AIN NEWS 1 | जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के चशोती इलाके में 14 अगस्त को आई विनाशकारी आपदा के बाद हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं। प्रशासन, सेना और रेस्क्यू टीम लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं, लेकिन चुनौती अभी भी बड़ी है।
अब तक 65 शव बरामद, सैकड़ों लोग लापता
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अब तक मलबे और नदी से 65 शव बरामद किए जा चुके हैं। इसके अलावा 107 घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कई लोग अब भी लापता हैं, जिनमें से कुछ के नदी में बह जाने की आशंका है। उफनती धारा और कठिन भूभाग के कारण लापता लोगों की तलाश में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं।
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि सही आंकड़ा जुटाना अभी मुश्किल है क्योंकि कई गांव अब भी संपर्क से कटे हुए हैं।
फारूक अब्दुल्ला का दावा – “500 से 1000 लोग मलबे में”
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने अधिकारियों के हवाले से चौंकाने वाला दावा किया कि इस त्रासदी में 500 से ज्यादा लोग मलबे में दबे हो सकते हैं। कुछ अधिकारियों का अनुमान तो 1000 तक पहुंच रहा है। उन्होंने कहा,
“यह पूरे प्रदेश के लिए गहरे ग़म का वक्त है।”
पीएम मोदी का आश्वासन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर गहरी संवेदना जताई और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से फोन पर बात कर हर संभव मदद का भरोसा दिया। पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध कराएगी और बचाव कार्य में कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी।
स्वतंत्रता दिवस पर भी छाया दुख का साया
इस हादसे का असर जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस के समारोह पर भी पड़ा। श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में झंडा फहराते हुए सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा,
“किश्तवाड़ में कल जो हुआ, उसमें कई लोगों की जान गई, 100 से ज्यादा घायल हुए और लापता लोगों के बारे में अभी कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है।”
“जांच होगी, जवाब देना होगा” – उमर अब्दुल्ला
मुख्यमंत्री ने घटना की उच्च-स्तरीय जांच की घोषणा की। उन्होंने कहा,
“मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी, फिर भी हादसा हुआ। हमें यह समझना होगा कि कहां चूक हुई और इसकी जिम्मेदारी तय करनी होगी।”
सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,
“मैं आज किश्तवाड़ के लिए रवाना हो रहा हूं और कल सुबह बादल फटने की जगह पर जाकर हालात का जायजा लूंगा। मैं बचाव अभियान की समीक्षा करूंगा और यह तय करूंगा कि आगे और किस तरह की मदद जरूरी है।”
मंत्री जावेद डार का बयान
राज्य के मंत्री जावेद डार ने पुष्टि की कि अब तक 65 शव बरामद किए गए हैं। उन्होंने कहा,
“कई लोग अभी भी लापता हैं और उनकी सटीक संख्या का पता लगाना मुश्किल है। बचाव दल लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हैं।”
बचाव कार्य में जुटी टीमें
रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल), एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल), सेना, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवक शामिल हैं। पहाड़ी इलाकों में तेज़ बारिश और फिसलन भरी जमीन से बचाव कार्य की गति प्रभावित हो रही है, लेकिन राहतकर्मी लगातार कोशिश कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों की भूमिका
कई ग्रामीण भी अपनी जान की परवाह किए बिना राहत कार्य में मदद कर रहे हैं। वे मलबा हटाने, घायलों को सुरक्षित जगह पहुंचाने और भोजन-पानी की व्यवस्था में प्रशासन का हाथ बंटा रहे हैं।
त्रासदी के कारण
हालांकि आधिकारिक रिपोर्ट आना बाकी है, लेकिन शुरुआती अनुमान है कि यह आपदा बादल फटने और भारी बारिश की वजह से आई। अचानक पानी का तेज़ बहाव गांवों को बहा ले गया और कई घरों को मलबे में दबा दिया।
आगे का रास्ता
अधिकारियों का कहना है कि राहत कार्य के बाद पुनर्वास की चुनौती भी उतनी ही बड़ी होगी। सैकड़ों परिवार बेघर हो गए हैं और उन्हें अस्थायी शिविरों में रखा गया है। केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर राहत पैकेज की घोषणा करने का संकेत दिया है।
किश्तवाड़ की यह आपदा न केवल प्राकृतिक कहर की कहानी है, बल्कि यह भी बताती है कि पहाड़ी इलाकों में आपदा प्रबंधन और चेतावनी प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है। फिलहाल, सबसे अहम काम लापता लोगों की तलाश और घायलों को जल्द से जल्द मदद पहुंचाना है।
The Kishtwar disaster in Jammu and Kashmir has claimed 65 lives, with hundreds still missing after a flash flood struck the Chashoti area. PM Narendra Modi assured CM Omar Abdullah of full central assistance, while rescue teams including NDRF, SDRF, and the Indian Army work relentlessly. Former CM Farooq Abdullah estimated that 500 to 1000 people could still be trapped under debris, making it one of the deadliest natural disasters in the region’s recent history.