Assam Leads in Economic Equality Thanks to Srimanta Sankardev’s Vision: CM Himanta Biswa Sarma
असम में आर्थिक समानता की मिसाल: श्रीमंत शंकरदेव के विचारों का असर आज भी कायम
AIN NEWS 1: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में एक ट्वीट के जरिए राज्य की सामाजिक और आर्थिक समानता को लेकर गर्व जताया। उन्होंने महान संत और समाज सुधारक श्रीमंत शंकरदेव को इस सकारात्मक बदलाव का श्रेय दिया। मुख्यमंत्री ने बताया कि श्रीमंत शंकरदेव ने एक ऐसी समाज की कल्पना की थी जो जातिविहीन हो, और आज असम उसी राह पर चलता नजर आ रहा है।
मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा, “श्रीमंत शंकरदेव ने असम को एक जातिविहीन समाज के रूप में देखा था। उनके शिक्षाओं की बदौलत आज असम में उपभोग असमानता सबसे कम है, जैसा कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़े दर्शाते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो, असम में एक सामान्य वर्ग के व्यक्ति और एक SC/ST/OBC वर्ग के व्यक्ति की क्रय शक्ति लगभग समान है।”
श्रीमंत शंकरदेव की शिक्षाओं का प्रभाव
शंकरदेव 15वीं शताब्दी के महान संत, कवि, संगीतकार और समाज सुधारक थे। उन्होंने भक्ति आंदोलन को असम में नई दिशा दी और एक ऐसे समाज का सपना देखा जिसमें जाति, वर्ग और धर्म के आधार पर भेदभाव न हो। उन्होंने एकता, समरसता और समानता पर आधारित समाज की नींव रखी, जो आज भी असम की संस्कृति और नीतियों में दिखाई देती है।
क्रय शक्ति में समानता: असम का नया चेहरा
मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आंकड़े यह दर्शाते हैं कि असम में उपभोग असमानता (consumption inequality) देश में सबसे कम है। उपभोग असमानता वह स्थिति होती है जब समाज के विभिन्न वर्गों के लोग अपने खर्च करने की क्षमता में बहुत बड़ा अंतर दिखाते हैं। लेकिन असम में यह अंतर लगभग नगण्य है। इसका मतलब है कि सामान्य वर्ग और अनुसूचित जाति/जनजाति या पिछड़े वर्गों के लोगों की आय और खर्च की क्षमता में ज्यादा फर्क नहीं है।
सरकारी योजनाओं की भूमिका
इस समानता की एक प्रमुख वजह यह भी हो सकती है कि राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में ऐसी योजनाएं चलाई हैं जो सभी वर्गों तक समान रूप से पहुंची हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, और आर्थिक सहायता से जुड़ी योजनाओं ने समाज के कमजोर वर्गों को मजबूती दी है। मुख्यमंत्री स्वयं कई बार यह कह चुके हैं कि उनकी सरकार “सबका साथ, सबका विकास” की सोच पर काम कर रही है।
राज्य की आर्थिक नीतियां और समावेशी विकास
असम की आर्थिक नीतियां भी समावेशी विकास को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। बुनियादी ढांचे में सुधार, छोटे व्यापारियों और किसानों को सहायता, और युवाओं के लिए रोजगार सृजन जैसे कदमों ने सभी समुदायों को आगे बढ़ने का मौका दिया है। इससे राज्य में आर्थिक असमानता में कमी आई है।
राष्ट्रीय स्तर पर असम की उपलब्धि
केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़े यह साफ दर्शाते हैं कि असम उपभोग असमानता के मामले में देश के अन्य राज्यों से कहीं आगे है। यह न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है कि सामाजिक सुधार और सही नीतियों से आर्थिक समानता लाई जा सकती है।
राजनीतिक संदेश और सामाजिक एकता
मुख्यमंत्री का यह बयान केवल एक सांख्यिकी जानकारी भर नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक संदेश भी है। वह यह दिखाना चाहते हैं कि असम जातिवाद और वर्गभेद से ऊपर उठकर एक समान समाज की ओर अग्रसर है। ऐसे समय में जब देश के कई हिस्सों में जातिगत तनाव की खबरें आती हैं, असम का यह उदाहरण सकारात्मक दिशा की ओर इशारा करता है।
असम का रास्ता बाकी राज्यों के लिए प्रेरणा
असम में आर्थिक और सामाजिक समानता के आंकड़े यह साबित करते हैं कि अगर नीति और नीयत सही हो, तो समाज में सच्चे बदलाव लाए जा सकते हैं। श्रीमंत शंकरदेव की शिक्षाएं आज भी राज्य में जीवंत हैं और उनके विचारों के अनुरूप समाज निर्माण की दिशा में राज्य सरकार काम कर रही है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का यह संदेश केवल असम के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए एक सीख है – कि जातिविहीन और समान समाज केवल सपना नहीं, हकीकत बन सकता है।
Assam has emerged as a leading example of economic equality in India, as highlighted by CM Himanta Biswa Sarma. Referring to Srimanta Sankardev’s vision of a casteless society, the Chief Minister praised how this legacy has translated into real-world outcomes. As per the Ministry of Statistics & Programme Implementation, Assam has the lowest consumption inequality in the country, indicating that people across castes—including general category, SC, ST, and OBC—have nearly the same purchasing power. This rare achievement reflects the deep-rooted social harmony and inclusive development model followed in Assam.