AIN NEWS 1 | जम्मू-कश्मीर प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में लगातार आता जा रहा है। किश्तवाड़ में बादल फटने से हुई भारी तबाही को अभी कुछ ही दिन बीते हैं कि अब कठुआ जिले के जोड़ और जंगलोट क्षेत्र में भी ऐसी ही त्रासदी ने दस्तक दे दी। रविवार (17 अगस्त) को यहां बादल फटने से चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घर मलबे की चपेट में आकर क्षतिग्रस्त हो गए। हालात इतने गंभीर हैं कि रेलवे ट्रैक और नेशनल हाईवे तक प्रभावित हो गए।
घटनाक्रम
सुबह के समय कठुआ जिले के जोड़ इलाके में अचानक बादल फटा। देखते ही देखते पहाड़ी से पानी और मलबा नीचे की ओर बहने लगा और अपने रास्ते में आने वाले कई घरों को नुकसान पहुंचा गया। कुछ ही पलों में हालात इतने बिगड़ गए कि चार लोगों की मौत हो गई। राहत और बचाव दल तुरंत मौके पर पहुंचे, लेकिन मलबा और पानी का बहाव इतना तेज था कि हालात को काबू में लाना मुश्किल हो गया।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की जानकारी
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा की कि उन्हें जंगलोट क्षेत्र में बादल फटने की सूचना मिलते ही तुरंत स्थानीय प्रशासन और एसएसपी कठुआ शोभित सक्सेना से बात करनी पड़ी। उन्होंने बताया कि आपदा में चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा कठुआ पुलिस स्टेशन, रेलवे ट्रैक और जम्मू-पठानकोट नेशनल हाईवे को भी नुकसान हुआ है।
राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे ट्रैक प्रभावित
भारी बारिश और मलबे के कारण जम्मू-पठानकोट नेशनल हाईवे का एक बड़ा हिस्सा बंद करना पड़ा है। हाईवे की एक ट्यूब को पूरी तरह से सील कर दिया गया है। इससे क्षेत्र में यातायात बाधित हो गया है। वहीं, रेलवे ट्रैक भी मलबे की चपेट में आने से क्षतिग्रस्त हो गया है। हालांकि प्रशासन ने कहा है कि जल्द से जल्द इसे दुरुस्त किया जाएगा ताकि यात्रियों को परेशानी न हो।
राहत और बचाव अभियान
आपदा की सूचना मिलते ही सेना, अर्धसैनिक बल और नागरिक प्रशासन ने संयुक्त रूप से राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। मलबे में दबे लोगों को निकालने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने की पूरी कोशिश की जा रही है। प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में अस्थायी शिविर भी स्थापित कर दिए हैं ताकि बेघर हुए लोग वहां रह सकें।
किश्तवाड़ आपदा की दर्दनाक यादें ताज़ा
कठुआ की यह घटना उस समय हुई है जब किश्तवाड़ की त्रासदी से लोग अभी तक उबर भी नहीं पाए हैं। कुछ ही दिन पहले किश्तवाड़ के चशोती गांव में बादल फटने से भारी तबाही मची थी, जिसमें अब तक 65 लोगों की मौत हो चुकी है। उस आपदा में 100 से अधिक लोग घायल और 82 से ज्यादा लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं।
जम्मू के राजकीय मेडिकल कॉलेज (GMC) में उस समय आपातकालीन सर्जरी की गई थी। रातों-रात लगभग 25 बड़ी सर्जरी करके गंभीर घायलों की जान बचाई गई।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की सहायता घोषणा
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने किश्तवाड़ आपदा पीड़ितों के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को एक-एक लाख रुपये और सामान्य घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे। वहीं, जिनके घर पूरी तरह तबाह हो गए, उन्हें एक लाख रुपये, गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त घर वालों को 50,000 रुपये और आंशिक क्षति वालों को 25,000 रुपये दिए जाएंगे।
लगातार बढ़ रही आपदाओं ने बढ़ाई चिंता
लगातार हो रही इन प्राकृतिक आपदाओं ने जम्मू-कश्मीर के लोगों में भय का माहौल बना दिया है। पहले किश्तवाड़ और अब कठुआ – दोनों जगहों पर बादल फटने की घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि राज्य को और भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में इस तरह की आपदाएं बढ़ रही हैं।
मानवीय संकट और आगे की चुनौतियां
इस आपदा ने न सिर्फ जनहानि की है, बल्कि लोगों को बेघर और बेसहारा भी कर दिया है। जो परिवार रातोंरात अपने आशियाने खो बैठे हैं, उनके सामने अब जीवन फिर से पटरी पर लाने की चुनौती है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को इन इलाकों में दीर्घकालिक राहत और पुनर्वास की योजनाओं पर तुरंत काम करना होगा।
A devastating cloudburst in Kathua, Jammu Kashmir has caused massive destruction, leaving 4 people dead, several houses destroyed, and damaging both the Jammu-Pathankot highway and railway track. This disaster comes just days after the Kishtwar cloudburst tragedy, raising concerns about the increasing frequency of natural disasters in Jammu Kashmir. Rescue operations are underway by the army, police, and paramilitary forces, while the administration focuses on relief and rehabilitation for the affected families.



















