AIN NEWS 1 | अंतरराष्ट्रीय राजनीति के मोर्चे पर सोमवार (18 अगस्त 2025) का दिन काफी अहम रहा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हुई अपनी हालिया बैठक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस बातचीत का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि अमेरिका ने हाल ही में भारत पर रूस से तेल आयात करने को लेकर 25% अतिरिक्त जुर्माना लगाया है। ऐसे में यह मुद्दा भारत की अर्थव्यवस्था और कूटनीति दोनों के लिए बेहद संवेदनशील बन गया है।
पुतिन-ट्रंप बैठक का असर भारत पर
अलास्का में हुई पुतिन-ट्रंप बैठक वैश्विक ऊर्जा बाज़ार और भू-राजनीति के लिहाज़ से बेहद अहम मानी जा रही है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीद कम करे, जबकि रूस लगातार भारत को ऊर्जा आपूर्ति का भरोसेमंद साथी मानता है।
ट्रंप प्रशासन ने भारत पर तेल सौदों के लिए अतिरिक्त 25% पेनाल्टी लगा दी है। इसका सीधा असर भारत की ऊर्जा लागत और घरेलू बाजार पर पड़ सकता है। ऐसे में पुतिन की ओर से पीएम मोदी को फोन करके इस बैठक के नतीजों की जानकारी देना बताता है कि रूस भारत को एक रणनीतिक साझेदार मानता है।
फोन कॉल में क्या हुई चर्चा?
दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई –
पुतिन ने मोदी को अमेरिका के साथ हुई बातचीत का ब्योरा दिया।
भारत और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया गया।
द्विपक्षीय रिश्तों को और आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई गई।
यूक्रेन संकट पर शांति बहाल करने के लिए भारत की भूमिका पर भी चर्चा हुई।
पीएम मोदी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर इस फोन कॉल की जानकारी दी।
उन्होंने लिखा कि –
पुतिन का धन्यवाद करते हुए भारत-रूस के गहरे रिश्तों की सराहना की।
यूक्रेन विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत के निरंतर समर्थन की बात दोहराई।
आने वाले समय में पुतिन के साथ निरंतर संवाद और सहयोग की उम्मीद जताई।
मोदी ने यह भी साफ किया कि भारत हमेशा कूटनीति और बातचीत के जरिए ही विवादों के समाधान का पक्षधर रहा है।
भारत-रूस रिश्तों का नया अध्याय
भारत और रूस के रिश्ते दशकों पुराने हैं। रक्षा, ऊर्जा, विज्ञान, तकनीक और अंतरिक्ष से लेकर वैश्विक मंचों पर सहयोग – हर क्षेत्र में दोनों देश एक-दूसरे के अहम साथी रहे हैं।
रूस, भारत को सस्ता तेल और गैस सप्लाई करता है।
भारत, रूस से सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी अक्सर दोनों देश एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।
पुतिन और मोदी की यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक राजनीति लगातार बदल रही है। अमेरिका, चीन और यूरोप अपने-अपने हित साधने में जुटे हैं। ऐसे में भारत और रूस के बीच संवाद दुनिया को एक अलग संदेश देता है।
अमेरिका-भारत तनाव और रूस की भूमिका
अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल और गैस की खरीद कम करे, ताकि रूस की अर्थव्यवस्था पर दबाव डाला जा सके। लेकिन भारत का मानना है कि ऊर्जा सुरक्षा उसके लिए सबसे अहम है और वह अपने राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।
पुतिन ने फोन पर मोदी को भरोसा दिलाया कि रूस भारत के साथ ऊर्जा और आर्थिक सहयोग को और गहराई देगा। इस तरह रूस की भूमिका भारत के लिए संतुलन साधने वाली शक्ति की तरह बन गई है।
यूक्रेन संकट पर भारत का रुख
भारत लगातार यह कहता आया है कि यूक्रेन युद्ध का समाधान बातचीत और शांति प्रक्रिया से ही संभव है। मोदी ने पुतिन से बातचीत में एक बार फिर यही संदेश दिया कि भारत शांति और स्थिरता का समर्थक है।
भारत ने न तो रूस की सीधी आलोचना की और न ही पश्चिमी देशों का अंधानुकरण किया। यही कारण है कि भारत की कूटनीति को वैश्विक स्तर पर “संतुलित और व्यावहारिक” माना जा रहा है।
अलास्का में पुतिन-ट्रंप मुलाकात के तुरंत बाद पीएम मोदी को फोन करना इस बात का संकेत है कि भारत रूस के लिए कितना अहम है। यह बातचीत न सिर्फ तेल और ऊर्जा पर केंद्रित रही, बल्कि वैश्विक शांति, यूक्रेन संकट और द्विपक्षीय सहयोग जैसे विषयों पर भी हुई।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए जुर्माने के बाद भारत क्या रणनीति अपनाता है। लेकिन इतना तय है कि भारत और रूस के रिश्ते आने वाले वर्षों में और गहरे होंगे और इसका असर पूरी दुनिया की राजनीति पर पड़ेगा।