दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने केंद्र की मोदी सरकार पर किसानों और आयात-निर्यात नीति को लेकर तीखा हमला बोला है। गुरुवार (28 अगस्त) को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने अमेरिकी कपास (Cotton) पर लगाई गई आयात ड्यूटी को पूरी तरह खत्म कर दिया है।
पहले इस पर 11% आयात शुल्क (Import Duty) लागू था, लेकिन अब सरकार ने उसे शून्य कर दिया है।
किसानों के साथ धोखा – केजरीवाल
केजरीवाल ने कहा कि यह फैसला किसानों के साथ सीधा धोखा है। उनके अनुसार, अक्टूबर में जब भारतीय किसानों की कपास मंडी में आएगी, तब उन्हें बहुत कम दामों पर मजबूरी में कपास बेचना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि इसका सीधा असर गुजरात, पंजाब, विदर्भ और तेलंगाना जैसे बड़े कपास उत्पादक राज्यों पर पड़ेगा।
“अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाया, हमें भी सख्ती करनी चाहिए थी”
केजरीवाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि जब अमेरिका ने चीन पर 145% टैरिफ लगाया था, तो चीन ने भी तुरंत 125% टैरिफ बढ़ा दिया। इसी तरह मेक्सिको, कनाडा और यूरोपियन यूनियन ने भी अमेरिका का कड़ा जवाब दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि “ट्रंप जैसा दबंग दिखने वाला नेता भी झुक गया, लेकिन मोदी सरकार ने अमेरिका के सामने घुटने टेक दिए। प्रधानमंत्री मोदी को भारत की गरिमा और किसानों के हित में सख्त कदम उठाने चाहिए थे।”
केजरीवाल के तीखे बयान
“ट्रंप एक कायर आदमी है, जो उसके खिलाफ खड़ा हुआ, उसने ट्रंप को झुका दिया।”
“ट्रंप के सामने मोदी जी भीगी बिल्ली बने हुए हैं। पता नहीं क्या मजबूरियां हैं।”
“जब अमेरिका ने 50% टैरिफ लगाया, तो हमें कम से कम 100% टैरिफ लगाना चाहिए था।”
केजरीवाल ने कहा कि भारत की 1.4 अरब की विशाल जनसंख्या को देखते हुए अमेरिका जैसे देश भारत की नाराजगी सहन नहीं कर सकते। उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल पूछा – “आप क्यों झुके? यह भारत के सम्मान और किसानों की आजीविका का मुद्दा है।”
वित्त मंत्रालय का स्पष्टीकरण
दूसरी ओर, वित्त मंत्रालय ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि किसानों और निर्यातकों को राहत देने के लिए ही यह कदम उठाया गया है।
मंत्रालय के अनुसार –
“केंद्र सरकार ने कपास (HS 5201) पर आयात शुल्क छूट को 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 तक करने का फैसला किया है।”
यानी इस अवधि तक अमेरिकी कपास भारत में बिना किसी शुल्क के बिक सकेगा।
अमेरिका का टैरिफ फैसला लागू
बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना कर 50% करने का ऐलान किया था, जो 27 अगस्त से लागू हो गया है।
इस फैसले के बाद भारत का निर्यात बाजार प्रभावित हो सकता है। उद्योग जगत का मानना है कि अमेरिका के इस कदम का असर टेक्सटाइल और छोटे व्यापारियों पर भी पड़ेगा।
अरविंद केजरीवाल के तीखे हमलों और वित्त मंत्रालय की सफाई के बीच यह मामला अब और ज्यादा राजनीतिक रंग ले चुका है। एक ओर किसान संगठनों का मानना है कि अमेरिका के सामने झुकने से भारतीय किसानों को भारी नुकसान होगा, वहीं सरकार का कहना है कि यह फैसला अस्थायी राहत और बाजार स्थिरता के लिए लिया गया है।
अब देखना यह होगा कि आने वाले महीनों में कपास मंडी में किसानों को इसका कितना असर झेलना पड़ता है और क्या सरकार कोई नया सुधारात्मक कदम उठाती है या नहीं।