AIN NEWS 1 | भारत सरकार ने भूमि और संपत्ति पंजीकरण से जुड़े नियमों में बड़े और ऐतिहासिक बदलाव किए हैं। इनका मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, धोखाधड़ी रोकना और डिजिटल व्यवस्था को बढ़ावा देना है। नए प्रावधानों के तहत अब जमीन की रजिस्ट्री के लिए आधार और पैन कार्ड लिंक करना अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही पूरी रजिस्ट्री प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग, सिर्फ डिजिटल भुगतान, और रजिस्ट्री रद्द करने के लिए स्पष्ट समय सीमा जैसे सुधार लागू किए गए हैं।
आइए, इन बदलावों को विस्तार से समझते हैं—
1. आधार और पैन कार्ड लिंकिंग अब ज़रूरी
पहले पैन कार्ड वैकल्पिक था, लेकिन अब इसे आधार कार्ड के साथ लिंक करना हर संपत्ति लेन-देन के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।
लाभ:
फर्जी पहचान और नकली दस्तावेजों पर रोक लगेगी
बेनामी संपत्ति का आसानी से पता लगाया जा सकेगा
टैक्स चोरी और काले धन पर नियंत्रण
सरकारी रिकॉर्ड में संपत्ति के मालिक की सटीक पहचान दर्ज होगी
2. रजिस्ट्री की अनिवार्य वीडियो रिकॉर्डिंग
अब हर रजिस्ट्री के दौरान पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि खरीदार और विक्रेता दोनों की सहमति स्पष्ट रूप से दर्ज हो।
लाभ:
किसी भी दबाव या धोखाधड़ी की स्थिति में सबूत उपलब्ध
बुजुर्ग और कमजोर वर्ग को सुरक्षा
रजिस्ट्री कार्यालय के कर्मचारियों की जवाबदेही तय
विवाद की स्थिति में वीडियो को प्रमाण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा
3. डिजिटल पेमेंट से नकद लेन-देन खत्म
अब रजिस्ट्री से जुड़े सभी शुल्क और कर का भुगतान केवल ऑनलाइन माध्यम से ही किया जाएगा।
फायदे:
नकद लेन-देन और भ्रष्टाचार में कमी
भुगतान का डिजिटल रिकॉर्ड हमेशा उपलब्ध रहेगा
समय और कागजी प्रक्रिया की बचत
टैक्स राजस्व में पारदर्शिता और बढ़ोतरी
4. रजिस्ट्री रद्द करने के लिए नई समय सीमा
पहले रजिस्ट्री रद्द करने की प्रक्रिया जटिल और लंबी थी। अब इसे आसान और समयबद्ध बनाया गया है।
नए प्रावधान:
रद्द करने की अधिकतम समय सीमा: 90 दिन
रद्द करने के वैध कारण:
फर्जीवाड़ा या दस्तावेजों में गड़बड़ी
धोखाधड़ी और छल
दबाव में की गई रजिस्ट्री
पारिवारिक या कानूनी विवाद
हर केस की सख्त जांच के बाद ही रद्दीकरण
5. रजिस्ट्री रद्द करने की प्रक्रिया
शहरी क्षेत्रों में: नगर निगम या निबंधन विभाग से संपर्क करें
ग्रामीण क्षेत्रों में: तहसील कार्यालय जाएं
जरूरी दस्तावेज:
लिखित आपत्ति पत्र
रजिस्ट्री की कॉपी या टाइटल डीड
वैध पहचान पत्र (आधार, पैन, वोटर आईडी आदि)
(जहां लागू हो) ऑनलाइन पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड करना
6. रजिस्ट्री के लिए आवश्यक दस्तावेज
पुराना रजिस्ट्री पेपर या टाइटल डीड
खरीद-बिक्री का पक्का अनुबंध
संपत्ति कर की रसीद
खरीदार और विक्रेता के आधार और पैन कार्ड
अन्य पहचान प्रमाण (वोटर आईडी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस)
7. डिजिटल युग में संपत्ति लेन-देन के फायदे
इन बदलावों से रियल एस्टेट सेक्टर में बड़े सुधार होंगे—
विवादों और कोर्ट केस में कमी
बैंक और वित्तीय संस्थान आसानी से संपत्ति की वैधता जांच सकेंगे
विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा
काले धन और बेनामी संपत्ति पर रोक लगेगी
8. संभावित चुनौतियां और उनके समाधान
चुनौतियां:
ग्रामीण इलाकों में डिजिटल साक्षरता की कमी
इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या
सरकारी कर्मचारियों का तकनीकी प्रशिक्षण
समाधान:
गांव-गांव में जनजागरूकता अभियान
डिजिटल सेवा केंद्रों का विस्तार
हेल्पलाइन नंबर और प्रशिक्षित स्टाफ की उपलब्धता
नए भूमि पंजीकरण नियम न सिर्फ संपत्ति लेन-देन को पारदर्शी और सुरक्षित बनाएंगे, बल्कि डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को भी मजबूत करेंगे। शुरुआती चरण में कुछ कठिनाइयाँ जरूर आएंगी, लेकिन लंबे समय में ये बदलाव धोखाधड़ी, विवाद और भ्रष्टाचार को काफी हद तक खत्म कर देंगे। यह कदम भारत के रियल एस्टेट सेक्टर को एक नए और भरोसेमंद दौर में ले जाने की क्षमता रखता है।
The Government of India has introduced comprehensive changes to land registration rules, making Aadhaar and PAN linking mandatory for all property transactions. The updated process also includes compulsory video recording of transactions, digital payment systems, and streamlined registry cancellation guidelines with a maximum 90-day resolution period. These measures aim to prevent property fraud, eliminate benami transactions, reduce black money, and support the Digital India initiative, ensuring greater transparency and trust in the real estate sector.



















