AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी (सपा) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उपचुनाव के लिए 10 में से 6 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। यह घोषणा हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद आई है, जिससे कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में भी एक बड़ा झटका लगा है।
सपा का अहम फैसला
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जिन 6 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है, उनमें से 2 सीटें ऐसी हैं, जहां 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत हासिल की थी। ये सीटें हैं फूलपुर और मझवां, जहां सपा ने मुस्तफा सिद्दीकी और ज्योति बिंद को प्रत्याशी बनाया है।
कांग्रेस की स्थिति
कांग्रेस ने सपा से अनुरोध किया था कि उसे उन सीटों पर उम्मीदवार दिए जाएं, जिन पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। लेकिन सपा ने कांग्रेस की यह मांग स्वीकार नहीं की। यह निर्णय सहयोगी दलों को एक स्पष्ट संदेश देने के लिए लिया गया है कि सपा अपने चुनावी रणनीति में स्वतंत्र है।
सूत्रों के अनुसार, सपा गाजियाबाद शहर और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट कांग्रेस को देने के लिए तैयार है, लेकिन अन्य सीटों पर सपा ने अपने प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि पार्टी इस मामले पर अपने शीर्ष नेतृत्व से चर्चा करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस ने 5 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, और आगे का निर्णय हाई कमान के निर्देशों के अनुसार लिया जाएगा।
उपचुनाव की सीटें
उत्तर प्रदेश में कुल 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें करहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां, कटेहरी, खैर और मीरापुर शामिल हैं। इनमें से 9 सीटों पर पिछले चुनाव में चुने गए विधायक अब सांसद बन गए हैं, जबकि सीसामऊ सीट इरफान सोलंकी के अयोग्य घोषित होने के कारण खाली हुई है।
निष्कर्ष
हरियाणा में कांग्रेस की हार ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में सपा के लिए नए समीकरण पैदा कर दिए हैं। सपा के द्वारा की गई प्रत्याशियों की घोषणा ने कांग्रेस को एक बार फिर साबित कर दिया है कि चुनावी गठबंधनों में उसका स्थान अब कमजोर हो रहा है। आगामी उपचुनावों में यह देखना होगा कि सपा की इस रणनीति का क्या असर पड़ेगा और कांग्रेस अपनी स्थिति को कैसे संभालती है।