Wednesday, February 5, 2025

नीलगिरी पहाड़ों में नीलकुरिंजी के फूलों का अद्भुत दृश्य?

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AIN NEWS 1 स्थान: नीलगिरी, तमिलनाडु

घटना: नीलकुरिंजी फूलों का 12 साल में एक बार खिलना

स्थल: उटागई के निकट, टोडा जनजातीय गाँव पिक्कापथी मंदु

नीलगिरी पहाड़ों में नीलकुरिंजी फूलों का खिलना एक विशेष घटना है, जो हर 12 साल में एक बार होती है। यह अनोखा फूल, जो अपनी सुंदरता और दुर्लभता के लिए जाना जाता है, इस बार उटागई के पास टोडा जनजातीय गाँव पिक्कापथी मंदु के आस-पास खिल रहा है।

नीलकुरिंजी की विशेषता

नीलकुरिंजी, जिसे वैज्ञानिक नाम “स्ट्रोबिलैंथस” के नाम से भी जाना जाता है, का फूल 12 वर्षों के चक्र में एक बार खिलता है। यह फूल अपनी नीली और बैंगनी रंग की पंखुड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। जब ये फूल खिलते हैं, तो यह पूरे क्षेत्र को सुंदरता से भर देते हैं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

पर्यटकों का आना-जाना

नीलकुरिंजी के खिलने का यह अद्भुत दृश्य देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक नीलगिरी की ओर आ रहे हैं। स्थानीय लोग और पर्यटकों ने इस विशेष अवसर का पूरा लाभ उठाया है। इस दौरान, स्थानीय बाजारों में भी भीड़ बढ़ गई है, जहाँ पर्यटक विभिन्न स्थानीय उत्पादों का आनंद ले रहे हैं।

स्थानीय संस्कृति का महत्व

नीलकुरिंजी फूलों का खिलना केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह टोडा जनजाति की संस्कृति का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। टोडा जनजाति, जो इस क्षेत्र में निवास करती है, ने इस फूल को अपनी सांस्कृतिक पहचान से जोड़ा है। ये फूल उनके धार्मिक और सांस्कृतिक समारोहों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पर्यावरण पर प्रभाव

नीलकुरिंजी के फूलों का खिलना पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र में जैव विविधता को बनाए रखने में मदद करता है और विभिन्न जीवों के लिए एक प्राकृतिक आवास प्रदान करता है। इसके अलावा, ये फूल मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और जलवायु संतुलन में भी योगदान देते हैं।

निष्कर्ष

नीलकुरिंजी के फूलों का यह अद्भुत दृश्य एक बार फिर दर्शाता है कि प्रकृति कितनी अद्भुत है। हर 12 साल में एक बार खिलने वाले इन फूलों के साथ, नीलगिरी पहाड़ों में एक विशेष जादू है। यह न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि सभी पर्यटकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव है। इस अवसर को यादगार बनाने के लिए हर किसी को यहाँ आना चाहिए और इस प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना चाहिए।

इस विशेष घटना ने नीलगिरी को एक बार फिर से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना दिया है।

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।

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