AIN NEWS 1 नई दिल्ली | देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार अब तकनीक का सहारा ले रही है। यौन उत्पीड़न और अपराधों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे के कुछ प्रमुख स्टेशनों पर अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम लगाया जाएगा। इसकी शुरुआत देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से मुंबई छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से की जाएगी।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार की बड़ी पहल
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि देशभर में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को ध्यान में रखते हुए, AI टेक्नोलॉजी के जरिए अपराधियों की पहचान और निगरानी का सिस्टम विकसित किया जा रहा है। इसका मकसद है — सार्वजनिक जगहों, खासकर रेलवे स्टेशनों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाना।
AI आधारित सिस्टम कैसे काम करेगा?
इस सिस्टम में निम्नलिखित तकनीकों को एकीकृत किया जाएगा:
फेशियल रिकॉग्निशन कैमरा (चेहरा पहचानने वाली तकनीक)
ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर (ANPR)
ड्रोन से निगरानी
स्मार्ट स्ट्रीट लाइटिंग और CCTV नेटवर्क
इंटीग्रेटेड इमरजेंसी रिस्पॉन्स मैनेजमेंट सिस्टम (IERMS)
ये सभी तकनीकें मिलकर न केवल महिला यात्रियों की 24×7 निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी, बल्कि अपराधियों की तुरंत पहचान और ट्रैकिंग में भी मदद करेंगी।
किन रेलवे स्टेशनों पर लगेगा यह सिस्टम?
पहले चरण में देश के सात प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर इस तकनीक को लागू किया जाएगा। जिनमें मुंबई CST और नई दिल्ली स्टेशन पहले से नामित हैं। अन्य स्टेशनों के नाम जल्द ही घोषित किए जाएंगे।
इससे पहले आठ शहरों में ‘सेफ सिटी प्रोजेक्ट’ के तहत ऐसी सुरक्षा व्यवस्थाएं लागू की जा चुकी हैं। अब इन्हीं उपायों को रेलवे में भी लागू किया जा रहा है।
20 लाख से अधिक यौन अपराधियों की पहचान
गृह मंत्रालय के अनुसार, देश में यौन अपराधियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। राष्ट्रीय यौन अपराधी डेटाबेस (NDSO) में अब तक 20.28 लाख अपराधियों की जानकारी दर्ज की जा चुकी है। इसमें शामिल हैं:
नाम और फोटो
पता
फिंगरप्रिंट
अपराध का प्रकार (जैसे बलात्कार, छेड़छाड़, स्टॉकिंग आदि)
ये जानकारी अब पूरे देश की पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) के ज़रिए उपलब्ध कराई जा रही है।
क्राइम रिकॉर्ड क्या कहते हैं?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार:
2018 में प्रति लाख महिलाओं पर अपराध का औसत 58.8 था, जो 2022 में बढ़कर 66.4 हो गया।
2022 में महिला अपराधों के 23.66 लाख केस कोर्ट में लंबित थे।
केवल 38,136 मामलों में ही दोषियों को सजा हो पाई।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि पुलिस, कोर्ट और सिस्टम को तकनीकी सहायता की जरूरत है ताकि अपराधों की तुरंत पहचान हो सके और पीड़ितों को न्याय जल्द मिल सके।
IERMS की सफलता
गृह मंत्रालय के अनुसार, अब तक 983 प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से 499 स्टेशनों पर IERMS सिस्टम सक्रिय कर दिया गया है। इसका लाभ यह है कि अगर किसी महिला को खतरा महसूस होता है, तो वह तुरंत आपात सेवा बटन दबा सकती है जिससे कंट्रोल रूम को अलर्ट मिल जाएगा।
अब आने वाले महीनों में इन स्टेशनों पर AI फेस रिकॉग्निशन सिस्टम भी सक्रिय किया जाएगा।
AI निगरानी से क्या होंगे फायदे?
महिला यात्रियों की सुरक्षा में सुधार
अपराधियों की रियल टाइम पहचान और गिरफ्तारी
फरार और पुराने अपराधियों को ट्रैक करने में आसानी
रेलवे परिसर में पारदर्शिता और निगरानी का बेहतर सिस्टम
पुलिस और प्रशासन को फैसले लेने में टेक्नोलॉजी का सपोर्ट
तकनीक के साथ सुरक्षित भविष्य की ओर
महिलाओं की सुरक्षा एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है और सरकार इस दिशा में तकनीक का उपयोग करके सुरक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने में लगी है।
AI आधारित फेस रिकॉग्निशन सिस्टम, डेटाबेस इंटीग्रेशन और रियल टाइम मॉनिटरिंग जैसे उपाय रेलवे स्टेशनों को अपराध मुक्त और महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान बना सकते हैं।
यह पहल आने वाले समय में देशभर के सभी रेलवे स्टेशनों और सार्वजनिक स्थानों पर लागू हो सकती है।
To enhance women’s safety and curb sexual crimes, the Indian government is deploying AI-based facial recognition systems at major railway stations such as Mumbai CST and New Delhi. This system, linked with the National Database of Sexual Offenders (NDSO), will help identify and track offenders using facial features and integrate with existing CCTV and emergency systems. With over 20 lakh entries in NDSO, the AI surveillance aims to make Indian Railways safer for all.