Uttarakhand Dharali Cloudburst Disaster: 4 Dead, 100 Missing, Army Camp Swept Away
धराली में महा तबाही: बादल फटने से 4 की मौत, 100 से ज्यादा लापता, सेना का कैंप बहा, गंगोत्री-कैदारनाथ यात्रा रोकी गई
AIN NEWS 1: धराली में महा तबाही: बादल फटने से भारी तबाही
1. घटना का सारांश
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले का छोटा लेकिन महत्वपूर्ण गांव धराली मंगलवार को प्राकृतिक आपदा की बड़ी चपेट में आ गया। गंगोत्री से 18 किलोमीटर पहले बसे इस गांव में दोपहर 12:40 बजे बादल फटने की घटना ने सबकुछ बदल दिया। कुछ ही पलों में खीरगंगा नदी का उफान गांव की ओर बढ़ा और महज 34 सेकंड में धराली का आधा हिस्सा मलबे में दब गया।
धराली के अलावा हर्षिल और सुक्खी गांव में भी बादल फटने की घटनाएं हुईं। हर्षिल में सेना का कैंप और हेलिपैड बह गया, जिससे 11 जवान लापता हो गए। सुक्खी गांव में कई इमारतें धराशायी हो गईं। इस त्रासदी ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को, बल्कि पूरे राज्य और देश को झकझोर कर रख दिया है।
2. तबाही का पैमाना और आंकड़े
धराली गांव: कुल आबादी करीब 700
लापता लोग: 100 से ज्यादा
तबाह मकान: 50
तबाह होटल-रिजॉर्ट: 30
तबाह होमस्टे: 25
मृतक (अब तक): 4 (संख्या बढ़ने की आशंका)
सड़कें बंद: 5 नेशनल हाईवे सहित 163 सड़कें
यात्राएं रुकीं: गंगोत्री और केदारनाथ यात्रा
भागीरथी नदी पर मलबा आने से झील बन गई, जिससे ऋषिकेश, हरिद्वार और देवप्रयाग तक रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। रेलवे ट्रैक पर भी मलबा आने से रेल सेवा बाधित हो गई। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तीन जिलों के स्कूल बंद कर दिए गए हैं।
3. घटनाओं का कालक्रम (Timeline)
12:40 बजे: धराली में बादल फटने की घटना, खीरगंगा नदी में बाढ़।
1:27 बजे: श्रीखंड पर्वत से भारी मात्रा में मलबा नदी में गिरा, जिससे पूरा गांव मलबे में दब गया।
2:00 बजे: हर्षिल में बादल फटा, तेल गाड़ नाले में बाढ़ आई, सेना का कैंप और हेलिपैड बहा।
3:00 बजे: धराली से सात किलोमीटर दूर सुक्खी गांव में बादल फटा, कई इमारतें गिरीं।
4. प्रत्यक्षदर्शियों के बयान
अशोक सेमवाल, जो उस समय मुखबा गांव में मौजूद थे, ने बताया,
“हम लोग घर के बाहर खड़े थे कि अचानक बम धमाके जैसी आवाज आई। पहाड़ से धुआं उठता देखा। कुछ देर बाद खीरगंगा नदी में तेज बहाव आया। मैंने तुरंत वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू की। सिर्फ 30 सेकंड में पानी का बहाव इतना बढ़ गया कि 10 मीटर चौड़ी नदी 30 मीटर चौड़ी हो गई। लोग कुछ समझ पाते उससे पहले ही मलबा गांव पर टूट पड़ा।”
खुशी नामक निवासी ने कहा,
“मेरा घर, मेरी दुकान और कार सब बह गए। हमारे सामने ही गांव मैदान में बदल गया। कई दोस्त और रिश्तेदार लापता हैं। पूरा इलाका 15-20 फीट ऊंचे मलबे से भर गया है।”
5. वैज्ञानिक और विशेषज्ञों की राय
वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एसपी सती ने बताया,
“धराली मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर स्थित है, जो मुख्य हिमालय और ट्रांस हिमालय को जोड़ती है। यह इलाका भूगर्भीय दृष्टि से बहुत संवेदनशील है। पहले भी यहां 1864, 2013 और 2014 में बादल फटने की घटनाएं हो चुकी हैं। वैज्ञानिकों ने तब सरकार को गांव को सुरक्षित स्थान पर बसाने की सलाह दी थी, लेकिन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”
मौसम विशेषज्ञ डॉ. राकेश जोशी के अनुसार,
“इस बार बादल फटने का पैटर्न अलग था। कई जगह एक साथ बादल फटे, जिसे मल्टी क्लाउडबर्स्ट कहते हैं। टिहरी डैम के आसपास बादलों का दबाव बढ़ रहा है, जिससे ऐसी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ गई है।”
6. धराली का इतिहास और संवेदनशीलता
धराली गंगोत्री जाने वाले यात्रियों के लिए मुख्य ठहराव स्थल है। गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन के लिए जाना जाता है। यहां से खीरगंगा नदी बहती है, जो श्रीखंड पर्वत से निकलती है। यह इलाका 4000 मीटर से ऊपर के ट्रांस हिमालय क्षेत्र में आता है और भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील है।
पिछले 10 सालों में धराली तीन बार तबाह हो चुका है। 2013 की केदारनाथ आपदा और 2014 के बादल फटने की घटना ने यहां के लोगों की जिंदगी बदल दी थी, लेकिन गांव को शिफ्ट करने की सिफारिश पर अमल नहीं हुआ।
7. प्रशासन और सरकार की कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने तत्काल राहत और बचाव कार्य के आदेश दिए हैं। सेना, ITBP और SDRF की टीमों को लगाया गया है। हेलीकॉप्टरों की मदद से फंसे लोगों को निकाला जा रहा है।
मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने कहा,
“धराली में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। मृतकों के परिवारों को आर्थिक मदद दी जाएगी और गांव को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जा रहा है।”
8. पर्यटन और आर्थिक असर
धराली, हर्षिल और मुखबा उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। यहां के होटल, होमस्टे और दुकानों को भारी नुकसान हुआ है। हजारों की संख्या में पर्यटक हर साल यहां आते थे, लेकिन आपदा के बाद पर्यटन पूरी तरह प्रभावित हो गया है।
9. लोगों की मांग और भविष्य की योजना
स्थानीय लोगों का कहना है कि धराली जैसे संवेदनशील गांवों को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया जाए।
स्थानीय निवासी प्रेम सिंह ने कहा,
“हम हर बार आपदा में सबकुछ खो देते हैं। सरकार सिर्फ वादे करती है। अगर गांव को शिफ्ट नहीं किया गया तो आने वाले सालों में और जानें जाएंगी।”
10. भविष्य में समाधान
विशेषज्ञों का मानना है कि:
संवेदनशील गांवों का पुनर्वास
पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण कार्य पर नियंत्रण
मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना
टूरिस्ट मैनेजमेंट में सुधार
जरूरी है।
A devastating cloudburst in Uttarakhand’s Uttarkashi district has wreaked havoc, particularly in Dharali, Harsil, and Sukhhi villages. The disaster caused the Khir Ganga river to flood, burying 50 homes, 30 resorts, and 25 homestays under debris. Four people have been confirmed dead and over 100 are missing, while an Indian Army camp and helipad were swept away in Harsil. Authorities have halted the Kedarnath and Gangotri yatra, blocked 163 roads, and issued a red alert for Devprayag, Rishikesh, and Haridwar. Experts warn that Dharali, located on a sensitive Himalayan fault line, faces repeated disasters, highlighting the urgent need for relocation, better forecasting systems, and improved disaster management.



















