AIN NEWS 1 | रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी एक बार फिर जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। मंगलवार को वे प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दिल्ली ऑफिस में पेश हुए, जहां उनसे 17,000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड मामले में पूछताछ की जा रही है।
यह मामला बेहद गंभीर है, क्योंकि इसमें अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की कई कंपनियों पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने बैंकों से लिया गया लोन ग़लत तरीके से इस्तेमाल किया और शेल कंपनियों के ज़रिए पैसे को इधर-उधर घुमाया।
📌 किन कंपनियों पर लगे हैं आरोप?
ईडी की जांच मुख्य रूप से रिलायंस ग्रुप की तीन प्रमुख कंपनियों पर केंद्रित है:
रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL)
रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL)
रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom)
इन कंपनियों ने देश के करीब 20 निजी और सरकारी बैंकों से भारी मात्रा में कर्ज लिया, लेकिन इस कर्ज को जिस उद्देश्य से लिया गया था, उसका पालन नहीं किया गया।
📌 क्या है लोन फ्रॉड का पूरा मामला?
जांच एजेंसी के अनुसार, इन कंपनियों ने बैंकों से हजारों करोड़ का लोन लेकर फर्जी दस्तावेजों और बैंक गारंटी का सहारा लिया। फिर इस रकम को शेल कंपनियों के ज़रिए इधर-उधर घुमाया गया, ताकि असली ट्रांजेक्शन्स को छुपाया जा सके।
ईडी के अनुसार, यह मनी लॉन्ड्रिंग का गंभीर मामला है और इसे PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत जांचा जा रहा है।
📌 कितना है बकाया?
ईडी की रिपोर्ट में बकाया राशि का उल्लेख साफ तौर पर किया गया है:
RHFL (रिलायंस होम फाइनेंस) – ₹5,901 करोड़
RCFL (रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस) – ₹8,226 करोड़
RCom (रिलायंस कम्युनिकेशंस) – ₹4,105 करोड़
इन सभी लोन को अब NPA (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) घोषित कर दिया गया है। यानी कि इनका भुगतान तय समय पर नहीं हुआ और बैंक इसे वसूल नहीं कर पा रहे हैं।
📌 क्यों बुलाया गया अनिल अंबानी को?
प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल अंबानी को इस लोन फ्रॉड मामले में उनकी भूमिका को लेकर तलब किया है। उनसे यह सवाल पूछा जा रहा है कि इन कंपनियों की वित्तीय गतिविधियों की निगरानी करने वाले प्रमुख अधिकारी के रूप में उन्होंने इन अनियमितताओं को कैसे नज़रअंदाज़ किया या फिर इनका हिस्सा क्यों बने।
सूत्रों के मुताबिक, ईडी को इस मामले में कई महत्वपूर्ण ट्रांजेक्शन और दस्तावेज मिले हैं, जिनमें अनिल अंबानी की सीधी या परोक्ष भूमिका की बात सामने आई है।
📌 क्या कहती हैं जांच एजेंसियां?
ईडी ने पिछले सप्ताह अनिल अंबानी को समन भेजा था। यह समन कथित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के अंतर्गत भेजा गया था। एजेंसी का कहना है कि लोन लेने के बाद उसे रियल एस्टेट, फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन्स और अन्य शेल कंपनियों में डाइवर्ट किया गया है, जिससे बैंकों को नुकसान हुआ।
यह भी सामने आया है कि इस घोटाले से जुड़े कई दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं और कई मामलों में गलत बैंक गारंटी का इस्तेमाल किया गया है।
📌 क्या हो सकती है अगली कार्रवाई?
यदि ईडी की पूछताछ में अनिल अंबानी से संतोषजनक जवाब नहीं मिलता, तो उन्हें फिर से पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। इसके अलावा, उनकी संपत्तियों को अटैच किया जा सकता है, और यदि पर्याप्त साक्ष्य मिले, तो गिरफ्तारी की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
वर्तमान में, ईडी इस मामले में बैंकों, ऑडिटर्स और संबंधित अधिकारियों से भी पूछताछ कर रही है ताकि पूरे मामले की परतें खोली जा सकें।
📌 क्या कहता है रिलायंस ग्रुप?
अब तक रिलायंस ग्रुप की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, पहले की मीडिया रिपोर्ट्स में रिलायंस ग्रुप इन आरोपों को राजनीतिक दबाव और झूठा प्रचार बता चुका है।
Anil Ambani, chairman of Reliance Group, appeared before the Enforcement Directorate (ED) in connection with a massive loan fraud case worth ₹17,000 crore. The investigation involves key Reliance companies — Reliance Home Finance Ltd (RHFL), Reliance Commercial Finance Ltd (RCFL), and Reliance Communications (RCom). These companies allegedly misused bank loans and diverted funds via shell companies. The loans taken from around 20 public and private banks have now turned into Non-Performing Assets (NPA). The ED is probing the case under the Prevention of Money Laundering Act (PMLA). Anil Ambani was summoned to explain his role in this high-profile financial scandal.



















