AIN NEWS 1| देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विपक्षी नेताओं से संपर्क साधते हुए एनडीए उम्मीदवार और मौजूदा राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन के लिए समर्थन मांगा। लेकिन इस कोशिश पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के अध्यक्ष शरद पवार ने साफ इनकार कर दिया।
पवार ने शुक्रवार (22 अगस्त) को खुलासा किया कि सीएम फडणवीस ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से फोन किया और चुनाव में एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में समर्थन देने का आग्रह किया था। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह एनडीए प्रत्याशी को समर्थन देने में असमर्थ हैं।
विपक्ष का भरोसा अपने उम्मीदवार पर
पवार ने कहा कि विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी पहले ही नामांकन दाखिल कर चुके हैं और विपक्ष की सभी पार्टियों ने उन्हें सर्वसम्मति से अपना प्रत्याशी चुना है। पवार के अनुसार, “भले ही एनडीए के पास संख्या बल ज्यादा है, लेकिन हमें कोई चिंता नहीं है। विपक्ष के सभी वोट रेड्डी को ही मिलेंगे और इस चुनाव में किसी तरह के चौंकाने वाले नतीजे की संभावना नहीं है।”
राधाकृष्णन पर गंभीर आरोप
शरद पवार ने अपनी असहमति का कारण भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सी.पी. राधाकृष्णन का कार्यकाल विवादों से भरा रहा है। जब वे झारखंड के राज्यपाल थे, उस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया और जब सोरेन उनसे मिलने राजभवन पहुंचे तो उन्हें वहीं गिरफ्तार कर लिया गया।
पवार ने इसे सत्ता के दुरुपयोग का उदाहरण बताते हुए कहा कि ऐसे उम्मीदवार का समर्थन करना उनकी विचारधारा के खिलाफ है और यही वजह है कि उन्होंने फडणवीस का अनुरोध ठुकरा दिया।
शिवसेना (यूबीटी) का भी विरोध
पवार के अलावा, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने भी एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने से इंकार कर दिया। पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा कि सीएम फडणवीस के साथ-साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी उद्धव ठाकरे को फोन कर समर्थन की अपील की थी। लेकिन महा विकास आघाडी (एमवीए) के तीनों दल – एनसीपी (एसपी), शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस – इस मुद्दे पर एकजुट हैं और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के साथ खड़े हैं।
विपक्ष की एकजुटता
महाराष्ट्र की राजनीति में विपक्षी दलों की यह एकजुटता महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि एनडीए और विपक्ष की विचारधाराओं में गहरी खाई है, और इसीलिए वह किसी भी दबाव में झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष जानता है कि उसकी ताकत कहां है और यही कारण है कि वे बिना किसी डर के इस चुनाव में अपने उम्मीदवार के साथ खड़े हैं।
9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए और विपक्ष दोनों अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। जहां एनडीए को अपने संख्या बल का भरोसा है, वहीं विपक्ष बी. सुदर्शन रेड्डी के समर्थन में पूरी तरह एकजुट नजर आ रहा है। शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे वरिष्ठ नेताओं का साफ रुख यह दिखाता है कि यह मुकाबला सिर्फ संख्या का नहीं बल्कि विचारधारा और राजनीतिक मूल्यों की लड़ाई भी है।