AIN NEWS 1 | भारत में आवारा कुत्तों को लेकर लंबे समय से विवाद चलता आ रहा है। कई लोग उन्हें खाना खिलाते हैं तो कई लोग उनके काटने और सुरक्षा संबंधी खतरे को लेकर परेशान रहते हैं। इसी पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश जारी किया है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अब देशभर में खुले स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाना प्रतिबंधित होगा। यह आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगा। इसके लिए सभी राज्यों को नोटिस भी भेजा गया है, ताकि स्थानीय प्रशासन इस नियम को प्रभावी तरीके से लागू कर सके।
आदेश की आवश्यकता
कुत्तों को लेकर दो प्रमुख दृष्टिकोण हमेशा रहे हैं:
पशु प्रेमियों का पक्ष: यह माना जाता है कि भूखे जानवरों को खाना देना इंसानियत है।
सुरक्षा चिंताएँ: खुले में खाना देने से कुत्तों के झुंड बन जाते हैं, जो राहगीरों, बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
अक्सर कुत्तों के झुंड से हमले, चोट या रैबीज़ जैसी बीमारियों के मामले सामने आते रहे हैं। इन्हीं कारणों से सुप्रीम कोर्ट ने यह कदम उठाया है, ताकि सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
आदेश का देशभर में असर
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सिर्फ किसी एक राज्य या शहर के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए लागू है।
सभी राज्य सरकारों को आदेश का पालन करना अनिवार्य होगा।
नगर निगम और स्थानीय निकायों को सुनिश्चित करना होगा कि सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी व्यक्ति कुत्तों को खाना न खिलाए।
आदेश का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
क्या पूरी तरह बैन है?
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कुत्तों को खाना देना पूरी तरह से गैरकानूनी नहीं है।
लोग अपने घर या निजी परिसर में कुत्तों को खाना दे सकते हैं।
सड़क, पार्क, बाजार या किसी सार्वजनिक स्थल पर यह करना अब कानून के खिलाफ होगा।
इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा और इंसानियत के बीच संतुलन बनाए रखा है।
भारत में कुत्तों से जुड़ी मौजूदा चुनौतियाँ
भारत में आवारा कुत्तों की संख्या करोड़ों में है।
हर साल हजारों लोग कुत्तों के काटने के शिकार होते हैं।
कई बार ये मामले मौत तक भी पहुँच जाते हैं।
रैबीज़ जैसी बीमारियों का खतरा लगातार बना रहता है।
खुले में खाना खिलाने से कुत्ते एक जगह इकट्ठा होकर आक्रामक और असुरक्षित हो जाते हैं। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी किया।
सामाजिक संगठनों और पशु प्रेमियों की प्रतिक्रिया
पशु प्रेमियों और एनजीओ ने इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है:
कुछ संगठनों का कहना है कि यह निर्णय सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी था।
वहीं, कई पशु प्रेमियों का कहना है कि खुले में खाना देने पर रोक अमानवीय है और इससे कुत्तों को भूख का खतरा होगा।
इनका सुझाव है कि सरकार सुरक्षित स्थान और डॉग शेल्टर बनाए, जहाँ लोग जिम्मेदारी से कुत्तों को खाना दे सकें।
आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को केवल नोटिस ही नहीं दिया, बल्कि यह भी कहा कि वे नीतियाँ बनाकर बताएं कि आदेश को कैसे लागू किया जाएगा।
कुछ सवाल उठते हैं:
क्या हर मोहल्ले में डॉग शेल्टर बनाए जाएंगे?
क्या लोगों को सुरक्षित ज़ोन दिए जाएंगे जहाँ कुत्तों को खिलाया जा सके?
या नगर निगम पूरी जिम्मेदारी उठाएगा?
इनका उत्तर आने वाले समय में सरकारी नीतियों के माध्यम से स्पष्ट होगा।
आम जनता के लिए संदेश
अगर आप कुत्तों से प्यार करते हैं और उन्हें खाना देना चाहते हैं, तो यह केवल अपने घर या निजी परिसर तक सीमित रखें।
खुले में कुत्तों को खाना देना अब कानून के खिलाफ होगा।
इससे न केवल आपकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि कुत्तों की देखभाल भी जिम्मेदारी के साथ हो सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उन लोगों के लिए राहत की खबर है जो रोज़ाना आवारा कुत्तों से डरते हैं।
साथ ही यह पशु प्रेमियों को भी संकेत देता है कि कुत्तों की देखभाल जिम्मेदारी और संवेदनशीलता के साथ की जानी चाहिए।
यह फैसला भारत में सुरक्षा और इंसानियत के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।