AIN NEWS 1( पवन तिवारी प्रयागराज ब्यूरो): प्रयागराज से बड़ी खबर सामने आई है। मऊ के सदर सीट से पूर्व विधायक अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें एमपी/एमएलए कोर्ट मऊ ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी।
जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने यह आदेश सुनाते हुए अब्बास अंसारी की याचिका मंज़ूर कर ली।
मामला क्या है?
यह मामला 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है। 3 मार्च 2022 को एक चुनावी जनसभा में अब्बास अंसारी ने भड़काऊ भाषण दिया था। उन्होंने मंच से अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि अगर अखिलेश यादव की सरकार बनी तो पहले उनसे हिसाब लिया जाएगा और उसके बाद उनका ट्रांसफर किया जाएगा।
उनके इस बयान का वीडियो वायरल हुआ और 4 मार्च 2022 को मऊ कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई। शिकायत दारोगा गंगाराम बिंद की ओर से दी गई थी। इस एफआईआर में अब्बास अंसारी, उनके भाई उमर अंसारी और करीब 150 अन्य अज्ञात लोगों को नामजद किया गया था।
निचली अदालतों का फैसला
31 मई 2025 को एमपी/एमएलए कोर्ट मऊ ने अब्बास अंसारी को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा और 3,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इस फैसले के बाद 1 जून 2025 को उनकी विधानसभा सदस्यता भी समाप्त हो गई।
इसके खिलाफ अब्बास अंसारी ने जिला जज कोर्ट में अपील की, लेकिन 5 जुलाई 2025 को वहां भी उनकी अपील खारिज कर दी गई। निचली अदालतों के इन आदेशों को चुनौती देते हुए अब्बास ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट की कार्यवाही
30 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की बहस पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। और अब हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए एमपी/एमएलए कोर्ट और जिला जज कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
इसका सीधा मतलब है कि अभी अब्बास अंसारी की सजा लागू नहीं होगी और उनकी सजा पर अंतिम फैसला हाईकोर्ट की सुनवाई पूरी होने के बाद ही तय होगा।
राज्य सरकार की अगली चाल
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है। अगर ऐसा हुआ तो मामला और लंबा खिंच सकता है।
अब्बास अंसारी और उनका राजनीतिक सफर
अब्बास अंसारी, बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे हैं और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से मऊ सदर से विधायक चुने गए थे। वे लंबे समय से विवादों में रहे हैं और कई मामलों में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
2022 के विधानसभा चुनाव में उनका यह बयान सुर्खियों में आया था, जिसमें उन्होंने अधिकारियों को धमकी भरे अंदाज में चेताया था। चुनाव आयोग ने भी इस पर सख्त कार्रवाई की थी।
आगे की राह
फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने अब्बास अंसारी को बड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। अगर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है तो वहां से भी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।
Allahabad High Court has granted relief to former Mau MLA Abbas Ansari by staying his two-year sentence in a 2022 hate speech case. The case, which stemmed from a controversial election speech where Ansari threatened government officials, had earlier resulted in his disqualification as an MLA. With the High Court’s stay, the political and legal battle continues as the Uttar Pradesh government may approach the Supreme Court. Keywords: Allahabad High Court, Abbas Ansari, Hate Speech Case, Mau MLA, Uttar Pradesh Politics.