AIN NEWS 1: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बारे में दावा किया जा रहा है कि उन्होंने कोरोना महामारी के कठिन दौर में, जब देशभर में लोग कठिनाइयों का सामना कर रहे थे, अपने लिए एक भव्य शीशमहल बनवाया। यह आरोप उनके विरोधियों द्वारा लगाया गया है, जो कहते हैं कि जनता की सेवा और विकास कार्यों से ध्यान हटाकर उन्होंने अपनी निजी विलासिता पर अधिक जोर दिया।
महामारी का दौर और जनता की मुश्किलें
कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली सहित पूरे देश में लोग स्वास्थ्य सुविधाओं, ऑक्सीजन सिलेंडर, और आर्थिक सहायता के लिए जूझ रहे थे। इस कठिन समय में जहां सरकारों को जनता की मदद के लिए काम करना चाहिए था, वहीं आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने इस दौर में अपने सरकारी आवास को एक आलीशान महल में तब्दील कर दिया।
कैसा है यह शीशमहल?
मीडिया रिपोर्ट्स और वीडियो में दावा किया गया है कि यह आवास अत्यंत भव्य और विलासितापूर्ण है। इसमें महंगे झूमर, शीशे की दीवारें, और फाइव-स्टार होटल जैसी सुविधाएं हैं। विरोधी इसे “अय्याशी का प्रतीक” बता रहे हैं। यह सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर इतनी भारी राशि कहां से आई और महामारी के समय इस पर खर्च करना कितना सही था।
केजरीवाल का बचाव और विपक्ष के आरोप
अरविंद केजरीवाल के समर्थकों का कहना है कि यह काम पूर्व में ही स्वीकृत योजनाओं का हिस्सा था और इसे बेवजह विवाद बनाया जा रहा है। वहीं, विपक्ष इसे “जनता के पैसे की बर्बादी” और “असंवेदनशीलता” करार दे रहा है।
विपक्ष के सवाल
1. कोरोना काल में जब जनता अस्पतालों में जगह के लिए संघर्ष कर रही थी, क्या यह महल बनवाना जरूरी था?
2. क्या दिल्ली सरकार की प्राथमिकता जनता की भलाई नहीं होनी चाहिए थी?
3. यह खर्च किस बजट से किया गया?
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा अरविंद केजरीवाल की छवि को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। जनता के सामने उनकी जवाबदेही को लेकर सवाल उठ सकते हैं, खासकर जब बात पारदर्शिता की हो।
इस विवाद ने राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। जहां एक ओर जनता केजरीवाल सरकार की उपलब्धियों की तारीफ करती है, वहीं इस मामले ने उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
Arvind Kejriwal, the Chief Minister of Delhi, has been accused of building a luxurious glass palace during the COVID-19 pandemic, a time when citizens were grappling with healthcare shortages and economic crises. Critics claim that instead of prioritizing public welfare, Kejriwal focused on personal luxury. The opulent design of his official residence, including expensive chandeliers and glass walls, has sparked a political debate about accountability and misuse of public funds.