AIN NEWS 1 बेंगलुरु: एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में उनकी पत्नी निकिता, सास और साले को गिरफ्तार किया गया है। अतुल ने अपनी मौत से पहले एक चिट्ठी और वीडियो में अपने ससुराल वालों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिसके बाद वे फरार हो गए थे। पुलिस ने इन तीनों को फिल्मी अंदाज में पकड़ा। गिरफ्तारी के दौरान खासतौर पर खुफिया तरीके अपनाए गए थे, ताकि आरोपियों को भागने का मौका न मिले।
पुलिस की गिरफ्तारी की रणनीति
13 दिसंबर को जब पुलिस ने ससुराल वालों के फरार होने की जानकारी ली, तो उनका पता लगाने के लिए एक खुफिया ऑपरेशन शुरू किया गया। पुलिस ने पहले निकिता को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया और उसके बाद उसकी मां और भाई को प्रयागराज से पकड़ा। इन तीनों की गिरफ्तारी में एक फिल्मी प्लानिंग देखी गई, जिसमें पुलिस ने डॉक्टर और नर्स का रूप धारण किया और एक होटल में रातभर निगरानी रखी।
कैसे पकड़ा गया निकिता?
अतुल सुभाष की पत्नी निकिता ने अपनी मां और भाई के साथ 13 दिसंबर को घर छोड़ दिया और वे फरार हो गए। निकिता ने एक पीजी में छिपकर रहना शुरू किया था, जबकि उसकी मां और भाई प्रयागराज के एक होटल में थे। पुलिस को उनकी लोकेशन एक गलती से मिली। दरअसल, निकिता ने अपने एक रिश्तेदार को एक सामान्य कॉल किया, जिससे पुलिस को उसकी लोकेशन का पता चला और फिर उसे गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया।
प्रयागराज में छुपे थे निकिता के परिवार के सदस्य
पुलिस को निकिता की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि उसकी मां और भाई प्रयागराज के एक होटल में ठहरे हैं। अब पुलिस की चुनौती थी कि इन्हें बिना किसी को शक दिए गिरफ्तार किया जाए। इसके लिए बेंगलुरु पुलिस ने दो अधिकारियों को होटल भेजा, जिनमें एक डॉक्टर और एक नर्स का रूप धारण कर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। इन दोनों ने होटल के रजिस्टर पर नजर डाली और कमरा नंबर 111 में ठहरे हुए आरोपियों की पहचान की।
रातभर की निगरानी और गिरफ्तारी
शिवप्पा (पुलिस अधिकारी) और विनिथा (पुलिस अधिकारी) ने रातभर कमरे के बाहर निगरानी रखी। दोनों ने कमरा नंबर 101 और 108 में चेक-इन किया और रातभर कमरे की ओर नजर रखी। सुबह होते ही दोनों ने कमरे की बेल बजाई। जब कमरे का दरवाजा खोला, तो निकिता की मां और भाई अचंभित हो गए, क्योंकि वे समझ नहीं पाए कि ये दोनों लोग कौन थे। इसके बाद, इन दोनों से पूछताछ की गई और फिर इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
छुपकर फ्लाइट से बेंगलुरु लाए गए आरोपी
गिरफ्तारी के बाद पुलिस के सामने एक और चुनौती थी कि आरोपियों को बेंगलुरु लेकर आते समय किसी को उनकी गिरफ्तारी की खबर न मिले। इस वजह से आरोपियों को देर रात की फ्लाइट से बेंगलुरु लाया गया। पुलिस ने इस पूरी प्रक्रिया को खुफिया रखा ताकि किसी भी अप्रत्याशित घटना से बचा जा सके। बेंगलुरु पहुंचने के बाद इन तीनों का मेडिकल परीक्षण कराया गया और फिर उन्हें मजिस्ट्रेट के पास पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
आरोपों का सामना करती निकिता
निकिता ने पुलिस से पूछताछ में यह दावा किया कि उसने कभी अतुल को परेशान नहीं किया और यह आरोप भी लगाया कि अतुल खुद उसे परेशान करते थे। हालांकि, अतुल सुभाष ने अपनी चिट्ठी और वीडियो में यह आरोप लगाया था कि उसे और उसके परिवार को मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का शिकार बनाया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि निकिता और उसके परिवार ने दहेज के लिए उसे परेशान किया और 3 करोड़ रुपये की मांग की थी।
अतुल सुभाष की आत्महत्या की पृष्ठभूमि
अतुल सुभाष की मौत ने इस पूरे मामले को उजागर किया। अतुल ने अपनी चिट्ठी में यह बताया था कि उसका ससुराल परिवार उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था। साथ ही, उसने यह भी कहा था कि उनके खिलाफ झूठे दहेज उत्पीड़न के मामले दर्ज कर उनसे पैसे ऐंठे जा रहे थे। इसके बाद, उसने अपनी जान दे दी। इसके बाद से ही पुलिस ने अतुल के ससुराल वालों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया और तीनों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपी और उनकी गिरफ्तारी के बाद का घटनाक्रम
पुलिस ने जब आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो इस पूरे मामले में एक सवाल बना रहा कि क्या अतुल ने सही आरोप लगाए थे या फिर निकिता ने अपना बचाव करने के लिए अपनी तरफ से कुछ जानकारी दी है। पुलिस की जांच जारी है, लेकिन इस मामले में लोगों का गुस्सा साफ देखा जा सकता है। अतुल की मौत के बाद, उसकी फैमिली और ससुराल वालों के बीच रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए थे, और अब पुलिस ने उन्हें न्याय दिलाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं।
यह मामला इस बात का उदाहरण बन गया है कि कभी-कभी परिवारों के भीतर छुपे अपराध और मानसिक उत्पीड़न का शिकार होने वाले व्यक्तियों के लिए न्याय की राह कितनी कठिन हो सकती है। बेंगलुरु पुलिस की मुस्तैदी और खुफिया ऑपरेशन ने इस मामले को न केवल सुलझाया, बल्कि यह भी साबित किया कि अपराधियों को भले ही छिपने का हर तरीका आजमाने का मौका मिले, लेकिन कानून हमेशा अपना रास्ता ढूंढ ही लेता है।