AIN NEWS 1 | आगरा से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बना दिया। STF इंस्पेक्टर यतीन्द्र शर्मा ने नकली दवाओं के बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया और आरोपी द्वारा दी गई 1 करोड़ रुपये की रिश्वत को ठुकराकर कानून का पालन किया।
📍 नकली दवा नेटवर्क का पता कैसे चला?
पिछले कुछ महीनों में आगरा और आसपास के इलाकों में लोगों से शिकायतें मिलीं कि बाजार में नकली और घटिया क्वालिटी की दवाइयाँ बेची जा रही हैं। कई मरीजों ने शिकायत की कि दवाइयाँ कोई असर नहीं कर रही।
जांच में पता चला कि यह कारोबार सिर्फ आगरा तक सीमित नहीं था, बल्कि यह कई राज्यों और पड़ोसी देशों तक फैला हुआ था। STF ने ड्रग्स विभाग और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की योजना बनाई।
🧴 छापेमारी और नकली दवाओं की बरामदगी
STF टीम ने शहर के विभिन्न हिस्सों में दबिश दी। सबसे बड़ी कार्रवाई हेमा मेडिको नामक व्यवसायी हिमांशु अग्रवाल के ठिकानों पर हुई।
लगभग ₹3 करोड़ की नकली दवाइयाँ बरामद हुईं।
दवाइयाँ देखने में असली जैसी थीं, लेकिन घटिया क्वालिटी और गलत कंपोजिशन वाली थीं।
ड्रग्स विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस तरह की दवाइयाँ मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती हैं और यह सिर्फ मुनाफे का मामला नहीं बल्कि लोगों की जान से खिलवाड़ है।
💰 रिश्वत की पेशकश और STF की कार्यवाही
छापेमारी के बाद हिमांशु अग्रवाल डर गया कि उसका नेटवर्क खुल जाएगा। उसने STF टीम को 1 करोड़ रुपये नकद देने का प्रयास किया।
पैसे तीन बड़े बैग में ₹500 के नोटों में पैक थे।
वह इंस्पेक्टर यतीन्द्र शर्मा से मामले को दबाने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन STF टीम ने इसे स्वीकार नहीं किया और आरोपी को नकद समेत रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
👮 STF इंस्पेक्टर यतीन्द्र शर्मा की ईमानदारी
इस घटना ने दिखा दिया कि पुलिस में ऐसे अधिकारी भी हैं जो निजी लाभ की जगह कानून और इंसाफ को प्राथमिकता देते हैं।
स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर STF टीम की खूब सराहना हो रही है। कई लोग कह रहे हैं कि अगर हर अधिकारी ऐसा करे तो भ्रष्टाचार कम हो जाएगा।
⚖️ आरोपी पर दर्ज मामले
हिमांशु अग्रवाल के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है:
नकली दवाओं की तस्करी और बिक्री
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिश्वत देने की कोशिश
आर्थिक अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित धाराएँ
पुलिस का मानना है कि हिमांशु अकेला नहीं था और उसके पीछे अन्य बड़े कारोबारी और माफिया भी हो सकते हैं। STF जांच तेज कर दी है।
🌍 समाज और स्वास्थ्य पर प्रभाव
नकली दवाओं का कारोबार सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि लोगों की जान पर खतरा है।
मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता।
बीमारियाँ बढ़ सकती हैं या जान जा सकती है।
असली कंपनियों की साख भी प्रभावित होती है।
इस मामले से स्पष्ट हुआ कि एक ईमानदार अधिकारी समाज और स्वास्थ्य दोनों की सुरक्षा कर सकता है।
आगरा की यह घटना सिर्फ अपराध पकड़ने की कहानी नहीं, बल्कि यह ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण है। STF इंस्पेक्टर यतीन्द्र शर्मा और उनकी टीम ने करोड़ों की नकली दवाइयाँ जब्त कीं और 1 करोड़ की रिश्वत ठुकराकर कानून और इंसाफ की जीत सुनिश्चित की।