Allahabad HC Lawyers Demand Impeachment of Justice Yashwant Varma Amidst Cash Scandal
कैश कांड: इलाहाबाद HC के वकीलों ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की मांग की
AIN NEWS 1: दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ बड़े पैमाने पर नकदी मिलने के आरोपों के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील भी इस मुद्दे पर एकजुट हो गए हैं। बार असोसिएशन ने उनके खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है।
बार असोसिएशन का महाभियोग प्रस्ताव
सोमवार को हुई इलाहाबाद हाई कोर्ट बार असोसिएशन की बैठक में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पास किया गया। वकीलों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे जस्टिस वर्मा को वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पुरजोर विरोध करेंगे।
बार असोसिएशन का कहना है कि किसी भी आरोपी जज को जांच से बचने का मौका नहीं मिलना चाहिए। उनका कहना है कि भारत में जजों की नियुक्ति और जांच की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए, ताकि न्यायपालिका में जनता का भरोसा बना रहे।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
बीते हफ्ते जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास में आग लगने की घटना सामने आई। जब दमकल कर्मी आग बुझाने पहुंचे, तो वहां भारी मात्रा में नकदी होने की खबरें सामने आईं। इसके बाद जस्टिस वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे। हालांकि, उन्होंने इन आरोपों को साजिश बताते हुए खारिज कर दिया है।
इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत मामले की गंभीरता को देखते हुए जस्टिस वर्मा के खिलाफ इनहाउस जांच के आदेश दिए। लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है और इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए
बार असोसिएशन ने कहा कि सिर्फ इनहाउस जांच ही पर्याप्त नहीं होगी, बल्कि सरकार को जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देनी चाहिए ताकि सीबीआई और ईडी इस मामले की स्वतंत्र जांच कर सकें।
बार असोसिएशन ने यह भी सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने की सिफारिश क्यों की। संगठन का कहना है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट कोई भ्रष्ट जजों को भेजने की जगह नहीं है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि जस्टिस वर्मा का फिलहाल कोई ट्रांसफर नहीं हुआ है। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट को निर्देश दिया है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक जिम्मेदारी न दी जाए। हालांकि, 24 मार्च को जारी की गई कॉजलिस्ट में उनका नाम शामिल था, जिसे बाद में यह कहकर हटाया गया कि यह 17 मार्च के रोस्टर के आधार पर तैयार की गई थी।
लोकतंत्र और न्यायपालिका पर खतरा?
बार असोसिएशन का कहना है कि यदि ऐसे मामलों में कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो यह लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। किसी भी जज को अपने पद पर तब तक नहीं रहना चाहिए, जब तक उनके खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच पूरी नहीं हो जाती।
इलाहाबाद हाई कोर्ट बार असोसिएशन के वकीलों ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की मांग करते हुए न्यायपालिका में पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर किया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और सरकार का अगला कदम क्या होगा, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।
The Justice Yashwant Varma cash scandal has sparked controversy, with Allahabad High Court lawyers demanding his impeachment. The Bar Association has passed a resolution calling for action against him. Allegations surfaced after a large amount of cash was allegedly found at his residence. The Supreme Court has ordered an internal inquiry, but the Bar Association insists on a CBI and ED investigation. The legal community is also opposing his transfer to Allahabad High Court, emphasizing the need for judicial transparency and accountability. This case has raised serious concerns about corruption in the judiciary and its impact on democracy.