AIN NEWS 1: चेक बाउंस के मामलों में अब कानूनी प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा बदलाव आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने हालिया फैसले में कहा है कि व्हाट्सएप और ईमेल के जरिए भेजा गया चेक बाउंस नोटिस अब पूरी तरह से वैध माना जाएगा। यह फैसला आईटी एक्ट की धारा 13 और इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 65B के तहत लिया गया है। आइए इस ऐतिहासिक फैसले को विस्तार से समझते हैं।
हाईकोर्ट का अहम फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक चेक बाउंस केस की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर चेक बाउंस होने की सूचना व्हाट्सएप या ईमेल के जरिए दी जाती है, तो इसे अमान्य नहीं ठहराया जा सकता। यानी, अब चेक बाउंस का डिमांड नोटिस केवल डाक या अन्य लिखित माध्यम से ही नहीं, बल्कि डिजिटल माध्यमों के जरिए भी भेजा जा सकता है।
आईटी एक्ट और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट का हवाला
कोर्ट ने यह फैसला आईटी एक्ट और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए दिया।
1. आईटी एक्ट की धारा 13: यह धारा किसी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को भेजने और प्राप्त करने के नियमों को निर्धारित करती है।
2. इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 65B: यह धारा इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स को साक्ष्य के रूप में मान्यता देती है।
नए फैसले का असर
इस फैसले से उन लोगों को राहत मिलेगी, जो तेजी से नोटिस भेजना चाहते हैं और डिजिटल माध्यमों को अपनाने की योजना बना रहे हैं। इससे कोर्ट में मामलों की सुनवाई भी आसान होगी क्योंकि डिजिटल नोटिस का रिकॉर्ड संभालना और प्रस्तुत करना आसान होगा।
कानूनी प्रक्रिया में बदलाव
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अब मजिस्ट्रेट को चेक बाउंस मामलों में व्हाट्सएप और ईमेल से भेजे गए नोटिस को मान्यता देनी होगी। साथ ही, अगर शिकायत दर्ज होती है, तो संबंधित मजिस्ट्रेट को रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए भेजे गए नोटिस का ट्रैक रिकॉर्ड भी रखना होगा।
राजेंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार केस
यह फैसला राजेंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले में सुनाया गया। कोर्ट ने कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 में नोटिस देने की बात तो कही गई है, लेकिन इसमें यह नहीं बताया गया कि नोटिस किस माध्यम से भेजा जाना चाहिए। इसी के आधार पर कोर्ट ने डिजिटल नोटिस को वैध करार दिया।
चेक बाउंस मामलों में यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
तेजी से कानूनी कार्रवाई हो सकेगी।
डिजिटल माध्यमों का उपयोग बढ़ेगा।
मजिस्ट्रेट्स को अब ईमेल और व्हाट्सएप नोटिस को मान्यता देनी होगी।
चेक जारी करने वाले व्यक्ति को जल्दी नोटिस प्राप्त होगा, जिससे वह समय पर जवाब दे सकेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला डिजिटल इंडिया के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब व्हाट्सएप और ईमेल के जरिए भेजे गए चेक बाउंस नोटिस पूरी तरह से कानूनी रूप से वैध माने जाएंगे। यह फैसला चेक बाउंस मामलों में तेजी लाने और न्याय प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद करेगा।
The Allahabad High Court has issued a significant ruling regarding cheque bounce cases. As per the decision, cheque bounce notices sent via WhatsApp and email will now be considered valid under the Negotiable Instruments Act and the IT Act. This decision is expected to have a major impact on how legal notices are delivered in financial disputes. The court also referenced Section 13 of the IT Act and Section 65B of the Indian Evidence Act, confirming that electronic records are admissible. With this verdict, businesses and individuals can now rely on digital communication for legal compliance in cheque bounce cases.