॉल्व लगाया जाता है।
कैसे करें बचाव?
नियमित हेल्थ चेकअप: खासकर 40 की उम्र के बाद।
ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखें।
धूम्रपान और शराब से परहेज करें।
एक्टिव लाइफस्टाइल और संतुलित आहार अपनाएं।
सांस फूलने, थकावट या हार्टबीट में असामान्यता लगे तो डॉक्टर से जांच जरूर कराएं।
क्यों जरूरी है जागरूकता?
लीकी हार्ट वॉल्व ऐसी स्थिति है जो धीरे-धीरे विकसित होती है और जब तक यह गंभीर न हो जाए, तब तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। इस वजह से यह बीमारी अंडर-डायग्नोज्ड और अंडर-ट्रीटेड रह जाती है।
डॉक्टर अफरीदी के अनुसार, “अगर कोई भी असामान्य शारीरिक बदलाव महसूस हो रहा हो — जैसे सांस फूलना, बार-बार थकान, छाती में भारीपन — तो यह समझना जरूरी है कि यह हार्ट पर स्ट्रेस का संकेत हो सकता है। समय रहते जांच और इलाज दिल की लंबी उम्र के लिए जरूरी है।”
A leaky heart valve, medically known as heart valve regurgitation, occurs when one of the heart’s valves fails to close tightly, allowing blood to flow backward. While mild leaks may go unnoticed, moderate to severe leaks can cause heart failure, chest pressure, breathlessness, and fatigue. According to Dr. Saeed Afridi, many people remain undiagnosed due to subtle symptoms. Early diagnosis through echocardiography and appropriate treatment — including medication or valve repair surgery — can prevent complications and ensure long-term cardiac health.